सामान रखने और सपना की सीट बेल्ट और दरवाज़े के लॉक की जाँच करने के बाद, गौरव ने घर की ओर गाड़ी बढ़ाई।
"हैलो, मैं गौरव चंद्र हूं। आपसे मिलकर अच्छा लगा सुश्री सपना "
"आपसे मिलकर बहुत भी अच्छा लगा, गौरव"
"मेरी माँ मुझे लगता है कि भ्रमित हो गई क्यूंकि उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हे लोहिया कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स में स्नातोत्तर में प्रवेश मिला हैं।"
"दीपाली मौसी भ्रमित नहीं हैं। मुझे उनके स्नातकोत्तर प्रोग्राम में 6 महीने के लिए प्रवेश मिला है। उसके बाद मैं पूर्ण छात्रवृत्ति पर पेरिस में नेशनल स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स से फाइन आर्ट्स में स्नातकोत्तर कोर्स में शामिल होने के लिए फ्रांस जा रही हूं।
"अरे वाह, ये तो बहुत बड़ी उपलब्धि है। बढ़ाई हो" गौरव ने काफी प्रभावित होकर कहा।"
"धन्यवाद" सपना बोली
गौरव हमेशा खुद को प्रतिभाशाली और दूसरों से बेहतर समझता था लेकिन 12 साल की एक बच्ची ने उसे दिखा दिया कि वह वास्तव में बहुत साधारण हैं।
"क्या तुम्हे डर नहीं लगता हैं?" जिज्ञासु गौरव से पूछा।
"लगता है लेकिन डर को आपको अपनी मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोकना चाहिए और मैं पेंटिंग और कला के सभी बारीकियों को सीखना चाहती हूं। ताकि मैं खुद को बेहतर तरीके से व्यक्त कर सकूं। पूर्ण ज्ञान के बिना मैं खुद को प्रतिबंधित पाती हूं और मुझे लगता है कि अपनी कला को पूरा सीखे बिना मैं अपनी वास्तविक क्षमता हासिल नहीं कर पाऊंगी। साथ ही, आप कभी भी सब कुछ नहीं सीख सकते। सीखने के लिए हमेशा कुछ नया और अलग होता है। " कहा बहुत गंभीर सपना ने
गौरव फिर से हतप्रभ था। वह बस समझ नहीं पा रहा था कि 12 साल की बच्ची इतनी गहराई से कैसे सोच सकती है।
सपना के साथ हुई इस बातों ने उसे बहुत ही कटु सत्य से अवगत करा दिया था। वह अब सोच रहा था कि कैसे उसने हमेशा सोचा कि वह सबसे अच्छा जानता है और अपने पिता के वफादार वरिष्ठ कर्मचारियों की बात सुनने से इनकार कर दिया था, तब भी जब उनके विचारों में योग्यता थी। कैसे उसने कभी दूसरों से सीखने की कोशिश नहीं की लेकिन हमेशा दूसरों को अपने विचार का पालन कराने की कोशिश की।
हालाँकि वह अब तक असफल नहीं हुआ था लेकिन नया कुछ सीखे उसे सालों हो गए थे।
गौरव ने फैसला किया कि अब वह अपने विचारों को थोपने की कोशिश नहीं करेगा बल्कि उन पर चर्चा करेगा और दूसरों से सीखेगा। वह भागीदारी और खुले माहौल को प्रोत्साहित करेगा।
"बहुत बहुत धन्यवाद, सपना और अगर तुम्हे ठीक लगे, तो तुम मुझे गौरव भैया कह सकती हो" बहुत भावुक गौरव ने कहा
"गौरव भैया धन्यवाद किस लिए" उत्सुक सपना ने पूछा
"अपने विचारों को बेखौफ, ग्लानिहीन और शुद्ध तरीके से रखने के लिए धन्यवाद" गौरव ने कहा
"कोई बात नही" थोड़ी अचकचाई सपना ने कहा।