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तुमने मुझे वादा किया था कि आज रात मेरे साथ रहोगी

Editor: Providentia Translations

निंग क्षी का दिमाग काम नहीं कर रहा था अब, उसने धीमे स्वर में पूछा, "ये तो मुझे तुम्हें पूछना चाहिए कि तुम लू टिंग को कैसे जानते हो।"

जियांग मुए बोला, "बताया न , मेरे अंकल है।"

निंग क्षी ने फिर पूछा, "यह बात तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताई?"

 "तुमने कभी पूछा ही नहीं|" जियांग मुए बोला|

जियांग मुए अब बस इन दोनों को देखे जा रहा था| वह जितना इन दोनों को देखता उतना उसे लगता कि कुछ तो गड़बड़ था पर क्या था उसे समझ ही नहीं आ रहा था। फिर उसने हिम्मत करके पूछा, "तुम दोनों एक दूसरे को कैसे जानते हो?"

"लंबी कहानी है..." बोलकर निंग क्षी ने अपना माथा पकड़ लिया| यह शब्द शायद जियांग मुए और लू टिंग दोनों के लिए थे।

जियांग मुए के मन में इतने प्रश्न उठ रहे थे कि वह मरे जा रहा था उनका उत्तर पाने को पर लू टिंग के सामने पूछने कीउसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी ।

निंग क्षी अभी अभी नहा कर निकली थी| उसके शरीर से बेहद अच्छी खुशबू आ रही थी| बड़ी सी टी शर्ट से झाँकती उसकी गोरी सफ़ेद लंबी टांगे आकर्षक थीं| उसने एक हाथ से अभी भी टी शर्ट को दबोच रखा था| यह एक ऐसा नज़ारा था जिसे देखकर लू टिंग का खून खौल रहा था| सबसे गुस्से वाली बात यह थी कि वह इस हालत मे किसी और मर्द के घर में थी। लू टिंग को ऐसा लग रहा था कि दुनिया मिटा दे। बर्बाद कर दे सब कुछ।

अपने अंदर के गुस्से पर जैसे-तैसे काबू कर लू टिंग ने उसी ठंडे भाव से पूछा, " आज रात यही रुकने वाली हो या मेरे साथ वापस चल रही हो?"

ये शब्द बहुत ही मामूली से थे पर इन का वजन बहुत ज्यादा था।

जियांग मुए को यह सुन के धक्का लगा और उसने निंग क्षी की तरफ आश्चर्य से देखा।

"इसका मतलब क्या था?ये दोनों ना केवल एक दूसरे को जानते थे परंतु ये एक साथ रह भी रहे थे?"

निंग क्षी ने ठंडे पड़े लू टिंग की तरफ देखा फिर गुस्साये जियांग मुए की तरफ। घबराते हुए टूटे शब्दों में कहा, "चलती हूँ आपके साथ।"

यह सुन लू टिंग के चेहरे के डरावने भाव थोड़े कम हुए।

यह सुन जियांग मुए अब अपना आपा खो बैठा| उसने निंग क्षी की कलाई पकड़ ली| उसकी खूबसूरत नीली आँखें अब इस धोखे के कारण आए गुस्से से भर गई, "तुमने मुझे वादा किया था कि आज रात मेरे साथ ही रहोगी।"

ये सुन के निंग क्षी को लग रहा था कि जियांग मुए को एक ज़ोरदार मुक्का मारे| इस बात कोई क्या मतलब निकलेगा?

निंग क्षी ने लू टिंग की तरफ देखा, लू टिंग का पारा काफी चढ़ चुका था| ऐसा लग रहा था कि उसके गुस्से का ज्वालामुखी अब फटने ही वाला हो।

निंग क्षी ने अपने हाथ को खींचा और कहा, " जियांग मुए मुझे कल शूटिंग पर जाना है, भाई मींग ने भी कहा था न कि तुम्हें भी कल कुछ जरूरी काम से जाना था| एक-दो दिन रुक जाओ| जैसे ही हम दोनों फ्री होंगे तभी खेलेंगे ना पी॰सी॰ पर खेल।"

निंग क्षी ने जान बूझकर के पी सी के खेल पर ज़ोर दिया।

यह बोलकर निंग क्षी ने अपना बड़ा सा काला बैग उठाया| बिना कपड़े बदले ही वह बाहर निकलने के लिए दौड़ी| उसने वही टी शर्ट पहनी हुई थी और उसका एक हाथ अभी भी उस छेद को दबोचे हुए था।

जाने से पहले लू टिंग ने मुए को घूर के देखा।

दोनों को एक साथ इस तरह जाता देख जियांग मुए के अंदर क्रोध की ज्वाला भड़क उठी।

"क्या यह लड़की जानती नहीं कि जिस रास्ते पर यह जा रही है वहाँ से लौटने का कोई दरवाज़ा नहीं है?

निंग क्षी, कितना कुछ छिपा कर रखा हुआ है तुमने मुझसे।"

बाहर निकलते ही निंग क्षी के काँपते हाथों से लू टिंग ने बैग ले लिया और उसे अपना कोट उतारकर पहना दिया।

निंग क्षी ने शर्मिंदगी से कहा, "धन्यवाद"

उसे लगा शायद लू टिंग का गुस्सा कुछ कम हुआ पर लू टिंग के चेहरे पर अभी भी वही भाव थे। उसने निंग क्षी को कोई जवाब नहीं दिया।

"कुछ तो बोलो, कई बार शब्दों से ज्यादा खामोशी चुभती है, यह खामोशी ज्यादा डराती है।"

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