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अपने प्रेमी का हर पड़ाव में साथ देना ही सातवाँ चरण है l

Chapter - 13

अगले दिन...

बाहर कुछ लड़कियां खेल रहीं थीं शिद्दत भी उनके साथ खेल रही थी तभी एक लड़की ने एक छोटे से मेंढक को पकड़ शिद्दत के पास लेकर आयी शिद्दत उसे देखकर डर गयी और भागने लगी वो सामने से आ रहे ताई से टकरा जाती है साथ में उसके दोस्त भी थे l

शिद्दत जाकर उसके पीछे छिप जाती है और कहती है - राजकुमार गुरु जी मुझे बचाईये l

उस लड़की ने कहा - अरे अनाया तुम राजकुमारी होकर एक मेंढक से डर रही हो लो इसे पकड़ो इससे खेलो ये कुछ नहीं करेगा l

शिद्दत ताई के पीछे छिपते हुए कहती है - नहीं नहीं अगर तुमने मुझे जबरदस्ती की तो.. तो मैं मैं हाँ मैं देश छोड़कर चली जाऊँगी l

ताई ने उस लड़की से कहा - इसे लेकर जाओ यहां से l

सिमी - तुम एक मेंढक के लिए ये देश छोड़ने को राजी हो गयी क्या बात है l

ताई ने कहा - सामने आ जाओ वो चली गई शिद्दत सामने आ गयी और उस लड़की को देखने लगी ताई ने कहा - अब वो चली गई दुबारा तुम्हें अब तंग नहीं करेगी l

शिद्दत ने मुस्कुराते हुए कहा - धन्यवाद l

तभी उसके पास लुई आती है और शिद्दत से कहती है - क्या तुम मेरे साथ थोड़ी दूर यहीं पर चलोगी l

शिद्दत ने उसे देख कर - नहीं l और वहाँ से चली गयी ताई उसे जाते हुए देख रहा था उसके जाने के बाद ताई भी जाने लगा तो लुई ने कहा - ताई तुम... l

ताई ने उससे सख्ती से कहा - मैं तुम्हारा गुरु हूँ और इसलिए तुम मुझे गुरु जी बुलाया करो और हाँ तुम नहीं आप कहकर बुलाया करो समझी l

लुई ने सर झुकाते हुए कहा - जी l

ताई चला गया ताई अपने पुस्तकालय में आता है पीछे से शिद्दत भी आती है ताई उसकी तरफ पीठ करके खड़ा था शिद्दत ने कहा - क्या मैं अंदर आ जाऊँ l

ताई किताबों में देखते हुए कहता है - अंदर तो आ ही गयी होगी अब बोलो बात क्या है ?

शिद्दत उसके पीछे आकर खड़ी हो जाती है और कहती है - आप मेरे बारे में कितना अच्छे से जानते हैं l

ताई ने उसकी तरफ पलटकर कहा - मैं तो तुम्हारे बारे में और भी बहुत कुछ जानता हूं l

शिद्दत ने कहा - सच में कैसे l

ताई ने कहा - वो सब छोड़ो और ये बताओ क्या पूछने आयी हो पूछो ?

ताई ने किताब में देखते हुए कहा तो शिद्दत ने उससे पूछा - क्या आपको उसका नाम पता है l

ताई ने किताब में देखते हुए कहा - किसका नाम l

शिद्दत ने कहा - अरे उसी का जिसको प्यार करते हो आप l

ताई ने शिद्दत की तरफ देखते हुए कहा - हाँ पता है लेकिन मैं उसका नाम नहीं ले सकता हूं l

शिद्दत ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा - क्यों क्यों नहीं ले सकते आप उसका नाम क्या वो ज्यादा सुन्दर है क्या उसका नाम लेने से वो बदनाम हो जाएगी l

ताई ने कहा - हाँ कुछ ऐसा ही समझो वो बहुत सुन्दर और उसका नाम तो उससे भी ज्यादा उसे देखोगी तो तुम खुद को भूल जाओगी l

शिद्दत को उसकी बात सुनकर बहुत गुस्सा आ रहा था उसने कहा - हाँ बस बस इतनी तारीफ ठीक है बस नाम पूछने आयी थी न कि किसी की तारीफ सुनने l

वैसे ये किताब क्यों पढ़ते रहते हैं जब देखो, शिद्दत ने उन किताबों को देखते हुए कहा l

ताई ने कहा - इन किताबों को पढ़ने से ज्ञान मिलता है l

तभी शिद्दत की नजर उस किताब पे जाती है जो उसे उस दिन मिली थी उसने वो किताब उठाई और उसे देखते हुए कहा - अरे ये तो वही किताब है जो उस दिन मैंने निकाली थी ये कितना अजीब सा है इसे देखकर ऐसा लगता है कि इसमें कुछ तो ऐसा होगा जो मुझे पता है मुझे ये अपनी तरफ खिंचता है l

शिद्दत जैसे ही उसे खोलने वाली थी ताई ने उससे वो किताब ले ली और कहा - तुम ये सब छोड़ो और यहाँ से जाओ तुम्हारे दोस्त तुम्हारा इंतजार कर रहे होंगे l

शिद्दत ने उस को देखते हुए कहा - जी लेकिन ये किताब आप.. आप इसे क्यों ले रहे हैं और मुझे पढ़ने क्यों नहीं दे रहे l

ताई ने कहा - तुम्हारा पैर ठीक हुआ l

ताई अपने घुटने के बल बैठ कर उसके पैर को अपने पैर पर रखता है और कहता है - तुम्हारा पैर तो अभी ठीक नहीं हुआ है और दर्द कर रहा है l

शिद्दत उसे देखती ही रह जाती है और कहती है - आप क्या कर रहे हैं ?

ताई कहता है - मैं तुम्हारे पैर देख रहा हूँ ठीक हुआ है या नहीं... वैसे अभी ठीक होना बाकी है l

उसने उसके पैर नीचे जमीन पर रखे और खड़ा होकर उससे कहा - तुम्हें जाकर आराम करना चाहिए l

वो किताब तो दे दीजिये वैसे भी आपने कहा किताब पढ़ने से ज्ञान बढ़ता है मुझे भी अपना ज्ञान बढ़ाना है, शिद्दत ने उस किताब पर नजर डालते हुए कहा तो ताई ने कहा - तुम समझो जब सही समय आएगा तो मैं तुम्हें जरूर ये किताब दूँगा खुद तुम्हें सुनाऊंगा l

उसके चेहरे पर एक चिंता की लकीर थी l

शिद्दत ने कहा - अच्छा ये तो बता दीजिए सातवाँ पड़ाव क्या है ?

ताई उसे देखता है और अपने कदम धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ाने लगा शिद्दत उसे अपनी तरफ आता देख पीछे जाने लगती है और जाकर दीवार से टकरा जाती है वो देखती है पीछे जाने के लिए रास्ता नहीं है l

उसने हिचकिचाते हुए कहा - अ.. अ.. आप क.. के.. क्या क्या कर रहे हैं.. म.. म.. मैं ने तो बस ऐसे.. ही पूछ पूछ लिया l

ताई उसके और पास आता है और उसकी तरफ झुकने लगता है तो शिद्दत डर से अपनी आंखें बंद कर लेती है ताई उसके कान में धीरे से कहता है - सातवाँ पड़ाव जानना है तो सुनो अपने प्रेमी के साथ हर पड़ाव में खड़े रहना ही सातवाँ चरण है l

शिद्दत उसे हैरानी से देखने लगती है ताई उससे कहता है - तुम्हें और कुछ भी जानना है l

शिद्दत ने कहा - नहीं नहीं l

ये कहकर वो वहाँ से भाग जाती है ताई उसे जाते हुए देख हँस देता है और अपने काम में लग जाता है l

दिन बीतने लगता है सभी अपनी - अपनी शिक्षा धीरे - धीरे पूरी कर रहे थे लेकिन शिद्दत वो तो ताई से दूर रहती l

एक दिन ताई शिद्दत को बुलाता है लेकिन शिद्दत उसे अनसुना कर के उससे भाग रही थी उसके साथ में उसकी एक सहेली ने कहा - क्या कर रही हो गुरु जी बुला रहे हैं तुम्हें l

शिद्दत ने उससे कहा - नहीं उन पर ध्यान मत दो l

उस लड़की ने कहा - क्यों ?

शिद्दत - बस ऐसे ही तुम चलो यहां से l

वो वहाँ से अनसुना कर चली जाती हैं ताई कहता है - ये मुझे नजर अंदाज क्यों कर रही है l

शिद्दत बाहर आती है और कहती है - कैसे समझाऊँ की मैं राजकुमार गुरु जी की तरफ खींची चली जा रही हूँ ये मुझे क्या हो रहा है l

Continue...