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बावळा गाड़ी तक पहुंचा और गाड़ी में बैठ गया. आशा ने जाने की अनुमति माँगी. बावळे ने कहा

"मैं छोड़ दूंगा, गाड़ी में बैठो."

"नहीं मैं ऑटो से चली जाउंगी"

आशा ने कहा. बावळे ने मीठी झिड़की देते हुए कहा

"बैठो मैं छोड़ दूंगा."

आशा अपने जीवन में किसी भी पर-पुरुष के साथ नहीं बैठी थी. उसको थोड़ी हिचक हो रही थी पर बावळे की मनुहार के आगे उसकी एक न चली, गाड़ी में बैठना पड़ा. गाड़ी में बैठते हुए आशा ने बावळे के हाथ को अपने हाथ में लिया. बावळे ने आंखें बंद कर ली. उसकी ऐसी हालत देख आशा मुस्कुरा दी. घर से पहले गली के पास ही आशा ने बावळे को गाड़ी रोकने को कहा. बावळे ने गाड़ी रोक दी किंतु आशा का हाथ पकड़

"आई लव यू"

कह दिया. आशा हाथ छुड़ा मुस्कुरा दी. बावळा अपने प्यार को कातर निगाहों से देख रहा था. उसकी दशा देख आशा कर भी क्या सकती थी. वह अपनी मर्यादा में बंधी थी. वो कोई ऐसा काम नहीं करना चाहती थी अपने जीवन में जिससे भविष्य में उसके बच्चे किसी के सामने शर्मिंदा हो. बावळा गाड़ी को तेज़ गति से घुमाते हुए बॉय करता हुआ चला जाता है. आशा भी घर आ गई. उसने घर आ बावळे को संदेश में लिखा

"नील"

बावळे ने भी संदेश में लिखा

"एंजेल"

बस शायद प्यार यही था. अब व्हाट्सएप पर बावळे और आशा की बातचीत होने लगी. बातचीतमें यदा-कदा बावळा अपने प्रेम का इजहार करता रहता था. आशा उसे अपने और उसके शादीशुदा होने का एहसास करा मुस्कुरा देती. वह बहुत निर्मल मन की थी. बावळे का प्यार भी निश्छल था. सब कुछ ठीक चल रहा था दोनों के परिवार आपस में दूसरे के घर भी आने-जाने लगे.

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