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Poem No 40 तुफान बनकर

तुफान बनकर

तुम आयी

सैलाब बनकर

चली गयी

साथ बहा ले गयी

मेरी ज़िन्दगी की कुशी

ख्यालों में डूबा रेहता हूं

अब ना चैन रहा ना सास

हरपल तेरी याद सताए

चाहकर भी भूल ना पाऊ

तुम जो किये सो किये

अब ना करना किसी से

तुफान बनकर

तुम आयी

सैलाब बनकर

चली गयी

----Raj

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