ठंडे फर्श पर बैठकर उसने हैरानी से अपनी आँखें खोली। जल्द ही उसे एहसास हुआ कि वह अनजाने में बिना एक भी कपड़ा पहने बाहर सड़क पर आ गयी थी । यह उल्लेख करने की ज़रुरत नहीं कि वह इस समय एक बड़े मैदान जितने लोगों से घिरी हुई थी ।
स्वाभाविक रुप से बाई रुओ यान के मुँह से एक ज़ोरदार चीख निकली । पागलों की तरह उसने खुद को ढकने के लिए अपने हाथों का इस्तेमाल करने की कोशिश की। दुर्भाग्य से अगर वह नीचे ढकती थी तो ऊपर का हिस्सा उघाडा रह जाता था| शर्मिंदंगी में डूबी हुई वह जोर से चिल्लाई: "यहाँ क्या कर रहे हो घटिया लोगों! भागो, तुम सब दूर भाग जाओ!"
ऐसा कहते हुए वह अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करके भाग खड़ी हुई।
जब वह एक कोने में पहुँची तो अचानक उसका पैर फिसला । सौभाग्य से वह अपने चेहरे के बल गिरने से बाल-बाल बच गयी ।
उसके पीछे आ रही भीड़ अभी भी चर्चा कर रही थी।
"हे! भागो मत। मैंने अभी भी तुम्हें जी भर के नहीं देखा है! क्या तुमने दूसरों द्वारा देखे जाने का आनंद नहीं लिया ?"
"चु ***, क्या तुम लोगों ने सुना है कि उसने अभी क्या कहा? उसने वास्तव में हमें घटिया कहा ?आखिर में असल में घटिया कौन है?"
मुख्य कलाकार के भागते देखकर हुआंग यू ली की आँखों चमक चली गईं| खड़े होकर,उसने अपने ऊपर से धूल झाड़ी और जाने के लिए तैयारी हो गयी ।
जैसे ही वह चौखट के बाहर कदम रखने वाली थी, उसने अपने कदम रोक लिए।
"अजीब है। मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि कोई मुझे देख रहा है?"
मुड़ते हुए उसने जल्दी से किसी तरह की गड़बड़ी को ढूँढ़ने लिए स्कैन किया। किसी को न देखकर वह फिर से मुड़ गयी । जैसे ही वह दरवाजे के रास्ते से जाने वाली थी, उसे अपने शरीर पर एक भारी दबाव मह्सूस हुआ ।
वह पूरी तरह से हिल गयी ।
अगले ही पल , रहस्यमय कपड़े पहने हुए एक पुरुष एक कोने से सामने आया ।
उसने एक चांदी का सफेद मुखौटा पहना था जिसने उनके चेहरे के अधिकांश हिस्से को ढक रखा था । उसके नकाब में से केवल उसका पूरी तरह से तराशा हुआ जबड़ा देखा जा सकता था। उनके लंबे,काले बाल ढीले तरीके से नीचे लटक रहे थे, जबकि उसके ठंडे, पतले होंठ ऊपर की ओर मुड़े हुए थे, जिससे थोड़ा आसुरी आभास हो रहा था।
उसके रुप का अनुमान लगाने वाले को उत्तेजित करने के लिए उसका निचला जबड़ा और गोरे रुप का प्रदर्शन ही काफी था । उस मुखौटे के नीचे किस प्रकार का चेहरा था, कौन सी उत्कृष्ट मुखाकृति थी जो किसी के लिए भी अपनी आत्मा को खो देने के लिए पर्याप्त थी। दिलचस्पी दिखाते हुए उसने हुआंग यू ली को अपने पास खींच लिया। उन पुतलियों के भीतर एक गहरी शक्ति थी जो अनजाने में किसी में भी कंपकंपी पैदा कर सकती है ।
हुआंग यू ली के अन्तस ने खतरे को महसूस किया ।
हालांकि उसकी आत्मा एक बार विस्फोटित हो गई थी और उसकी पहले से तुलना नहीं जा सकती थी,फिर भी वह खतरे को महसूस कर सकती थी। यह निश्चित रूप कुछ ऐसा था जिसकी सामान्य लोगो से तुलना नहीं की जा सकती थी ।
अपना सिर उठाते हुए उसने उस आदमी को बहुत उदासीन होकर देखा और बोला: "क्या ये काफी है?
अपनी ठोड़ी को सहलाते हुए उसने उत्तर दिया: "नहीं ये काफी नहीं है ।"
वे सभी कहते थे कि मार्किस जागीरदारो की थर्ड मिस कायर और कमजोर दोनो हैं, साथ ही किसी भी चीज़ के काबिल नहीं ; उसमें एक भी अच्छी बात नहीं है।
इस समय में, जब सच्चाई सामने है,ऐसा लगता है कि अफवाहें सच से बहुत अलग थीं।
लगता है इस थर्ड मिस के पास एक गोपनीय शक्ति है जिसका इस्तेमाल कुछ समय पहले करके तुमने उस लड़की को काबू किया । उसकी आत्मा काफी शक्तिशाली थी। कोई फर्क नहीं पड़ता तुम इसे कैसे देखो, पर ऐसा नहीं लगता कि वह काबिल नहीं है ।
इसके अलावा वह दोहरे किरदार की थी और काफी बेईमान भी...
इस कांटेदार जंगली गुलाब ने, जिसका अभी खिलना बाकी था ने उसकी पहले ही आँखे खोल दी ।
यह देखकर कि उसका कोई बुरा इरादा नहीं था,हुआंग यू ली ने उसे सूंघा: "यदि तुमने पर्याप्त नहीं देखा है तो पर्याप्त समय लो देखने के लिए । यह महिला आपको अपने साथ नहीं रखेगी!
"दूर जाती उसकी पीठ देखते हुए, उस आदमी के भावहीन चेहरे पर,एक दुर्लभ मुस्कान उभर आई ।
"सच में एक छोटी लोमड़ी ....."
...
जैसे ही हुआंग यू ली ने फिर से आँगन में कदम रखा, उसका स्वागत बाई रूओ ली की चीज़ो की झलक ने किया ।वे नौकरो ने लापरवाही से पीछे छोड़ी थी ।
इसके कारण उसे अपनी भौंहें सिकोड़ ली : "क्या वे स्वच्छता के बारे में जानते भी हैं?उन्होंने वास्तव में उन्हें हर जगह फेंक दिया,जिससे मुझे इसे ठीक करने के लिए परेशानी उठानी पड़ेगी। अगर मुझे पहले पता होता,तो मैं उन्हें जाने इजाज़त देने से पहले कुछ और थप्पड़ मारने को मजबूर करती ।"
यह वह क्षण था जब काई वेई को होश आ गया। फिर उसने तुरंत ही खुद को हुआंग यू ली के पैरो की तरफ फेंक दिया। उसके पैर को पकड़कर,वह जोर से चिल्लाने लगी।
"मेरी थर्ड मिस आह ... ... तुम इतने अन्यायपूर्ण तरीके से मारी गयी ..... इसीलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि तुम्हारी आत्मा ने तुम्हें नहीं छोड़ा और तुमने चेतना प्राप्त की …."