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कार्तिक अंश आर्या

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Tóm tắt

एक 18 साल का लड़का अपने सपने साकार करने के लिए यूनिवर्सिटी गया । पर उसे कहां पता था कि उसके सपनों को नजर लगने वाली है वह अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर यूनिवर्सिटी में दाखिल हुआ था। पर उसे कहां पता था जिस यूनिवर्सिटी में जाने का सपना देख रहा था उसी यूनिवर्सिटी में उसके साथ इतना बड़ा अन्याय होगा । और उसे मौत के घाट उतार कर फेंक दिया जाएगा उसका बूढ़ा पिता दर-दर की ठोकर खाते हुए उसके लिए इंसाफ पाने के लिए भटकता रहेगा क्या कोई मसीहा आएगा ? जो उसके पिता को और उसे इंसाफ दिलाएगा या कोई और चमत्कार होगा । क्या वह वाकई मर चुका है ??

Thẻ
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Chapter 1chapter 1

पुलिस स्टेशन के सामने एक बूढ़ा आदमी बेहतास बैठा हुआ था।

उसके आँखों के आंसू पूरी तरह से सूख गए थे।

उसकी हालत देखकर कोई भी उसकी दर्द की दास्तां सुना सकता था।

उसके चेहरे की झुर्रियां उसके साथ बीती बर्बरता की कहानी बयां करती थी।

उसके झुके हुए कंधे इस समाज की निर्दयता और अत्याचार की दास्तां बया करती है।

उसकी मुरझाइ हुई सी जिंदगी उसके साथ बीती हर हद की कहानी बया करती है ।

न जाने वह चुपचाप कितने घंटों पुलिस स्टेशन के सामने घुटनों के बल बैठा रहता था ।

फिर भी कोई उसकी पुकार नहीं सुनता था।

तभी एक पुलिस वाला अंदर से आया और उसे धक्का देते हुए कहने लगा ।

"जाओ यहां से"

" क्यों रोज यहाँ पर आ जाते हो? तुम्हें यहां कुछ नहीं मिलेगा।"

"फिर तुम यहाँ क्यों आते हो? तुम्हें यहां इंसाफ नहीं मिलेगा।"

" तुम्हारे बेटे ने जो

और सब कुछ जानते हुए तुमने उसका साथ दिया।"

"उसे उन बड़े लोगों से पंगा नहीं लेना चाहिए था।"

"हमें अपनी औकात से ऊपर उड़ने की हिम्मत नहीं करनी चाहिए ।"

"तुमने अपने बेटे को उसकी औकात से ऊपर सपने देखना नही सिखाना चाहिए था ।"

"तुम यह सब जानते थे ।"

"तुम्हारा उनसे कोई मुकाबला नहीं है ,फिर भी तुमने अपने बेटे को नहीं समझाया ।"

" तुम्हें पहले समझ में नहीं आया जो तुमने अपने बेटे को सिखाया है "

"उसका अंजाम क्या होगा"

" तुम्हें उसे समझाना चाहिए था "

"बड़े लोगों के बच्चे कुछ भी कर सकते हैं ,कुछ भी हो पर कोई नहीं उन पर उंगली नहीं उठाएगा ,पर वही हम गरीबों के छोटी सी छोटी बात की सजा भुगतनी पड़ती है।"

" जाओ यहां से तुम्हें यहां कुछ नहीं मिलेगा "

"बंद करो यहां रोज आना और भगवान से प्रार्थना करो"

"तुम्हारे बच्चे की लास मिल जाए ।"

"और हां यहां आने की वजह जाओ उसे अस्पतालों के मुर्दा घरों में ढूंढो ।"

"वहीं कहीं उसकी सड़ी गली लाश पड़ी होगी ।"

"पर कोई फायदा नहीं है इतनी ऊंचाई से बहते हुए पानी में गिरा था ,पता नहीं कौन सी मछली या मगरमच्छ उसकी लाश को खा गए होंगे।"

" बस तुम यहां से निकल जाओ ।"

उसने उस बूढ़े को एक जोरदार धक्का दिया।

बेचारा बूढ़ा आदमी लड़खड़ाते हुए कदमों से जमीन पर गिर गया ।

कुछ देर जमीन पर पड़े हुए उस बूढ़े आदमी ने अपनी लकड़ी के सहारे दोबारा उठने की कोशिश की।

और लड़खड़ाते कदमों से आगे की ओर बढ़ना चाहा ठोकर खाकर वह दोबारा जमीन पर गिरने ही वाला था तभी अचानक एक हाथों की जोड़ी उसे पकड़ लिया ।

उस व्यक्ति ने टकटकी बांधकर उस बूढ़े व्यक्ति की तरफ देखा और कहा "अरे सर आप क्या कर रहे हैं ?"

"और आप कैसे हैं?"

अपने सामने के व्यक्ति को पहचानने में असमर्थ बूढ़ा व्यक्ति आंखों से देखता है और पूछता है "तुम कौन हो ?बेटा तुम मेरी मदद क्यों कर रहे हो?

उनके सामने वाले व्यक्ति ने कहा "आपने मुझे पहचाना नहीं सर? "

"मैं आप का छात्र हू। "

"मैं कार्तिक रॉय हूं ।"

"आपने मुझे हाईस्कूल तक बढ़ाया है ।"

"उसके बाद में आगे पढ़ाई के लिए विदेश चला गया था।"

" मैं अभी कुछ दिन पहले इस शहर में लौटा हूं और आपसे मिलने जाने के लिए सोच रहा था"

" और आज अचानक आप मुझे यह इस हाल मिले है और आप कैस है सर ?"

"हाँ औरआपका बेटा कैसा है ? "

" अब तो वहां बहुत बड़ा हो गया होगा ।"

"वह मुझसे 3 साल छोटा था जब मैं टेन क्लास में पढ़ रहा था तब मैंने उसे सातवीं क्लास में पढ़ रहा था"

"अब वह कहां है?"

बेचारा बूढ़ा व्यक्ति रोते हुए ,उस जवान व्यक्ति के सीने से लग गया और रोने लगा

"मार दिया मेरे बेटे को।"

" इन लोगों ने उसे मर कर पानी में फेंक दिया"

"क्या गलती थी उसकी ?"

उसने सिसकते हुए कहा "बस इतनी कि वह बड़े लोगों के खिलाफ खड़ा हो गया था।"

" उसे उन बड़े लोगों के खेल में फसाया गया।"

" उन्होंने ना सिर्फ उसका दिल तोड़ा यहां तक कि उसको मार ही दिया। "

"मैं पिछले 2 साल से रोज इस पुलिस स्टेशन के चक्कर लगाता हूं ।"

"इस उम्मीद में कि कोई तो मेरे बेटे की खबर मुझे देगा पर यह लोग मुझे हमेशा धक्का मार कर भगा देते हैं ।"

"2 सालों में मैने हर दरवाजे को खटखटाया है ।"

"पर किसी ने मेरी मदद नहीं की "

"कोई भी मेरी मदद नहीं करता"

" आखिर क्या गलती थी मेरे बेटे की "

वह बुढ़ा अपने बेटे का नाम लेकर जोर-जोर से उस व्यक्ति के सामने रोने लगा।

------------------------------------------------------------------------- flashback .....

"सन् 19 99दोपहर 12:00 बजे"..... /

गौतम सर बेचैन खड़े थे ।वह इधर से उधर चक्कर काट रहे थे ।

अंदर उनकी पत्नी दर्द से चिल्ला रही थी।

गौतम सर पूरी तरह से घबरा रहे थे और बार-बार लाल बत्ती को जलते हुए देख रहे थे ।

लगभग 1 घंटे बाद ऑपरेशन रूम से एक बच्चे के रोने की आवाज आई और गौतम सर आवाज सुनकर राहत की सांस ली।

अंदर से नर्स अपने हाथों में एक नवजात शिशु को लेकर

नर्स ने गौतम सर के हाथों में एक सुंदर , सुशील नवजात शिशु को रखा

और डॉक्टर ने उनसे कहा

" सॉरी गौतम सर ,हम आपकी पत्नी को नहीं बचा सके"

" और सर यह आपका बेटा आपकी पत्नी का आखिरी निशानी हैं । "

"आप इसे अपनी पत्नी का अंश समझना और इसकी अच्छे से देखभाल करना।"

गौतम सर ने उस बच्चे को अपने हाथों में लिया और उसके चेहरे की मासूम विशेषताओ को देखते हुए उनका दिल मानो उस बच्चे का चेहरा देखकर पिघल गया।

और उन्होंने उसे अपने हाथों में लेकर अपने सीने से लगा लिया।

और रोते हुए कहा " मेरी पत्नी कहीं नहीं गई ।"

"वह मेरे बेटे के रूप में लौट आई हैं "

"मेरा बेटा मेरी पत्नी का अंश है ।"

"इसीलिए मैं इसका नाम अंश रखूंगा।"

अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद , गौतम सर ने अपने बेटे को ही अपनी दुनिया बना लिया था।

वह अकेले ही बच्चे की परवरिश कर रहे थे। वह अपने बच्चे के लिए मां और पिता दोनों का कर्तव्य निभाया करते हैं ।

वह अपने बच्चे को कभी उसकी मां की कमी महसूस नहीं होने देते ।

उन्होंने अपनी पत्नी की आखिरी निशानी को बहुत संभाल कर पाला -पोसा ।

धीरे-धीरे समय बीत गया और अंस स्कूल जाने लगा।

वह एक बहुत ही अच्छा बच्चा था । वह हर काम में नंबर 1 था ।

गौतम सर को उस पर बहुत गर्व था ।

वह एक बहुत ही समझदार बच्चा था ।

वह कुछ भी तुरंत सीख जाता था ।उसमें सीखने की बहुत लगन थी ।

वह एक जिम्मेदार बच्चा था ।गौतम सर ने हमेशा उसे सच्चाई और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया था ।

अपने पिता की छत्रछाया में वह एक आदर्श बच्चा बन रहा था ।

देखते ही देखते समय कब पंख लगा कर उड़ गया। गौतम सर को पता भी नहीं चला कि अंश कब बढ़ा हो गया।

उसने हाई स्कूल टॉप किया और वह अपने क्षेत्र का टॉपर बना था ।

सभी लोग उससे बहुत प्यार करते थे और उसका सम्मान करते थे ।

वह सभी की आंखों का तारा था ।

माता पिता अपने बच्चे को अंश के समान बनाना चाहते थे ।अपनी उम्र के बच्चों से वह बहुत अलग था।

उसने अपने पिता के सभी गुणों को प्राप्त किया था ।

गौतम सर ने उसे बहुत अच्छी शिक्षा दी थी ।

अपने हाईस्कूल में डिगररी हासिल करने के बाद अंश को आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए स्कॉलरशिप मिली थी ।

जब गौतम सर को यह पता चला तो वह बहुत खुश थे पर वे दुखी भी थे क्योंकि अब अशन को आगे की पढ़ाई करने के लिए अपने पिता से दूर जाना था।

होस्टल में रहकर अपनी पढ़ाई कंप्लीट करनी थी। पर गौतम सर ने बड़ी मुश्किल से अशं को समझाकर पढ़ने के लिए दूसरे यूनिवर्सिटी मे भेजा ।

वह दुखी मन से यूनिवर्सिटी चला गया और

यहीं से उसका बुरा समय चालू हो गया था।

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कार्तिक की pov

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" आज मैंने गौतम सर को इतने सालो के बाद देखा तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ ।

"गौतम सर एक बहुत ही समझदार और ईमानदार व्यक्ति है।

" मुझे यह जानकर बहुत ही बहुत ही अक्चरय हुआ।

"कोई उनके साथ इतना क्रूर व्यवहार कैसे कर सकता है ।

"और उनके मासूम से बेटे को मार सकता है ।

मुझे उनकी मदद करनी होगी ,

और उनके बेटे को ढूंढना होगा ।

मुझे नहीं पता मैं यह सब कैसे करुगा, पर मुझे यह सब करना होगा ।

मुझे अभी भी बहुत अच्छी तरह याद है ,

जब मैंने" पहली बार गोतम सर के बेटे अंश को देखा था ।

तब मेरी उम्र सिर्फ 8 साल की थी और 5 साल का था बहुत ही प्यार और सुंदर बच्चा था ।

उसकी खूबसूरत मुस्कान थी, वह गोल मटोल सॉफ्ट क्यूट परी" की तरह दिखता था ।

वह हमेशा गौतम सर के पीछे घूमता रहता था।

जिस दिन मैंने उसे पहली बार देखा था, मैं नहीं जानता पर उसने मेरे दिल में एक खास जगह बना ली थी।

मैं" उससे 3 साल बड़ा था, फिर भी हम दोस्त बन गए ।

वह हमेशा मेरे" पीछे घूमता रहता , कार्तिक भाई ,कार्तिक भाई मुझे बुलाता था ।

वह स्कूल में मेरे "साथ खेलता था । मैं उसका होमवर्क करने में मदद करता था।

धीरे-धीरे हम दोनों बड़े हो रहे थे और हम ओर भी करीब होते जारहे थे।

मैं "हाई स्कूल में था तब मुझे पहली बार उसके लिए अजीब सा महसूस हुआ।

मुझे" उसके लिए क्या महसूस हो रहा था, उस समय में यह नहीं बता सकता था ।

उस समय में सिर्फ 14 साल का था, और वह 11 साल का था ।

पर फिर भी मेरी आंखें हमेशा उसकी तलाश करती थी।

मैं "उसकी मुस्कुराहट का आदी था।

उसकी मुस्कुराहट मेरे दिल में एक गर्मी पैदा करती थी ।

मैं क्यों उस को हमेशा अपने पास रखना चाहता था।

जब भी वह स्कूल में मुझे दिखाई नहीं देता था, तो मेरा मन उदास रहता।

उस समय मुझे नहीं पता था, कि मेरी भावना है ।

जब मेरा हाई स्कूल कंप्लीट हुआ, और आगे की पढ़ाई करने के लिए दूसरे देश जाना था।

तब वह फूट - फूट कर रो रहा था

और मुझे उसको छोड़ कर जाने नहीं दे रहा था ।

और मेरा भी हाल कुछ खास नहीं था, मुझे समझ नहीं आ रहा था।

मेरे साथ क्या हो रहा है ।

विदेश जाना मेरा हमेशा से सपना था ।

पर मैं उसको छोड़ कर नहीं जाना चाहता था।

मैंने" उससे प्रॉमिस किया , कि 1 दिन में उसके पास जरूर वापस आऊंगा।

मैं उसे छोड़कर विदेश चला गया ,ओर अपनी

पढ़ाई कर पूरी करने लगा ।

पर ऐसा 1 दिन भी नहीं गया ,जिस दिन मैंने उसे याद नहीं किया हो।

वह मेरी जिंदगी का एक हिस्सा बन गया था।

मैं हमेशा उसके बारे में सोचता रहता, अब वह कैसा दिखता होगा ।

क्या करता होगा, कितने दोस्त होंगे, या उसकी गर्लफ्रेंड होगी या नहीं।

गर्लफ्रेंड के नाम पर मुझे हमेशा खाली महसूस होता था ।

क्योंकि कहीं ना कहीं मुझे पता था, मैं उससे प्यार करता हूं।

मैं 8 साल की उम्र मे उसके लिए गिर गया ।

अब हरदम यही सोचता था, काश मुझे एक बार मौका मिले तो मैं उसे अपने दिल का हर बात सुना सकू।

अपनी पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद, और एक काबिल वकील बनने के बाद, मैं यहां उसे अपने दिल की बात बताने आया था।

पर यहाँ मुझे पता चला, जिस व्यक्ति से मैं प्यार करता था ।

उसे कुछ लोगों ने अपने मतलब के लिए मार दिया है ।

मैं कसम खाता हूं ।

मैं उसके हर एक गुनहगार को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लुगा।

यह मेरा खुद से वादा है ।

मैं उसे इंसाफ दिला कर ही दम लूंगा।

चाहे इसके लिए मुझे किसी भी हद तक क्यों ना जाना पड़े।

मैं तब तक चुप नहीं बैठूंगा, जब तक मैं उसे इंसाफ नहीं दिलासा।

पर इससे पहले मुझे

अंश के साथ क्या हुआ इसके बारे में सभी जानकारी इकट्ठा करनी होंगी।

मैंने गोतम सर से प्रॉमिस किया है ,कि मैं अंश के गुनहगारों को उनके सही मुकाम तक पहुंच जाऊंगा ।

इसके लिए मुझे जान की बाजी तक क्यों न लगानी पड़े ,पर मै पीछे नहीं हटूंगा।

यही मेरे प्यार का इजहार होगा।

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सनातन गंगा

सनातन धर्म शाश्वत नियम है. जीवन के कुछ खास तत्व या बुनियादी पहलू हैं जो हमेशा लागू होंगे. सनातन धर्म का मतलब है कि हमारे पास इस बात की अंतर्दृष्टि है कि जीवन हमेशा कैसे कार्य करत सनातन धर्म शब्द का आज आम तौर पर गलत इस्तेमाल होता है. यह एक गलतफहमी है कि धर्म का मतलब मजहब होता है. धर्म का मतलब मजहब नहीं है, इसका मतलब नियम होता है. इसीलिए हम विभिन्न प्रकार के धर्मों की बात कर रहे हैं - गृहस्थ धर्म, स्व-धर्म और विभिन्न दूसरे किस्म के धर्म. मुख्य रूप से, धर्म का मतलब कुछ खास नियम होते हैं जो हमारे लिए इस अस्तित्व में कार्य करने के लिए प्रासंगिक हैं। आज, इक्कीसवीं सदी में, चीजों को संभव बनाने के लिए आपको अंग्रेजी जाननी होती है. यह एक सापेक्ष चीज है. हो सकता है कि पांच सौ से हजार सालों में, ये कोई दूसरी भाषा हो सकती है. हजार साल पहले ये एक अलग भाषा थी. वो आज के धर्म हैं - वो बदलते रहते हैं. लेकिन सनातन धर्म शाश्वत नियम है. जीवन के कुछ खास तत्व या बुनियादी पहलू हैं जो हमेशा लागू होंगे. सनातन धर्म का मतलब है कि हमारे पास इस बात की अंतर्दृष्टि है कि जीवन हमेशा कैसे कार्य करता है। कुछ दिन पहले मुझसे पूछा गया कि हम सनातन धर्म की रक्षा कैसे करें? वैसे, क्या सनातन धर्म को सुरक्षा की जरूरत है? नहीं, क्योंकि अगर वह शाश्वत है, तो मैं और आप उसकी सुरक्षा करने वाले कौन होते हैं? लेकिन इस सनातन धर्म तक कैसे पहुंचें और इन नियमों के जानकार कैसे हों, और उसे अपने जीवन में कैसे लागू करें. इन पहलुओं के बारे में आज की भाषा में, आज की शैली में, और आज के तरीके में बताए जाने की जरूरत है, ताकि यह इस पीढ़ी के लोगों को आकर्षक लगे. वे इसे इसलिए नहीं अपनाने वाले हैं क्योंकि आप इसे कीमती बता रहे हैं. आप इसे उनके दिमाग में नहीं घुसा सकते. आपको उन्हें इसकी कीमत का एहसास दिलाना होगा, आपको उन्हें यह दिखाना होगा कि यह कैसे कार्य करता है. सिर्फ तभी वे इसे अपनाएंगे. सनातन धर्म को सुरक्षा की जरूरत नहीं है. इसे जिए जाने की जरूरत है, इसे हमारी जीवनशैली के जरिए हम सब के अंदर जीवित रहना चाहिए. अगर हम ऐसा नहीं करते, तो इसकी रक्षा करने से ये अलग-थलग हो जाएगा। सनातन धर्म को मुख्य धारा में लाना ही मेरा प्रयास है. बिना धर्म शब्द को बोले, मैं इसे लोगों के जीवन में ला रहा हूंं, क्योंकि अगर इसे जीवित रहना है तो इसे मुख्य धारा बनना होगा. एक बड़ी आबादी को इसे अपनाना होगा. अगर बस थोड़े से लोग इसे अपनाते हैं और यह सोचते हैं कि वे बेहतर जानते हैं, और वे हर किसी से ऊंचे हैं, तो यह बहुत ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहेगा. हम इस संस्कृति के सबसे कीमती पहलू को, इस मायने में मार देंगे कि धरती पर यही एक संस्कृति है जहां उच्च्तम लक्ष्य मुक्ति है. हम स्वर्ग जाने की या भगवान की गोद में बैठने की योजना नहीं बना रहे हैं. हमारा लक्ष्य मुक्ति है, क्योंकि आप जो हैं, अगर आप उसके अंतरतम में गहरे खोजते हैं, तो आप समझेंगे कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि यह चाहे सुख हो, ज्ञान हो, प्रेम हो, रिश्ते हों, दौलत हो, ताकत हो, या प्रसिद्धि हो, एक मुकाम पर आप इनसे ऊब जाएंगे. जो चीज सचमुच मायने रखती है वो आजादी है, और इसीलिए यह संस्कृति महत्वपूर्ण है - बस आज के लिए ही नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी। अतीत में लोग सनातन धर्म के लिए वाकई तैयार नहीं थे, क्योंकि हर पीढ़ी में सिवाय कुछ लोगों के, बड़े पैमाने पर कोई बौद्धिक विकास नहीं था. तभी तो वे कभी यह नहीं समझ सके कि आजाद होने का क्या मतलब होता है, उन्होंने सिर्फ सुरक्षा खोजी. अगर आप धरती पर सारी प्रार्थनाओं पर गौर करें, तो उनमें से नब्बे प्रतिशत सिर्फ इस बारे में हैं - ‘मुझे यह दीजिए, मुझे वह दीजिए, मुझे बचाइए, मेरी रक्षा कीजिए!’ ये प्रार्थनाएं मुक्ति के बारे में नहीं हैं, वे जीवन-संरक्षण के बारे में हैं। लेकिन आज, मानव बुद्धि इस तरह से विकास कर रही है कि कोई भी चीज जो तर्कसंगत नहीं है, वो दुनिया में नहीं चलेगी. लोगों के मन में स्वर्ग ढह रहे हैं, तो ये आश्वासन कि ‘मैं तुम्हें स्वर्ग ले जाऊंगा,’ काम नहीं करने वाला है. अब कोई भी स्वर्ग नहीं जाना चाहता.  सनातन धर्म के लिए यह सही समय है. यही एकमात्र संस्कृति है जिसने मानवीय प्रणाली पर इतनी गहाराई से गौर किया है कि अगर आप इसे दुनिया के सामने ठीक से प्रस्तुत करें, तो ये दुनिया का भविष्य होगी. सिर्फ यही चीज है जो एक विकसित बुद्धि को आकर्षित करेगी, क्योंकि ये कोई विश्वास प्रणाली नहीं है. यह खुशहाली का, जीने का और खुद को आजाद करने का एक विज्ञान और टेक्नालॉजी है. तो सनातन धर्म कोई अतीत की चीज नहीं है. यह हमारी परंपरा नहीं है. यह हमारा भविष्य है।

Nilmani · Hiện thực
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