सलमा हम कुछ नहीं कर सकते हैं, हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है, हमें हमारे बेटे को उस हरे आयाम में जाने देना चाहिए, हामिद ने सलमा को समझाया।
तुम पागल तो नहीं हो गए हो हामिद, हरे आयाम में उसे आध्यात्मिक जानवरों का शिकार करना होगा, समीर ने तो आज तक ओबेरोन ग्रह पर पाए जाने वाले साधारण जानवरों का शिकार नहीं किया है, वह यह सब कैसे कर पाएगा, सलमा ने हल्के गुस्से में कहा।
अभी हरे आयाम में जाने के लिए 40 दिन का समय बचा है, इस बीच में कोई ना कोई तरीका निकाल लूंगा तुम बेफिक्र रहो, हामिद ने सलमा से कहा।
पर सलमा कहां मानने वाली थी, उसने हामिद से कहा, क्यों ना हम अपने बेटे को यहां से दूर जाने के लिए कह देते हैं, और कंचन जंगा शहर के मुखिया को बता देंगे, कि हरे आयाम का नाम सुनकर हमारा बेटा डर से भाग गया।
हम ऐसा नहीं कर सकते हैं, हमारा बेटा आज तक इस जगह से बाहर नहीं गया है, और अब तुम उसे यहां से बाहर जाने के लिए कह रही हो, वह बाहर कैसे रह पाएगा, और अगर किसी को हमारी इस हरकत का पता चल गया, तो वह कंचन जंगा शहर के मुखिया से हमारी शिकायत कर देगा, हमें और हमारे बेटे को सजा मिलेगी, मुझे अपनी तो कोई फिक्र नहीं है लेकिन मैं तुम्हें और अपने बेटे को तकलीफ में नहीं देख सकता हूं, हामिद ने उसे फिर से समझाया।
क्यों ना हम दुनिया को उसके राज के बारे में बता दें, उसके बाद वह इस हरे आयाम में हिस्सा नहीं लेगा, सलमा ने फिर से कहा ।
सलमा की बात सुनकर हामिद को बहुत गुस्सा आया, उसका मन कर रहा था कि वह सलमा को एक चांटा मारे और उसे नींद से जगाए, पर वह जानता था की सलमा इस समय अपने बेटे के लिए बहुत ज्यादा चिंतित थी, इसीलिए वह इसके बाद होने वाले परिणाम के बारे में नहीं सोच रही थी।
हामिद ने सलमा के हाथ को अपने हाथ में पकड़ते हुए कहा, तुम इतनी ज्यादा चिंता मत करो, अगर हम अपने बेटे का राज दुनिया के सामने बता देंगे, तो वह इस मुसीबत से तो बच जाएगा, लेकिन उसके बाद उसके जीवन में क्या होगा यह तुमने सोचा है।
हामिद की बात का वह फिर से आकलन करने लगी, उसे समझ में आ गया था, किसी भी हालत में हरे आयाम में जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है, उससे बचने के सारे रास्ते और भी ज्यादा मुश्किल हैं।
हामिद तुम्हें मुझसे वादा करना होगा तुम मेरे बेटे को कुछ नहीं होने दोगे, अगर उसे कुछ हो गया, तो मैं जिंदा नहीं रह पाऊंगी, सलमा ने रोते हुए कहा।
तुम बेफिक्र रहो सलमा, मैं हमारे बेटे पर एक भी आंच नहीं आने दूंगा, मुझे उसकी ताकत पर भरोसा है, कुछ समय के प्रशिक्षण में ही, हमारा बेटा हरे आयाम की परीक्षा को पास कर लेगा, हामिद ने पूरे विश्वास से कहा।
दो दिन बीत गए, आज हामिद का पूरा परिवार शहर के लिए निकलने वाला था, हामिद और समीर आखरी बार नाव का निरीक्षण करने गए थे, और वहां से लौटते समय।
पिताजी मैं देख रहा हूं की मां पिछले दो दिन से काफी ज्यादा उदास है, समीर ने प्रश्न पूछा।
दरअसल पिछले दो दिन में उसने अपनी मां को काफी उदास देखा था, उसके चेहरे पर बहुत कम बार मुस्कान आई थी, जबकि उसकी मां पहले मुस्कुराती रहती थी, लेकिन अब वह समीर के सामने मुस्कुराती तो थी, पर उसकी मुस्कुराहट में वह खुशी नहीं होती थी, जो समीर को पहले अपनी मां के चेहरे में दिखाई देती थी।
हामिद समझ गया था कि उसके बेटे ने अपनी मां के दुख को पहचान लिया है, पर वह उसे अभी असली वजह नहीं बताना चाहता था, इसलिए उसने बात को दूसरी दिशा में घुमा दिया।
और अपने बेटे से कहा, वह क्या है ना मेरे बेटे, तुम्हारी मां इतने लंबे समय के लिए अपने इस घर से दूर नहीं गई है, लेकिन अब वह 4 महीने के लिए शहर में रहना चाहती है, पहले तो वह इसके लिए काफी खुश थी, लेकिन जैसे-जैसे समय नजदीक आता गया वह उदास रहने लगी, यह औरतों की आदत होती है इसमें हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं।
अगर मैं तुम्हारी मां को अभी इस बारे में समझाने के लिए जाऊंगा, तो वह मुझसे झगड़ पड़ेगी, क्या तुम चाहते हो कि तुम्हारी मां और मेरे बीच फिर से लड़ाई हो।
मुझे जाने से पहले आपका झगड़ा नहीं देखना है, समीर ने कहा।
कुछ ही देर में वह दोनों घर पहुंच गए।
उसके बाद पूरा परिवार मिलकर घोड़ा गाड़ी में शहर के लिए निकल गया।
कंचन जंगा शहर पहुंच कर समीर शहर के घरों को देखने लगा, उसने पहले कभी इतने सुंदर घर नहीं देखे थे, क्योंकि समीर जिस घर में रहता था, वह घर तीन लोगों के लिए काफी बड़ा था।
लेकिन कंचन जंगा शहर के घर उसके घरों की तुलना में काफी बड़े और अच्छे थे, फिर उनकी घोड़ा गाड़ी एक हवेली के सामने खड़ी हो गई।
चौकीदार ने गेट खोला और उनकी घोड़ा गाड़ी हवेली के सामने पहुंच गई।
समीर हवेली को देखकर बहुत आश्चर्यचकित हो रहा था, यह हवेली काफी बड़ी थी उसके घर की तुलना में, हवेली के आगे एक खूबसूरत बड़ा गार्डन बना हुआ था।
मां, क्या यह हवेली हमारी है, समीर ने पूछा।
हां मेरे बेटे या हवेली हमारी है, सलमा ने जवाब दिया।
वह तीनों हवेली के अंदर की ओर जाने लगे, हवेली के अंदर से कुछ नौकर आए और घोड़ा गाड़ी में से सामान निकालने लगे, और फिर हवेली के अंदर सामान ले जाने लगे।
मालिक मुझे बड़ी खुशी है कि आप इस हवेली में वापस आ गए, एक बूढ़े आदमी की आवाज आई।
कैसे हैं आप मुनीम जी, हामिद ने कहा।
मैं ठीक हूं मालिक, मैं आज भी उस दिन के लिए आपसे माफी मांगता हूं, जिस दिन मैंने आपको वह बेकार सी सलाह दी थी और आपने उसे मान लिया था, मुनीम जी ने कहा।
नहीं मुनीम जी आप गलत बोल रहे हैं, वह मेरी जिंदगी की सबसे अच्छी सलाह थी, उस सलाह ने मेरी पूरी जिंदगी ही बदल दी, हामिद ने कहा।
पर मालिक.., मुनीम जी बस इतना ही बोल पाए थे, कि हामिद ने उनकी बात काटते हुए कहा, अब इन पुरानी बातों को आप रहने ही दीजिए और बतइए आप कैसे हैं।
मुनीम जी बोले, मैं तो ठीक हूं मालिक, और हमारा बिज़नेस भी बहुत अच्छा चल रहा है, सालाना इतनी बचत हो जाती है कि आप अपनी पूरी जिंदगी आराम से जी सकते हैं।
मुनीम जी मैंने आपसे पहले भी कहा था, मुझे इस जायदाद और बिजनेस में अब कोई दिलचस्पी नहीं है, हामिद ने कहा।
समीर उनकी बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था, उसने जब मुनीम जी की आवाज पहली बार सुनी थी, तो वह उनकी ओर घुमा, मुनीम जी की उम्र लगभग 140 से 150 साल के बीच की थी।
उनके चेहरे पर अब हल्का हल्का बुढ़ापा दिखने लगा था, लेकिन इस समय उनके चेहरे की मुस्कान देखकर कोई भी कह सकता था कि आज वह बहुत खुश है।
मालकिन आप कैसी हैं, रास्ते में कोई तकलीफ तो नहीं हुई, मुनीम जी ने पूछा।
मैं ठीक हूं, हम शहर से ज्यादा दूर कहां थे, कोई तेज घोड़ा दौड़ाकर हमारे पास 20 से 25 मिनट में पहुंच सकता है, सलमा ने कहा।
छोटे मालिक आप कैसे हैं, मुनीम जी ने समीर से पूछा।
मैं ठीक हूं, समीर ने कहा।
मां में शहर घूम के आना चाहता हूं, समीर ने अपनी मां से पूछा।
ठीक है बेटा, लेकिन अभी रुको, यह कहकर सलमा ने मुनीम जी को आंखों से इशारा किया।
मुनीम जी सलमा का इशारा समझ गए और उन्होंने तुरंत एक नौकर को वहां पर बुलाया, और उस नौकर को समझा दिया की छोटे मालिक शहर घूमना चाहते हैं तुम उनके साथ रहना।
नहीं मां मैं अकेले चला जाऊंगा, आप किसी को परेशान ना करें, समीर ने कहा।
नहीं बेटा, कंचन जंगा शहर काफी बड़ा है और तुम पहली बार शहर आए हो, तुम शहर में भटक जाओगे अगर कोई तुम्हारे साथ रहेगा, तो तुम्हें वापस घर आने में आसानी होगी, सलमा ने कहा।
फिर समीर और वह नौकर हवेली से बाहर निकल गए ।
क्या होगा कंचन जंगा शहर के अंदर, यह जानने के लिए सुनते रहिए इस कहानी को।