webnovel

charulata.....ek pishachini ki adhuri prem kahani

แฟนตาซี
Ongoing · 5.4K Views
  • 5 Chs
    Content
  • ratings
  • N/A
    SUPPORT
Synopsis

Chapter 1अमावस की एक अंधेरी रात....

रात के करीब 12:30 बज रहे थे वरुण तेजी से अपनी कार ड्राइव कर रहा था। आसमान में काले बादल छाए हुए थे ऐसा लग रहा था किसी भी समय बरस पड़ेंगे। वरुण खुद में ही बड़बड़ाते हुआ बोलता है ''अच्छा खासा मुझे शाम को ही स्टाफ के साथ निकल जाना था मैं भी कहा गांव देखने के चक्कर में रुक गया।अब तो घर पहुंचते-पहुंचते मुझे 1:00 बज जाना है।''

दरअसल वरुण एक न्यूज़ चैनल में as a न्यूज़ रिपोर्टर जॉब करता है आज वो शहर से करीब 30,40 किलोमीटर दूर एक गांव में किसी न्यूज़ की लाइव रिपोर्टिंग करने गया था। उसके साथ जो और स्टाफ थे वो सब शाम को ही वापस लौट आए थे बस वरुण अकेला रह गया था।

वरुण तेजी से अपनी कार रोड पर दौड़ा रहा था तभी अचानक उसकी कार्य एकाएक बंद हो जाती है। अरुण दो तीन बार कार चालू करने की कोशिश करता है लेकिन वह चालू नहीं होती।

''अब इसे क्या हुआ?'' चिल्लाते हुए वरुण गाड़ी से नीचे उतरता है।

और कार का बोनट खोल कर चेक करता है चेक करने पर उसे पता चलता है कि इंजन गरम हो गया था इसलिए कार अचानक रुक गई थी।

अब तो हल्की हल्की बारिश भी शुरू हो गई थी वरुण इधर उधर नजर घूम आता है तो देखता है सामने एक फूल होता है पुल के नीचे से नदी बह रही थी वरुण मन में सोचता है चलो कम से कम यहां पानी तो मिल जाएगा इंजन में डालने के लिए।

फिर वह अपनी गाड़ी की डिक्की से 1 कैन निकालता है और नीचे नदी की तरफ पानी लेने चल देता है। थोड़ी देर पहले ही बारिश हुई थीं।

इसलिए नदी के कच्चे रास्ते में काफी कीचड़ और गीली मिट्टी थी वरुण जैसे तैसे नीचे नदी के किनारे पहुंच जाता है। और कैन में पानी भरने लगता है।

पानी भर कर जैसे ही वो वापस जाने ने के लिए मूडता है उसे थोड़ी दूर चट्टान में एक औरत बैठी हुई दिखाई देती है। वरुण सोचता है इतनी रात में इस सुनसान नदी के किनारे ये कौन हो सकती है?

वो धीरे-धीरे उस पत्थर के पास जाता है और उसे पूछता है ''कौन है आप और इतनी रात में यहां अकेले क्यों बैठी है?''

वरुण की आवाज सुनकर जैसे ही वो औरत उसकी तरफ मुड़कर देखती है।

उसका चेहरा देखकर वरुण की जोर से चीख निकल पड़ती है।उसका चेहरा इतना भयानक होता है जगह-जगह से उसके चेहरे का मास गल कर नीचे गिर रहा था और उसकी आंखें बिल्कुल सफेद थी।

वरुण चिल्लाते हुए वहां से भागता है जैसे तैसे रोड पर पहुंचता हैं। तभी अचानक सामने से आ रही एक गाड़ी से उसकी टक्कर हो जाती है और वो कुछ दूर किनारे झाड़ियों में जा गिरता है। टक्कर होने से वरुण को कुछ साफ-साफ दिखाई नहीं पड़ता लेकिन हल्की धुंधली आंखों से ही वो देखता है कि वही औरत अब उसके एकदम सामने खड़ी हुई थी जो अभी कुछ देर पहले निच नदी के किनारे पर उसे दिखी थीं।

वरुण चिल्लाने की कोशिश करता है लेकिन जैसे किसी ने उसका गला जोर से दबा दिया हो उसके गले से आवाज ही नहीं निकलती।

वो उठने की भी कोशिश करता है लेकिन उठ नहीं पाता फिर धीरे-धीरे वरुण की आंखें बंद हो जाते हैं और उसकी ऑन स्पॉट ही डेथ हो जाती है।

दूसरे दिन सुबह...

आशी का घर (आशी....22 साल की एक बेहद ही खूबसूरत,टैलेंटेड और होनहार लडकी)

''आशी....आशी उठ जाओ बेटा!! सुबह के 8:00 बज रहे हैं ऑफिस नहीं जाना क्या आज?''

'थोड़ी देर और सोने दो ना मां प्लीज''

शादी को 1 महीने भी नहीं बचे और तेरी हरकतों में जरा सा भी बदलाव नहीं आया है अगर यही हाल रहा ना तो तेरी सास तुझे 2 दिन में डंडे मार कर यहां वापस भेज देगी विभा जी(विभा जी.... आशी की मां) आशी के कमरे की खिड़कियां खोलते हुए कहती है ''ऐसे कैसे डंडे मार कर वापस भेज देगी आशी अंगड़ाई लेते हुए बोलती है और वैसे भी इतनी हिम्मत किसकी है जो आशी सिंह ठाकुर को डंडे मार सके...?''

''हां हां मेरी मां किसी की हिम्मत नहीं है तुझ से पंगा लेने की अब जा जल्दी से नहा और नीचे आजा नाश्ता करने के लिए...''

थोड़ी देर में सभी डाइनिंग हॉल में बैठकर नाश्ता कर रहे होते, हैं तभी आशी रेडी होकर नीचे आती है.... गुड मॉर्निंग पापा गुड मॉर्निंग बेटा... (अभय सिंह ठाकुर.... आशी के पापा) आशि क तरफ देखते हुए बोलते है ''रेडी हो गई ऑफिस के लिए?''

''जी पापा..''

तभी अक्षत जोकि आशी का छोटा भाई है उसे कहता है ''तू ना आज स्कूटी से चली जा मुझे कार लेकर जाना है थोड़ा काम है।''

''मैं सब समझती हूं तेरा क्या काम है तुझे अपने दोस्तों के साथ घूमने जाना होगा कहीं इसीलिए बहाने बना रहा है.... ना।''

अक्षत बोलता है ''तुझे तो मेरा हर काम बहाना ही लगता है ...तू बड़ा काम करने वाली आई है... अब बस 15,20 दिन की बात है उसके बाद तो तू यहां से हमेशा के लिए चले जाएगी फिर तो स्कूटी भी मेरी और कार भी मेरा'' अक्षत आशि कों चढ़ाते हुए कहता है।

आशी गुस्से से अक्षत को बोलती है ''चली जाऊंगी तो क्या मैं तो हर हफ्ते आया करूंगी है ना...?पापा हां हां बेटा तुम्हारा ही घर है जब मन करे तब चले आना अभय जी'' आशी से कहते हैं।

सब नाश्ता कर ह रहे होते हैं तभी रमा जी (जो कि आशि की ताई जी है और वहीं पड़ोस में ही रहती है)

आशी के घर आती है उन्हें देखकर अभय जी.... ''अरे भाभी!! आप आइए ना बैठिए।''

''नहीं नहीं अभी बैठने का टाइम नहीं है वो तो मैं मंदिर गई थी... वहां पंडित जी ने मंगल पाठ का प्रसाद दिया था तो सोचा तुम लोगों को भी दे दूं।''

ये ले विभा कहकर वो प्रसाद की पोटली विभा जी को देते हुए कहती हैं इसमें एक अभिमंत्रीरित कलावा धागा है उसे आशि की हाथों में बांध देना।

''अब शादी होने को है छोरी की तो इसे बुरी नजर से बचाएगा ये धागा।''

फिर रामाजी आशि की तरफ देखकर पूछती है ''और सुबह-सुबह तू तैयार होकर कहां जा रही है?''

''बस ताई जी ऑफिस निकल रही हूं''...

''तूने अभी तक ऑफिस जाना बंद नहीं किया अभय कुछ तो समझाओ तुम अपनी बेटी को... इसका लगन निकल चुका है और लगन निकलने के बाद लड़कियों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। बाहरी हवा लग जाती है तुम लोग इसे मना क्यों नहीं करते ऑफिस जाने को.... अरे ताई जी आप भी ना कैसी बात करती हैं आजकल तो शादी से पहले लड़के लड़कियां प्री वेडिंग शूटिंग के लिए पता नहीं कौन-कौन सी जंगल झाड़ियों में जाकर सूट करवाते हैं। ''

''तब उन्हे तो कोई बाहरी हवा नहीं लगती और मैं तो ब ऑफिस तक ही जा रही हूं जो कि मुश्किल से यहां से 15 किलोमीटर की दूरी पर है बस इतनी सी दूर जाने में मुझे कौन सी हवा लग जाायेगी आप भी ना।''

''आजकल के बच्चों से तो बात करना ही बेकार है लेकिन अभय तुम तो समझदार हो तुम क्यों मना नहीं करते इसे। ओफिस जाने को।''

''और वैसे भी ऐसा तो है नही कि अगर ये काम नहीं करेंग तो इस घर का खर्चा नहीं चलेगा। भगवान का दिया हुआ सब कुछ तो है हमरे पास। और अब तो अपने से कई गुना बड़े घर में जाकर जा रही है फिर ईसे किस चीज की इतनी चिंता है जो ये शादी के आखिरी दिनों तक काम करना चाहती है। ''

''जाने दीजिए ना भाभी वैसे भी 15, 20 दिन की तो बा है। फिर तो इसे घर ही बैठना है और वैसे भी वो पैसे के लिए काम नहीं करती। अपने आत्मसम्मान के लिए काम करती है।''

''तुम ना अपनी बेटी को बिगाड़ रहे हो अभय याद रखना जिस दिन ससुराल से शिकायतें आएंगी ना उस दिन जाना है इसका पक्ष लेने वहां पर।'' ये बोलते हुए रमाजी वहा

You May Also Like

"इन्सेनली पैम्पर्ड वाइफ : डिवाइन डॉक्टर फिफ्थ यंग मिस "

वो एक सम्मानित जनरल के घर की पाँचवी यंग मिस थी, पर उसे बेकार कचरे से ज़्यादा कुछ नहीं समझा जाता था। स्वभाव से स्वच्छंद और इश्कबाज़, एक दिन वो जिस आदमी का पीछा कर रही थी, उसी के आदमियों द्वारा मार दी गई। वो एक प्रतिभावान लड़की थी जिस पर स्वर्ग के मालिक की असीम कृपा थी। लेकिन एक षडयंत्र के चलते उसकी मृत्यु हो गयी और उसके सारे वंशज भी मार दिए गए।उसने खून के बदले में खून की कसम खायी। जिस दिन उस प्रतिभावान लड़की ने अनजाने में उस बेकार लड़की के शरीर में प्रवेश किया और अपनी आँखें खोलीं, उस कचरे जैसी लड़की की किस्मत पूरी तरह से बदल गई!! क्या अमृत का संशोधन और हथियारों को पिघलाना इतना मुश्किल था? उसके लिए यह बाएं हाथ का खेल था। क्या जानवरों के संचालक दुर्लभ थे? उसने बड़ी आसानी से सम्राट जानवरों के संचालक का खिताब पा लिया! ज़बरदस्ती करवाई गई शादियाँ? क्या पुरुष इसलिए अभिमानी हो रहे थे क्योंकि वो अच्छे दिखते थे? वो अपना हाथ आगे बढ़ती है और बड़ी शातिरना ढंग से हसीन दिखने वाले पुरुषों को अपनी तरफ खींच लेती है। कुटिल नज़र, हल्की सी चमकती हुई हलचल, और वो आदमी अगले ही पल वहाँ से गायब हो जाता है। उसने पीछे मुड़ कर देखा, उसकी कुटिल मुस्कान बहुत कातिलाना है। “हमें अपनी बातचीत जारी रखनी चाहिए, क्यों न हमारा एक बच्चा हो”! प्रस्तुत है एक बेहद रोचक कहानी जो कि देहांतरण पर आधारित है और जिसके किरदार बहुत मज़ेदार हैं जो आपको गुदगुदा देंगे।

Shan Gumu · แฟนตาซี
Not enough ratings
60 Chs