मेरा क्रॉसड्रेसर के तौर पर लिया हुआ इंदौर शहर का अनुभव। #Crossdresser #LGBTQ
मंगलवार था। नवरात्रि के पिछले हफ्ते का। परिमल राजपूत नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट से मुझे 2 ही मैसेज आए थे । प्रोफाइल में सिर्फ एक राजपूती पगड़ी और तलवार का फोटो था। मैं ऑफिस जल्दी जाने की कोशिश में थी। मैसेज बहोत ही मस्त शेर, सुंदरता के लिए, लिखा था और साथ में एक राजपूतानी नथनी का फोटो भी डाला था। मुझे उस फोटो के देखकर ही मन ही मन उसे पहनने का धीर हो रहा था। मैने रिप्लाई में सिर्फ हेलो बोलके बताया कि ऑफिस पोहोंच के आराम से बात करूंगी।
हीरो पे बैठके 40 मिनट्स में ऑफिस पोहोंची तो उनका रिप्लाई आ गया था।
अब मैं थोड़ा मेरे बारे में बताती हूं। मैं एक सामान्य दिखनेवाला लड़का हूं मगर मुझे ऐसा बचपन से ही लगता है कि मेरी आत्मा सिर्फ एक लड़की की कि है। मुझे लड़की जैसा रहना, बोलना, खाना, पीना, कपड़े पहनना सब पसंद है। खास करके उनके अलग अलग तरह के ज्वैलरी। उसको देखके मुझे ऐसा लगता है की कब मैं ऐसा पहन सकूंगी। किसी शादी में अगर जाति हूं तो मैं सिर्फ दुल्हन को निहारती रहती हूं। मैने खुद मेकअप करना, ड्रेस अप करना और ज्वेलरी पहनना सिख लिया है। मगर मेरी 17की उम्र में मेरा मेरे दोस्त के भाई के साथ जो चक्कर चल रहा था तो उसने मुझे मेरी औरत होने का एहसास दिलाया। उसके बदले में मैंने मेरी जवानी उसपे लूटा दी वो कुछ अलग बात है। कभी फुर्सत में बताऊंगी।
मगर उस दिन जो मैसेज आए थे राजपूत साहब से उससे मेरा दिल बोहोत मचल रहा था। एक तो उन्होंने पहले ही मुझे बताया कि उनकी उम्र 45 है और वो जवान लड़के नहीं है। सच बोलना कभी कभी बोहोत अच्छा काम।करता है। और मुझे उन्होंने पूछा कि क्या मैं उनके लिए क्रॉसड्रेस करके कुछ समय उनके साथ बिता सकती हूं? सिर्फ शर्त ये थी कि जब तक वो मुझे परमिशन न दें तब तक मैं लड़कों के कपड़े नही पहन सकता उनके घर पे। ये तो मेरे लिए -अंधा मांगे एक आंख और भगवान दे दो-जैसा हो गया।