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इतना आसान नहीं है !

Editor: Providentia Translations

"युवा मास्टर , मैं ...."

सु क़ियानक्सुन का दिमाग परेशान था। आठ दिनों के इंतजार के बाद वह लगभग टूट रही थी।

यही कारण है कि सु क़ियानक्सुन उसे खुश करने का फैसला किया, इस उम्मीद से कि वह उसे उसके छोटे भाई की देखभाल करने देगा।

हालाँकि, जब सु क़ियानक्सुन देखा कि उसका सिरदर्द हो रहा है, तो उसने अपनी योजना के बारे में सोचना छोड़ दिया । वो सिर्फ उसका दर्द कम करना चाहती थी ...

"मुझे बताओ!" लॉन्ग सिजु ने अपने हाथ की ताकत को बढ़ाया जिससे उसने उसके जबड़े को जकड़ रखा था । उसकी आँखों में भयंकर रूप से गुस्सा भरा था , और जिस में से एक फीकी नीली रोशनी भी निकल रही थी ।

"जी हाँ!" सु कियानक्सुन ने अपनी आँखें बंद कर लीं और इसे बात को स्वीकार किया।

"तुम.... बहुत अच्छे !" लॉन्ग सिजु अचानक खड़ा हो गया और उसे अपने किनारे के बेसिन पर रख दिया। उसने अपनी बेल्ट को उतारा और सु कियानक्सुन के हाथों को उसके पीछे बांध दिया।

"युवा मास्टर, नहीं! मैं केवल एक ही चीज चाहती हूँ कि मैं अपने मेरे छोटे भाई की देखभाल कर सकूँ । मैं आपसे भीख माँग रहीं हूँ , मैं कुछ और नहीं सोच रही था!"

लॉन्ग सिजु ने उसके छोटे से चेहरे को घुरा , जो डर के मारे पीला पड़ गया था। उसने अचानक से उन शब्दों को याद किया जो पहले उसने तांग ज़ुई को कहे थे। 

"'मैं लॉन्ग सिजु के साथ प्यार में कैसे पड़ सकती हूं? अगर यह संभव है, तो मैं तुरंत एक बच्चे को जन्म देना चाहती हूं और हमारे बीच के कॉन्ट्रैक्ट को समाप्त करना चाहती हूं!'

'बहुत अच्छा , यह छोटी सी बाते मेरी सीमाओं को बार-बार धकेल रही थी! मैं उसके मन में यह पक्का करना चाहता हूँ कि जो भी उसने तुच्छ खेल मेरे साथ खेला था उसकी कीमत उसको चुकानी पड़ेगी! '

"तुम मुझे छोड़ना चाहती हो ? यह इतना आसान नहीं है!" लॉन्ग सिजु ने उसे अचानक घुमाया और सामने वाले आईने के सामने उसे दबा दिया।

वह बहुत ही दुष्ट था, एक महिला की भावनाओं पर बिल्कुल भी ध्यान में नहीं दे रहा था। क्योंकि वे एक सार्वजनिक स्थान पर थे, सु कियानक्सुन ने केवल अपने होंठों को मजबूती से काट लिया था ताकि वो खुद को किसी भी तरह की आवाज़ करने से रोक सकें।

उसने इतनी जोर से खुद को काटा कि उसने अपना निचले होठ को फाड़ दिया और उस में से खून भी टपकने लगा..

लॉन्ग सिजु ने उसे सीधे फर्श पर पटक दिया। उसने फिर दरवाजा खोला और वहा से चला गया।

सु कियानक्सुन फर्श पर बैठ गई ,उसके हाथ अभी भी उसकी बेल्ट से बंधे थे। उसके पास अभी खड़े होने की ताकत भी नहीं थी। हालाँकि लॉन्ग इस समय बहुत ही सख्त था, उसे इतना दर्द महसूस नहीं हुआ जितना उसे पिछली बार सेक्स करते समय दर्द हुआ था ।

'यह इसलिए था क्योकि जो दर्द निवारक दवाई उसने सुबह ली थी उसका असर अभी भी था। ' 

दरवाजे पर एक दस्तक हुई, और सु कियानक्सुन डर गई। उसने घबराहट में अपने आप को और सख्त कर लिया। 

"मैं हूँ ," ये गु की सख्त आवाज़ बाहर से आई। 

सु कियानक्सुन इतनी डर गयी थी कि उसने जैसे ही ये गु की आवाज़ सुनी वो अचानक से फूट -फूट के रोने लगी। 

ये गु ने दरवाजा खोला और अंदर कदम रखा। उसने जब उसे इस तरह चिंता की स्थिति में देखा तो उसे लगा जैसे उसका दिल चाकू से छलनी कर दिया हो। 

 उसने अपनी मुट्ठी कस कर भींच ली।

ये गु घुटनो के बल बैठा और उसके हाथो में बंधी बेल्ट को खोला। जैसे ही सु कियानक्सुन आज़ाद हुई , उसने उसको कस के गले लगाया। 

"तुम कैसा महसूस कर रही हो ? क्या तुमको कही चोट भी लगी है ?" ये गु ने प्यार भरी आवाज़ में पूछा। उसने उसके लम्बे बालों को सहलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया, लेकिन आधे रास्ते से ही पीछे हट गया।

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