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Tác giả: Robin_Christian
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Chapter 12020

उस घर को देख कर कोई भी बता सकता है कि इस बार की बारिश मे ये घर सायद ही टिक पाये गा, वो घर दो कमरे का था,छत पतरे से ढ़की हुईं थीं, गांव का सायद वो बिछड़ा हुआ एरिया था,

    " सुनो आप अब अधेड़ उम्र के हो चुके हों हमारा बेटा 9 साल का ही तो है, गाव में हम तो अपना पेट भी ठीक से नहीं भर पाते, चलो सेहर चलते हें" अपने पति राघव को चाय पिलाते हुए सविता बोल रही थी, उसके आवाज में दर्द था और अपने बच्चे के प्रति प्यार था. राघव चाय पीते पीते बोला " हम्म... जायेगे अभी खेत मे जाना हें" "दूसरे के खेत मे कब तक दिहाड़ी पे जा के पेट भरे गे, 2020 आने वाला है, घर की हालत देखो कब गिर जाएगा कुछ कह नहीं सकते". सविता यह अपने पति को कह रही थी उसकी आवाज़ मे दर्द साफ दिख रहा था." राघव ने कहा" ठीक हें ये साल का आखिरी महिना हें, में कुछ पेसे जमा कर्ता हू, फिर शहर चलगे". सविता ने कहा " ठीक, पर अपने चाचा के लड़का मोहन भी वहा पे हें तो उस से बात कर लेना फोन से वो रहने का कुछ इंतजाम कर दे, " ये कहते हुए सविता बेहद खुस थी, जब से शादी कर के घर आयी तबसे गरीबी देखी हें,.        " ठीक हें, करूगा बात, अभी मे चलता हू, बिट्टू को स्कूल भेज के तुम खेत में आ जाना. "

1 महीना पेसे जोड़ने में चला कब गया पता नहीं चला 2020 आ गया था, राघव अपने बीवी और बच्चे के साथ सहर आ गया था, मोहन ने उसके पास ही एक खोली किराये पे रहने को दिलाई थी.

"देखो राघव यहा पर नोकरी तो हमे मिलेगी नहीं पर दिहाड़ी मे अच्छा पेसे कमा सकते हे, दिन रात मत देखना सुबह शाम जब काम मिले काम के लिए मना नहीं करना." हा मोहन हम तो अपनी जिंदगी जेसे मर्जी काट लेगे, पर हमारे बीवी बच्चों को खुश रख पाए तो बहोत हें. ".

मोहन ने अपने बचे के साथ ही राघव के बेटे का सरकारी स्कूल मे दाखिला करवा दिया. " सविता भाभी इस स्कूल मे खाना फ्री देते हें सरकार की तरफ से पढ़ाई भी फ्री हें, " मोहन ने सविता को बोला," मोहन भाई आप नहीं होते तो हम सहर मे आके क्या करते, "" भाभी हम एक ही तो परिवार हें अलग अलग थोडी हें" मोहन ने कहा.

" राघव अब कलसे तू मेरे साथ चलना ठीक हें काम पे, " मोहन ने राघव से कहा.

अगले दिन सुबह मोहन और राघव दिहाड़ी पे चले गये, सविता ने बिट्टू को स्कूल मे भेजा और घर के काम करने लगी.

एसे ही तीन महीने बीत गए राघव और मोहन दोनों परिवार बेहद खुश थे, सविता ने सादी के बाद इतनी खुशी पहली बार देखी थी. मोहन के घर टीवी था तो सब मिल कर टीवी देख रहे थे, समाचार मे दिखा रहे थे कि कोरोंना  वायरस के चलते भारत बंध का एलान मोदीजी ने कर दिया था.

दोनों परिवार सहम गए थे कुछ दिन तो गुजारा कर लेगे बिना काम के पर आगे क्या होगा, बच्चों को क्या खिलाए गे.

घर के अंदर रहे तो भूख से मर जाएगे, बाहर गए तो पॉलिश मार देगी, मोहन और राघव को कुछ समज़ नहीं आ रहा था.

राघव और मोहन ने फैसला कर लिया था कि अब वो अपने परिवार को लेके गाव ही जाएगे. और वो पैदल ही गाव चल दिये, लेकिन उसी वक़्त एक भले आदमी ने उनकी गाव जाने मे मदद की और उन्हें गांव पहुच ने तक खाना पीना मिले उसका भी इंतजाम कर दिया, मोहन और राघव की तरह ही हज़ारो परिवार थे जो सड़कों पे आ गये थे, 2020 राघव के परिवार के अंदर खुशिया ले कर तो आया था पर बेहद दुख दे रहा था.

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सनातन गंगा

सनातन धर्म शाश्वत नियम है. जीवन के कुछ खास तत्व या बुनियादी पहलू हैं जो हमेशा लागू होंगे. सनातन धर्म का मतलब है कि हमारे पास इस बात की अंतर्दृष्टि है कि जीवन हमेशा कैसे कार्य करत सनातन धर्म शब्द का आज आम तौर पर गलत इस्तेमाल होता है. यह एक गलतफहमी है कि धर्म का मतलब मजहब होता है. धर्म का मतलब मजहब नहीं है, इसका मतलब नियम होता है. इसीलिए हम विभिन्न प्रकार के धर्मों की बात कर रहे हैं - गृहस्थ धर्म, स्व-धर्म और विभिन्न दूसरे किस्म के धर्म. मुख्य रूप से, धर्म का मतलब कुछ खास नियम होते हैं जो हमारे लिए इस अस्तित्व में कार्य करने के लिए प्रासंगिक हैं। आज, इक्कीसवीं सदी में, चीजों को संभव बनाने के लिए आपको अंग्रेजी जाननी होती है. यह एक सापेक्ष चीज है. हो सकता है कि पांच सौ से हजार सालों में, ये कोई दूसरी भाषा हो सकती है. हजार साल पहले ये एक अलग भाषा थी. वो आज के धर्म हैं - वो बदलते रहते हैं. लेकिन सनातन धर्म शाश्वत नियम है. जीवन के कुछ खास तत्व या बुनियादी पहलू हैं जो हमेशा लागू होंगे. सनातन धर्म का मतलब है कि हमारे पास इस बात की अंतर्दृष्टि है कि जीवन हमेशा कैसे कार्य करता है। कुछ दिन पहले मुझसे पूछा गया कि हम सनातन धर्म की रक्षा कैसे करें? वैसे, क्या सनातन धर्म को सुरक्षा की जरूरत है? नहीं, क्योंकि अगर वह शाश्वत है, तो मैं और आप उसकी सुरक्षा करने वाले कौन होते हैं? लेकिन इस सनातन धर्म तक कैसे पहुंचें और इन नियमों के जानकार कैसे हों, और उसे अपने जीवन में कैसे लागू करें. इन पहलुओं के बारे में आज की भाषा में, आज की शैली में, और आज के तरीके में बताए जाने की जरूरत है, ताकि यह इस पीढ़ी के लोगों को आकर्षक लगे. वे इसे इसलिए नहीं अपनाने वाले हैं क्योंकि आप इसे कीमती बता रहे हैं. आप इसे उनके दिमाग में नहीं घुसा सकते. आपको उन्हें इसकी कीमत का एहसास दिलाना होगा, आपको उन्हें यह दिखाना होगा कि यह कैसे कार्य करता है. सिर्फ तभी वे इसे अपनाएंगे. सनातन धर्म को सुरक्षा की जरूरत नहीं है. इसे जिए जाने की जरूरत है, इसे हमारी जीवनशैली के जरिए हम सब के अंदर जीवित रहना चाहिए. अगर हम ऐसा नहीं करते, तो इसकी रक्षा करने से ये अलग-थलग हो जाएगा। सनातन धर्म को मुख्य धारा में लाना ही मेरा प्रयास है. बिना धर्म शब्द को बोले, मैं इसे लोगों के जीवन में ला रहा हूंं, क्योंकि अगर इसे जीवित रहना है तो इसे मुख्य धारा बनना होगा. एक बड़ी आबादी को इसे अपनाना होगा. अगर बस थोड़े से लोग इसे अपनाते हैं और यह सोचते हैं कि वे बेहतर जानते हैं, और वे हर किसी से ऊंचे हैं, तो यह बहुत ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहेगा. हम इस संस्कृति के सबसे कीमती पहलू को, इस मायने में मार देंगे कि धरती पर यही एक संस्कृति है जहां उच्च्तम लक्ष्य मुक्ति है. हम स्वर्ग जाने की या भगवान की गोद में बैठने की योजना नहीं बना रहे हैं. हमारा लक्ष्य मुक्ति है, क्योंकि आप जो हैं, अगर आप उसके अंतरतम में गहरे खोजते हैं, तो आप समझेंगे कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि यह चाहे सुख हो, ज्ञान हो, प्रेम हो, रिश्ते हों, दौलत हो, ताकत हो, या प्रसिद्धि हो, एक मुकाम पर आप इनसे ऊब जाएंगे. जो चीज सचमुच मायने रखती है वो आजादी है, और इसीलिए यह संस्कृति महत्वपूर्ण है - बस आज के लिए ही नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी। अतीत में लोग सनातन धर्म के लिए वाकई तैयार नहीं थे, क्योंकि हर पीढ़ी में सिवाय कुछ लोगों के, बड़े पैमाने पर कोई बौद्धिक विकास नहीं था. तभी तो वे कभी यह नहीं समझ सके कि आजाद होने का क्या मतलब होता है, उन्होंने सिर्फ सुरक्षा खोजी. अगर आप धरती पर सारी प्रार्थनाओं पर गौर करें, तो उनमें से नब्बे प्रतिशत सिर्फ इस बारे में हैं - ‘मुझे यह दीजिए, मुझे वह दीजिए, मुझे बचाइए, मेरी रक्षा कीजिए!’ ये प्रार्थनाएं मुक्ति के बारे में नहीं हैं, वे जीवन-संरक्षण के बारे में हैं। लेकिन आज, मानव बुद्धि इस तरह से विकास कर रही है कि कोई भी चीज जो तर्कसंगत नहीं है, वो दुनिया में नहीं चलेगी. लोगों के मन में स्वर्ग ढह रहे हैं, तो ये आश्वासन कि ‘मैं तुम्हें स्वर्ग ले जाऊंगा,’ काम नहीं करने वाला है. अब कोई भी स्वर्ग नहीं जाना चाहता.  सनातन धर्म के लिए यह सही समय है. यही एकमात्र संस्कृति है जिसने मानवीय प्रणाली पर इतनी गहाराई से गौर किया है कि अगर आप इसे दुनिया के सामने ठीक से प्रस्तुत करें, तो ये दुनिया का भविष्य होगी. सिर्फ यही चीज है जो एक विकसित बुद्धि को आकर्षित करेगी, क्योंकि ये कोई विश्वास प्रणाली नहीं है. यह खुशहाली का, जीने का और खुद को आजाद करने का एक विज्ञान और टेक्नालॉजी है. तो सनातन धर्म कोई अतीत की चीज नहीं है. यह हमारी परंपरा नहीं है. यह हमारा भविष्य है।

Nilmani · Hiện thực
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