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कामोत्तजक (वयस्क)

Tác giả: Dev_D
LGBT+
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Tóm tắt

काम देव की कृपा

Chapter 1नवेली दुल्हन की "सुहागरात"

मेरी उम्र अभी 28 साल है। मैं फतेहपुर में रहता हूँ। मै देखने में बहोत ही स्मार्ट और जबरदस्त पर्सनालिटी वाला बन्दा लगता हूँ। मेरी आकर्षक बॉडी को देखकर लड़कियां चुंबक की तरह खीचने लगती हैं। मैं बहोत ही हवसी इंसान हूँ। लड़कियों की चूत को मैं काट खाता हूँ। मेरे को चूत काट कर पीने में बड़ा मजा आता था। लड़कियां मेरे इसी अंदाज़ पर मरती थी। फ्रेंड्स ऐसा ही कुछ मेरे साथ सुहागरात के दिन भी हुआ। यह बात 2 साल पुरानी है। जब मेरी नई-नई शादी हुई थी। उससे पहले मेरे को चूत चोदने का बहुत ही अनुभव प्राप्त हो चुका था। लड़कियों की चूत कैसे मारी जाती है। यह मेरे को अच्छी तरह पता थी। मैंने अब तक कई सारी लड़कियों की चूत को फाड़ कर उसका उस का रस चखा है। लड़कियों को मेरे से चुदवाने में बड़ा मजा आता था। मेरे 7 इंच के लंड से वह खेल कर खूब मजे लेती थी। मेरे को भी होली की बूब्स खेलने में बहुत मजा आता था। दोस्तों मैं अपनी कहानी पर आता हूं।

जनवरी का महीना था। उस समय काफी ठंडी हो रही थी। 28 जनवरी के दिन मेरी शादी हुई थी। और 29 जनवरी को मेरी बारात विदा होकर घर आ गई थी। दिनभर मैंने खूब सोया था। क्योंकि मैं दो तीन 3 दिन का जगा हुआ था। रात की लगभग 8:00 बज गए थे मैं फिर भी बिस्तर पर पड़ा हुआ था। तभी मेरी बुआ मेरे को जगाने आई।

बुआ: रिशांक बेटा उठ जा तेरे कमरे में तेरा कोई इंतजार कर रहा है

मै: सोने दो बुआ मुझे कहीं नहीं जाना

बुआ: जाओ इतनी रात हो गई जो भी करना है वो अपने कमरे में जाकर करो

बुआ ने मेरे को जबरदस्ती उठाकर मेरे कमरे में धकेल कर बाहर से दरवाजा लॉक कर लिया। आज थकान की वजह से मेरा मौसम ही नहीं बन रहा था। मेरे को आज चुदाई करने का मन भी नहीं कर रहा था। मैंने अपना सिर बिस्तर की तरफ घुमाया मेरी बीवी पुष्पा बेड पर सजी-धजी बैठी हुई थी। पूरा बेड स्वर्ग की तरह सजा हुआ था। बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियां बिखरी हुई पड़ी थी। जिन्हें देखकर मूवी में होने वाले सीन की याद आने लगी मैंने अपने आप को चुटकी काटी कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा लेकिन नहीं यह तो हकीकत था।

बिस्तर के चारों तरफ धागे से गुंथे हुए फूल रस्सियों की तरह बिस्तर के चारों तरफ लटक रहे थे। मेरी बीवी पुष्पा स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी। शादी के लाल रंग के जोड़े में वो कमाल की दिख रही थी। उसने लहंगा चोली पहना हुआ था। उसका पूरा पेट खुला हुआ साफ साफ दिखाई दे रहा था। उसकी नाभि को देखते ही मेरा मौसम बनने लगा चूत की तरह उसकी नाभि की गहराई कुछ ज्यादा ही लग रही थी। मेरा मूड बनने लगा। पहली बार मैंने किसी की इतनी अच्छी नाभि देखी थी। मेरा मन से काट खाने को करने लगा। मैं उस के पास बिस्तर पर बैठ गया। मैंने उसके पेट पर अपना हाथ फेरते हुए उसे प्यार करने लगा।

वह धीरे-धीरे गर्म होने लगी। मैंने अपना सिर नीचे झुकाकर उसके पेट के बीच की गहरी नाभि को चाटने के लिए लगा दिया। अपनी जीभ को उसकी नाभि में घुसा कर चाटने लगा। वो बहुत जोर से सिसकारियां भरने लगी। मै उसकी नाभि की गहराई अपनी जीभ डाल कर नाप रहा था। नाभि को चाटने में बहोत ही मजा आ रहा था। वो अपना पेट सिकोड़ कर मेरे को अपने पेट में दबा रही थी। मैंने उसकी नाभि तो चूस डाली लेकिन अभी तक उसका चेहरा अच्ची तरीके से नहीं देखा था। नेट वाली चुन्नी में उसका चेहरा थोड़ा बहोत ही दिख पा रहा था। उसके चेहरे से घूंघट उठाने के लिए मैंने उसकी ठोड़ी को पकड़ते हुए उसका चेहरा ऊपर की तरफ उठाया। उसके घूंघट को उठाकर मैंने उसका चेहरा देखा। उसके गाल पर एक गजब की शाइनिंग दिख रही थी। गालो पर मसकारा लगाकर गालो को लाल लाल किये हुई थी। टमाटर की तरह गाल को किस कर लिया।

मै: क्या बात है जी शादी के मंडप में भी इतनी खूबसूरत नहीं लग रही थी तुम!

पुष्पा: मैं तो हमेशा ही ऐसे ही लगती हूं तुमने कभी ध्यान से देखा ही नहीं होगा

मै: पुष्पा क्या तुम अभी तक पूरी तरह से कुंवारी हो??

पुष्पा: हां मैं अभी पूरी तरह से कुंवारी हूं मैंने एक बार भी अब तक चुदाई नहीं की है

मै: तुम्हें सेक्स के संबंध में कुछ आता है

पुष्पा: हां मैंने ब्लू फिल्में देखकर सब कुछ किया है

मैं: पुष्पा तूने अकेले में सब कैसे कर लिया

पुष्पा: मैंने लंड की जगह मूली गाजर से काम चलाया था

मैं पुष्पा की बातों को सुनकर और भी जोश में आने लगा।

मै: चलो कोई बात नहीं आज तेरे को चुदाई का खेल दिखाता हूँ। तुम बस मेरा साथ देती रहना। फिर बहोत मजा आएगा

पुष्पा: ठीक है जी लेकिन धीरे धीरे करना। मेरी सहेलियां बता रही थी। चुदने में बहोत दर्द होता है

मै: पहले थोड़ा सा होता है लेकिन बाद में बहोत मजा आता है

वो मेरी बात मान गयी। पुष्पा की बातों में बचपना भरी हुई थी। वह अभी चुदाई के ज्ञान से अनजान थी। मैंने सोचा क्यों ना हो पुष्पा को हाथ चुदाई का ज्ञान दे ही डाला जाए। मैंने अपना कुर्ता उतारा और चुदाई करने के लिए तैयार हो गया। पुष्पा के गालो को देखते हुए उसे नीचे तक ताड़ने लगा। पुष्पा के चूचे मेरे को काफी उभरे हुए नजर आ रहे थे। 36 32 34 का गठीला बदन देखकर मेरा मन मचलने लगा। मैं उसके गदराये बदन पर अपना हाथ फेरने लगा। उसकी सांसे तेज होने लगी मैंने उसकी चुन्नी को उसके सर से हटाया। उसके सुनहरे बालों को देख कर मैं और भी ज्यादा उत्तेजित होने लगा।

उसके गालों का तिल बहुत ही रोमांचक लग रहा था गुलाब की पंखुड़ियों की तरह उसके होठों को देखकर मैंने अपना आपा खो दिया। मैंने भी अपना होठ उसके गुलाबी होठों पर टिका दिया। मक्खन की तरह मुलायम उसके होठों पर मेरे होंठ ऊपर नीचे होने लगे। मैंने उसे किस करते हुए उसके होठों को चूसने लगा। कुछ देर तक पुष्पा चुप रहकर अपने होठों को चुसवाती रही। मेरे को उसके सॉफ्ट हॉट को चूसने में बहुत मजा आ रहा था। उसने भी मेरा साथ दे कर मेरा मजा डबल कर दिया। मैं और जोर-जोर से उसके होठों को चूसने लगा उसकी सांसे बहुत तेज हो गई पुष्पा के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी।

वो "...अई… अई….अई...अई ….इसस्स्स्स्....उ हह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह…." की सिसकारी निकाल रही थी। होंठ चुसाई ने पुष्पा को बहुत गर्म कर दिया। मैंने भी वक्त जाया ना करते हुए उसकी चोली को खोलने लगा पीछे की डोरियों को खोलते ही वो ब्रा में हो गयी। उसके मम्मी देखने में बहुत ही ज्यादा टाइट लग रहे थे। वह दोनों ब्रा में कैद थे।मैंने उसकी ब्रा को निकाल कर उसके मम्मों को आजाद कर दिया पुष्पा के दूध पर काला निप्पल बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने पहली बार किसी लड़की के इतने गोरे गोरे मम्मे को देखा था। दूध की तरह गोरे उसके मम्मे को देख कर मुंह में पानी आने लगा।

मैंने उसे पीने के लिए अपना मुंह उसके निप्पल पर लगा दिया। भूखे बच्चे की तरह उसके निप्पल को मैं जोर-जोर से खींच खींच कर पीने लगा। पुष्पा ने मेरे बालों को पकड़ कर जोर-जोर से अपने मम्मों में दबाने लगी। उसे ऐसा करते देख मेरा जोश और भी ज्यादा हो गया। मैं और जोर-जोर से उसके मम्मों को दबा दबा कर पीने लगा। जोर से दूध पीते ही कभी-कभी मेरे दांत उसके निप्पल में गड़ जाते थे। पुष्पा "उ उ उ उ उ...अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ…." की आवाज निकाल देती थी। कुछ देर तक उसके दूध को पीने के बाद मैंने अपने पजामे का नाड़ा खोला। और अंडरवियर में हो गया मेरा लंड थोड़ा बहुत खड़ा हो चुका था। मैंने अंडरवियर को अपने लंड से अलग किया मेरा लंड देखते ही पुष्पा चौक गई।

पुष्पा: उई माँ कितना भयानक सांप जैसा लग रहा है

मै: जरा हाथ लगा कर देखो और भी अच्छा लगने लगेगा।

पुष्पा मेरा लंड पकड़ कर मुठ मारने लगी मेरा लंड धीरे-धीरे मिसाइल की तरह खड़ा होने लगा, पुष्पा खड़े लंड को देख कर उसकी टोपी पर अपना मुंह लगा दिया। लॉलीपॉप की तरह मेरे टोपे को चूसने लगी। मेरे लंड का टोपा और भी ज्यादा फूल गया। उसने लगभग 5 मिनट तक लगातार मेरे लंड की जबरदस्त चुसाईं की। उसके बाद वह मेरे लंड को हिला हिला कर मजा लेती रही। जोर जोर से हिला हिला कर उसने मेरे लंड से पिचकारी निकलवा दी। मैं उसके चेहरे पर ही झड़ गया। पिचकारी के छूटते ही मेरा उसे चोदने का मन ही नहीं कर रहा था।

मैंने खुद को डाइवर्ट कर दिया। मैंने उसकी घाघरा को निकाल कर उसे पैंटी में कर दिया। वो और भी ज्यादा आकर्षक लगने लगी मैंने उसे सर से लेकर पांव तक किस करना शुरू किया पुष्पा एक बार फिर से गर्म होने लगी। पुष्पा बार-बार अपने गले पर हाथ रख कर खुद को सहला रही थी। मेरे को पता चल गया तो उसका सबसे फेवरेट अंग उसका गला है। कुछ दोस्तों ने मेरे को पहले बताया था। कि अगर लड़की को उसके फेवरेट अंग पर किस करो तो बहुत जल्दी गर्म हो जाती है। मैंने वैसा ही किया मैं उसके पतते से गले पर किस करना शुरू किया वो गर्म होकर अपनी चूत मसलने लगी। पुष्पा भी चुदने के लिए बेकरार हो गई।

मैंने उसकी तदप को और बढ़ा दिया। मैने पुष्पा के गले को किस करना बंद किया। उसकी चूत की तरफ जा कर मैंने उसकी टांगों को फैलाया। उसकी चूत बहुत ही चिकनी और साफ साफ दिखाई दे रही थी। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैं अपना मुंह उसकी चूत के छेद पर लगाकर चाटने लगा। चूत की दोनों दीवारों के बीच बनी हुई नालियों में मेरा जीभ ऊपर नीचे होकर उसकी चूत चटाई करनी शुरू कर दी। पुष्प मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में धकेलने लगी।

मैंने उसकी चूत के ऊपर उभरी हुई खाल को अपने दांतों से पकड़कर खींच खींच कर मज़े ले रहा था। वो जोर जोर से"..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अ अअअअ….आहा …हा हा हा" की सिस्कारियां भरने लगी। मैं अपना जीभ उसकी गीली चूत में घुसा कर उसके रस का रसपान कर रहा था।

पुष्पा: बस भी करो मेरे राजा चोद लो आज मुझे! और भी ज्यादा न तड़पाओ मेरे को! मेरी चूत में शोले भड़क रहे हैं

मैंने पुष्पा की चूत को पीना बंद कर दिया। उसकी चूत पर अपना मोटा लंड रगड़ने लगा। पुष्पा की चूत बहुत ही गर्म हो चुकी थी। मैंने उसकी चूत में भड़के हुए शोले को खत्म करने के लिए अपना लंड उसकी चूत के छेद पर सटा दिया। मेरे लंड के ठीक निशाने पर ही उसकी चूत की छेद थी। मैंने जोर से धक्का मार कर अपना आधा से अधिक लंड उसकी चूत में घुसा दिया। पुष्पा के मुंह से चीखें निकल गई। वह बहुत तेज से"...मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ.." की आवाज निकालने लगी।

पूरा लंड घुसा कर ही मैंने चैन से सांस ली। मैंने धीरे से अपना लंड बाहर निकाला मेरा पूरा लंड उसकी चूत से निकले खून से मेरा लंड भीगा हुआ था। पुष्पा मेरे लंड को देखकर डर गई और भी ज्यादा तेजी से चीखने लगी। मैं खून से लथपथ लंड को पुष्पा की चूत में आगे पीछे करने लगा। धीरे-धीरे से उसकी चुदाई कर रहा था। वह भी सिसकारियां धीरे-धीरे से भरने लगी हम दोनों को खूब मजा आ रहा था। पुष्पा का चेहरा खूनी लंड को देखकर लाल-पीला हो रहा था। उसके माथे से ठंडी में भी पसीना छूट रहा था। मैंने भी पुष्पा की चुदाई की स्पीड थोड़ा-थोड़ा करके बढ़ा रहा था।

मेरे को उसे चोदने के लिए और भी ज्यादा उत्तेजना होने लगी। मैंने अपनी स्पीड को बढ़ा दी। मैं जल्दी-जल्दी अपनी कमर उठा उठा कर उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था। पुष्पा पहली बार संभोग का मजा ले रही थी। उसकी"….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई….." की आवाज से पूरा कमरा भरा हुआ था। मैं उसके ऊपर लेटा हुआ था मेरे नीचे वो भी चित्त लेटी हुई थी। मैं उसे किस करते हुए उसकी चुदाई कर रहा था। वह भी अपनी कमर उठा उठा कर चुदवाने लगी शायद उसे अब इस दर्द में भी मजा आने लगा था।

चुदाई की स्पीड बढ़ते ही हम दोनों को और भी ज्यादा मज़ा आने लगा। मैं अपनी सिलाई मशीन की तरह अपनी कमर को उठा कर उसकी चूत को फाड़ रहा था। पुष्पा की सांस फूलने लगी उसने मेरे को अपने ऊपर से हटाया। मैंने भी उसकी एक टांग उठा दी और अपना लंड उसकी चूत में डालकर चुदाई करने लगा। अब मैं घुसुक घुसुक कर उसकी चुदाई कर रहा था। वो भी मेरा साथ दे रही थी। मैं उसके फूले हुए मम्मो को दबा कर उस की जोरदार चुदाई कर रहा था। उसकी चूत की आज बाजा बज चुकी थी। अचानक से उसकी चूत से निकलने वाली आवाज बदल गई। पुष्पा झड़ चुकी थी उसकी चूत में गिरे हुए माल में भी और जोर से सम्भोग करने लगा। पुष्पा की चूत ढीली पड़ने लगी।

उसकी ढीली चूत की चुदाई करने में मजा नहीं आ रहा था। मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया। मेरे पूरे लंड पर सफेद रंग की क्रीम लगी हुई थी। मैं अपने क्रीमी लंड से उसकी गांड चुदाई करने के लिए उसे झुका दिया। उसकी गांड की छेद पर अपना लंड सटाकर धक्का मारने लगा। लेकिन उसकी गांड का छेद बहुत टाइट था। मेरा लंड वह आसानी से अंदर ही नहीं ले रही थी। पुष्पा की गांड में लंड को ढकेलते ही वो सी… सी… सी..चीख निकालने लगती थी। फिर भी कई बार की कोशिशों के बाद मैंने अपना लंड उसकी गांड में घुसा दिया। वो जोर से "ओहह्ह्ह…ओह्ह्ह्ह…अह्हह्हह…अई..अई. .अई… उ उ उ उ उ…" की चीख निकालने लगी।

मै भी बहोत ही मजे ले ले कर उसकी गांड चुदाई शुरू कर दी। उसकी गांड मेरे पूरे लंड को खा रही थी। मैने उसकी चुदाई को और भी ज्यादा कर दी। उसकी मटकती कमर को पकड़ कर अपना लंड जोर जोर से उसकी चूत में घुसा कर निकालने लगा। मैं अपने लंड को जड़ तक पेल रहा था। वो अपनी गांड को मटका कर "….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई….." की आवाजो के साथ चुद रही थी। उसकी टाइट गांड की रगड़ को मेरा लंड भी ज्यादा देर तक बर्दाश्त ना कर सका। वो भी झड़ने की कागार पर पहुच चुका था।

मैंने अपनी पिचकारी उसकी गांड में छोड़ दी। कुछ देर तक तो मैं अपना लंड उसकी चूत में डालकर ही बिस्तर पर पड़ा रहा। मेरा लंड धीरे-धीरे सिकुड़ने लगा। मेरे लंड के सिकुड़ते ही उसकी गांड से माल बाहर आने लगा। बिस्तर पर पड़े चादर पर माल बिखर गया। उसने चादर पर बिखरे हुए सारे माल को पोंछ कर उस पर लेट गई। उस रात मैंने उसे कई बार चोद कर सुहागरात का भरपूर आनंद लिया। आज भी हर रात मैं उसके साथ सुहागरात मनाता हूं। हम दोनों खूब इंजॉय करते हैं।

समाप्त

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Girleyyfic123 · LGBT+
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