webnovel

कुछ पल जिनमे पूरी ज़िन्दगी समा गई

Tác giả: Subhashish_1992
Thành thị
Đang thực hiện · 17.8K Lượt xem
  • 5 ch
    Nội dung
  • số lượng người đọc
  • N/A
    HỖ TRỢ
Tóm tắt

Chapter 1आग़ाज

हमने अक्सर कहानियों और कई किस्सों में पढ़ा या सुना है कि, ये मत सोचो की ज़िन्दगी में कितने पल है, बल्की ये सोचो के हर एक पल मे कितनी ज़िन्दगी है।

आज की ये कहानी भी एक ऐसी लड़की के जीवन संबंधित है जिसने सब कुछ पाकर भी कुछ नहीं पाया। जीवन मे शायद गिनती के कुछ लम्हे और किस्से ऐसे है जिनके सहारे ही वो शायद अपनी जिन्दगी गुज़ार सकती है।

कहते हैं कि, जिन्दगी अगर दर्द देती है तो खुशियाँ भी देती है पर अब लगता है कि शायद हर कहावत सही नहीं है, जरूरी नहीं कि सबके साथ एक जैसा ही हो, कुछ विलक्षण हो सकता है। पर कभी कभी विलक्षण भी बेहद दर्दनाक हो उठता है।

बात है लगभग 27 साल पहले की जब एक दंपत्ति को खुशियों भरा समाचार मिला कि वो पिता माता बनने वाले हैं, आख़िर बात भी अत्यंत प्रसन्नता वाली थी। उस घर का कर्ता एक अंतराष्ट्रीय NGO में कार्यरत थे और कर्ती एक नामचीन अंतराष्ट्रीय उड़ान विमान में परिचारिका के रूप में कार्यरत थी।

दोनों को उस होने वाले बच्चे की खुशी थी। दोनों अपने अपने स्तर पर अपना हर संभव प्रयास करते थे के उस आने वाले नव जीवन की ज़िन्दगी खुशियों से भर दें और किसी भी प्रकार की कमी ना हो।

प्रतीक्षा के दिन समाप्त हुए और आखिरकार उस नवजात ने इस दुनिया मे पहली बार साँस लिया। ऊपरवाले की दया और अनुग्रह से जुड़वा बेटियाँ पैदा हुई, उनकी माता को ऐसा लगा जैसे के वो आज जाकर संपूर्ण हुई। उनके पिता के अश्रु नहीं रुक रहे थे। वजह तो विस्तृत रूप से वही बेहतर समझे जो इस खूबसूरत और नायाब पलों को अपने जीवन में अनुभव करते हैं। कुछ भावनाओं की शायद अनुमानित परिभाषा भी नहीं होती।

दोनों लडकियों का नाम मूर्ति और लक्ष्मी रखा गया। समय के साथ साथ अपने माता पिता के प्यार के साथ वो दोनों बहनें बढ़ती रहीं। साथ उठना और बैठना, खिलौनों और गुड़ियों के लिए लड़ना, एक जैसे कपड़े की ज़िद आदि सामान्य बचकानी हरकतों से खुशी खुशी ज़िन्दगी गुज़र रही थी।

दोनों बहनों को साथ बढ़ते देख कर उनके पिता माता का हृदय प्रफुल्लित हो जाता था।

तीन ही महीने हुए थे कि मूर्ति अकस्मात् मूर्छित हो पड़ी, हकीम, वैद्य, अंग्रेज़ी दवा और चिकित्सक हर संभव उपाय अपना लिए पर मूर्ति की हालत दिनों दिन बिगड़ती जा रही थी। यहां तक कि वो उस हालत तक जा पहुँची कि उसने आँखे तक खोलना बंद कर दिया था, किसी शव की तरह बेजान पड़ी रहती और बुखार से पूरा शरीर गरम हुआ रहता।

माता पिता बेहद परेशान हो उठे। इधर लक्ष्मी भी छोटी सी जान थी, उसे कुछ भी नहीं पता चल रहा था। लक्ष्मी दिन भर रोती और अपनी माता के आँचल से चिपकी रहती। एक रात जब एक विख्यात चिकित्सक ने ये कह दिया कि "अब ये बच्ची को भगवान् ही बचा सकते हैं"। इतना सुन कर मूर्ति की माँ बिल्कुल निराश हो गयी, एक क्षण को जैसे मानो उस स्त्री की काया अचेतन पड़ गया।

उसी रात मूर्ति के पिता के एक मित्र रास्ते में मिलें और उन्होने एक अस्पताल का सुझाव दिया जहाँ कठिन से कठिन बीमारियों का इलाज़ सम्भव होता है। वो दम्पत्ति तीव्र गति से भागे, और वो अस्पताल पहुंचे, वहाँ पहुँचते ही अस्पताल कर्मचारियों ने शीघ्र मूर्ति का दाखिला करवा लिया। रात के 12 बजे की सन्नाटे को चीरते हुए एकाएक भागदौड़ मच गई। और मूर्ति इन सब बातों से अंजान बेजान पड़ी हुई थी। तुरंत ही वरिष्ठ चिकित्सक को सूचना दी गई और वो आधे घंटे के भीतर ही पहुँच गए और उस मूर्छित मूर्ति को शीघ्र ICU में ले गए। सभी आर्युविज्ञान परिचारिका जुट गई मूर्ति को बचाने मे, कुछ बाहरी पध्दति के माध्यम से जब शरीर के उच्च ताप को नियंत्रण मे लाने मे असफल रहें तब उन्होने मूर्ति को बर्फ़ कक्ष में रख दिया गया और जांघों पे अंत: क्षेप (इंजेक्शन) लगवाए गए। बर्फ कक्ष सम्पूर्ण शीशे से बना हुआ था, अतः बाहर से जब उसकी माँ ने जब उस छोटी सी बच्ची के नाजुक काया मे इंजेक्शन लगते देखा तो उनके अश्रु निकल आए।

तीन दिनों के बाद मूर्ति को बाहर सामान्य रोगीकक्ष मे स्थानांतरित किया गया, तब उसकी माता पिता के प्राण मे जैसे प्राण लौट आया, और तो और जब लक्ष्मी ने अपनी बहन को देखा तो उसके मुख पर से इतने दिनों की बेचैनी की सारी लकीरें हट गयी। बिना किसी और के चुप करवाए ही वो खुद ही चुप हो गयी और खिलखिलाने लगी। यह देख उनके माता पिता को भी सुकून मिला। लेकिन खतरा अभी तक टला नहीं। पूछने पर वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि, शरीर में लहू की कमी हो गयी है, इस कारण, उसे बाहरी रूप से खून चढ़ाना पड़ेगा। कुछ समय बाद, खून की कमी पूरी कर दी गई।

10 दिनों बाद, आखिर वो समय आ गया जब मूर्ति को अस्पताल से रिहायत मिल रही थी। मूर्ति को साथ लेकर वो वरिष्ठ चिकित्सक से मिलने गए, तो उन्होने बड़ी गंभीर रूप से कहा कि, शरीर बेहद नाजुक हो गयी है और क्योंकि उसे बर्फकक्ष मे रखा गया था, उसकी प्रतिरक्षित क्षमता घट गयी है जिस वजह से 10 वर्ष की उम्र तक गरम पानी मे स्नान करना पड़ेगा, ज़्यादातर खुद को ठंड से और बचाए रखना पड़ेगा, खट्टा जैसी चीज़ से परहेज रखना पड़ेगा।

इन्ही सब हालातों से गुज़रते हुए शुरू हुआ मूर्ति का जीवन।

वो घर वापस आए और शायद महीने भर बाद पूरा परिवार एकत्रित रूप से प्रसन्नता समेत रहने लगे।

Bạn cũng có thể thích

Heartless king

न्यूयोर्क शहर एक उँची ईमारत से, एक शख्स शीशे क़ी खिड़की के पास खड़ा  निचे आते -जाते हुए गाड़ीयों और लोगों को देख रहा होता हैँ..... उतनी ऊंचाई लोग और गड़िया उसे कीड़े माकोड़े क़ी तरह दिख रही होती हैं। वो निचे देखते हुए कुछ सोचे जा रहा था। तभी दो लोग अंदर आते हैँ, चलो हमें निकलना हैँ, काका हुजूर का बार बार फ़ोन आ रहा हैँ .... राजस्थान के लिए.... जैट तैयार हैँ......... वो शख्स, "हम्म्म " कहते हुए फिर से खिड़की क़ी तरफ देखते हुए और कहता हैं........... क्या उसके बारे कुछ मालूम हुआ, कहते हुए उसके आखों में एक दर्द उभर आया। दूसरा शख्स, "तुम आज तक नहीं भूले हो उसे..... सात साल हो गए.... कौन थी, कहाँ से आयी थी, केसी दिखती हैं,अब तक हमें मालूम नहीं हुआ,जैसे उसे जमीन खा गयी या आसमान निगल गया। जिन्दा भी हैं या मर गयी। तभी वो गुस्से में, उसका गला पकड़.... जस्ट शटअप दुबरा ये कहने की हिम्मत मत करना ये कहते हुए उसके आँखो में खून उतर आया। फिर झटके से उसे छोड़ दिया। वो खाँसते हुए अपने गले को सहलाता हैं। तभी वो मुड़ता हैँ और कहता हैँ..... उसकी पहली मुलकात के बाद यही कहूँगा क़ी उसके बगैर दिल कही लगता नहीं ज़ब तक जियूँगा उसे आखिरी सांस तक ढूढ़गा..... आगे महादेव क़ी मर्जी। तभी तीसरा शख्स छोड़ ना तू इसे जानता तो हैँ। तीनों निकल जाते हैं इंडिया के लिए.....

Dhaara_shree · Thành thị
Không đủ số lượng người đọc
32 Chs

बैक देन, आई अडोरड यू

मूल नाम : आकर्षक राजकुमार की पड़ोसन। एक दिन, वह गलती से उसके साथ सो गई। दो महीने बाद, उसने खुद को गर्भवती पाया, इसलिए उन्होंने शादी कर ली। "मिस्टर गु, मुझे इस रेस्टोरेंट का खाना बहुत पसंद हैं।" उसके बाद उस रेस्टोरेंट के बावर्ची को उनके घर पर रख लिया गया। "मिस्टर गु, मुझे उस ब्रैंड के बैग पसंद हैं।" उस ब्रैंड के डिज़ाइनर को उसके लिए विशेष तौर पर नियुक्त किया गया। वह शादी के बाद अपने आपको उसके लिए एक अजनबी समझती थी जैसा कि वह हमेशा से थी, लेकिन हकीक़त में वह उसकी कल्पना से भी ज़्यादा उससे स्नेह करने लगा था। बस एक नौकरी खोजने के अलावा वह उसकी सभी मांगों को पूरा करने के लिए तैयार था। जब वह घर पर बैठ-बैठ कर ऊब गई, तब वह नौकरी ढूंढने के लिए चुपके से घर से बाहर निकली। लेकिन जिस भी कंपनी द्वारा उसे काम पर रखा गया, वह किसी न किसी तरह दिवालिया होती चली गयी। आखिरकार, उसे पता चला ही गया कि यह शरारत किसकी थी। वह गुस्से में उससे सवाल करने गई लेकिन उसने उसे एक नटखट मुस्कान के साथ उसे नौकरी दे दी। अगले दिन वह खुशी से ऑफ़िस पहुंची और उसे मेज़ पर अपना कर्मचारी कार्ड मिला, जिसमें लिखा था- 'नाम: किन जहीए, पद: गु यूशेंग की बीवी।'

Ye Fei Ye · Thành thị
Không đủ số lượng người đọc
60 Chs

प्राइसलेस् बेबी'स सुपर डैडी

वह मनोरंजन का राजा है जो सब कुछ संभालता है। वर्षों से सिंगल (अविवाहित) है, और उसका किसी के साथ कोई चक्कर नहीं है। एक दिन, एक महिला और एक लड़की ने उसके जीवन को उलट-पलट कर दिया। छोटी सी, प्यारी लड़की ने उसे रोका, जाने नहीं दिया। "सुंदर अंकल, आप मुझे मेरे डैडी की तरह दिखते हैं, जिन्हें मैं कई सालों पहले खो चुकी हूं !" हुओ युनशेन उदास लग रहा था। "मैं? डैडी?" छोटी प्यारी लड़की ने गर्व से अपनी मम्मी को खींच के बुलाया, "मम्मी, मुझे आपके लिए लम्बे समय तक खिलाने पिलाने के लिए इंसान मिल गया है, सुंदर और भोला।" जू जियान उस मनोहर आदमी को देखकर मुस्कराई। पांच साल पहले की दुर्घटना को याद करते हुए युनशेन का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। "तुमने मेरा डीएनए चोरी करने की हिम्मत कैसे की?" वह हंसी। "चोरी नहीं की, बस उधार लिया था!" आदमी ने उसे अपनी बाहों में लिया और खतरनाक स्वर में चेतावनी दी, "सुनो! जो मेरा है क्या मुझे ब्याज सहित वापस नहीं मिलना चाहिए ?" वह अपने पैर की उंगलियों पर खड़ी होकर बोली, "हां ज़रूर , दूसरे बच्चे के बारे में क्या ख्याल है?"

Ban Cheng Fan Xue · Thành thị
Không đủ số lượng người đọc
60 Chs