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Tumhaari Yadein - ek khwaab si hai

Tác giả: Ranjanshaw1998
Huyền huyễn
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Chapter 1परिचय

" मुझे छोड़ कर चली गई , इतने दिनों तक तो मैं ही सब कुछ था उसके लिए और आज एक ही दिन में हम पराये हो गए "। एक लड़का कॉलेज की सीढ़ियों पर बैठा रो रहा था । उसकी आवाज भी लड़खड़ा रही थी । बालों को पागलों की तरह अपने हाथों से उलझाता हुआ , अपने सिर को नीचे की सीढ़ियों की ओर झुकाएं , अपने दोस्त से कह रहा था । उसका दोस्त उसे चुप कराने के लिए , उसके कंधे को धीरे-धीरे सहलाना शुरू करता है । उसकी आवाज में लड़खड़ाना अब कम हो जाती है । उसका दोस्त उससे कहता है- " विकास क्या हुआ है , मुझे बताओ तो , ऐसे रोने से तो तुम्हारी ही तब्यत खराब हो जाएगी " । वह कहता है ," तुम ठीक कहते हो " ।

उसका दोस्त उसे उठाकर क्लास की ओर ले जाता है , उसका दोस्त अब तक समझ गया था कि वह अंदर ही अंदर पूरी तरह से टूट गया है । कुछ कदम चलते ही क्लासरूम आ जाती है । फिर विकास उससे कहता है , "मेरे दोस्त राजेश , मैंने बचपन से ही कई दुःख झेले हैं लेकिन कभी किसी को कुछ नहीं कहा , लेकिन आज पहली बार ऐसा लग रहा है कि नहीं बोलूंगा तो मेरा सिर दर्द से फट जाएगा " । ठीक है विकास तुम पहले रोना बंद करो , जो हुआ है आज , तुम मुझे बताओ , तुम्हारा मन हल्का हो जाएगा । विकास की रोने में अब सिसकियां कम हो जाती है। रोने के कारण उसकी आवाज में भाड़ीपन आ गई थी । वह कहता है " मैं छोटे से गांव में बहुत गरीब परिवार में पैदा हुआ था । मैं बचपन से ही अपने मामा के घर में रहता था ‌। वहीं पला और बड़ा भी हुआ । लेकिन उस दौरान भी मेरे जीवन में कई परेशानियां आई । लेकिन मैंने उन परिस्थितियों का डटकर मुकाबला किया । लेकिन आज तक मैंने कभी खुद को इतना अकेला महसूस नहीं किया जितना मैं उसके चले जाने पर महसूस कर रहा है। " भाई जो चली गई उसे जाने दो , अब तुम अपनी लाइफ में आगे बढ़ो । विकास तुम क्या कर सकते हो तुम खुद नहीं जानते । तुम्हारे नाम में ही नहीं , तुम्हारे भीतर भी मैंने एक आत्मविश्वास देखा है । तुम लाइफ में बहुत कुछ कर सकते हो । राजेश कि बातें सुनकर वह गुस्से से अपने बैग को टेबल से नीचे फेंक देता है और गुस्से मैं राजेश से कहता है " इसलिए मैं तुम्हें कुछ नहीं बताना चाह रहा था । मैं क्या कर सकता हूं भला ‌, मुझमें यदि कुछ टेलेंट होता तो , क्या वह मुझे छोड़ कर चली जाती ? , नहीं जाती वो ; मैं कुछ नहीं कर सकता हूं , इसलिए तो वह मुझे अकेला छोड़ कर चली गई।

राजेश का ध्यान उस समय उसके बैग से गिरे उसकी कुछ कागजों पर पड़ती है । वह उठकर उन कागजों उठाकर विकास की तरफ़ मुस्कुराते हुए देखता है और बोलता है

" मैं जिस टैलेंट और आत्मविश्वास की बातें कर रहा था उसे तो तुमने जमीन पर फेंक दिया । तुम एक बार इन कागजों को देखो । तुम्हारी हर एक कागज़ पर बनी तस्वीरें लोगों को प्रेरणा देने वाली है "। अब वह उसकी बनाई हुई एक पेंटिंग को उसे दिखाकर कहता है " देखो इस पेंटिंग को , समुद्र के किनारे केवल अकेला लड़का सूरज को निकलते हुए देख रहा है । उसमें एक नई ऊर्जा भरी हुई है । वह एक नई शुरुआत करना चाहता है " । तुम अपने आप को देखो तुम्हारी पेंटिंग हजारों और लाखों में बिकने वाली है और तुमने गुस्से में आकर अपने टैलेंट को ही फेंक दिया । तुम इससे शुरुआत कर सकते हो और बड़े आदमी बन सकते हो । पहचानो अपने आप को तुममें यह टैलेंट है कि तुम कागज़ को भी पैसों में बदल सकते हो ।

विकास राजेश को कहता है , " thanks भाई ' .....

~ the end ~

" Aksar hum apne andar ke talent ko Pehchan nahi pate hai

Aur jab hume thokar lagti hai

To wahi talent humari pehchan ban jati hai "

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