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रोना चाहते थे पर आँसुओं की कमी थी

Editor: Providentia Translations

"ऐ, तुम्हारे दिल का हाल तो बुरे से भी बहुत बुरा हुआ है, है ना?"

काई वई के हाथों में कागज़ देते हुए, उसने उसे चेतावनी दी : "जब वे पैसे देने आएँगे तो यह सुनिश्चित कर लेना कि उसमें से हर एक ने अपने कर्ज का भुगतान किया है। तभी जाकर उन्हें समझौते के कागज़ देना!"

जल्दबाज़ी में काई वई ने अपना सिर हामी भरते हुए हिलाया जबकि वह मन ही मन उसकी प्रशंसा से कर रही थी !

जब उन दो गार्डों ने पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया था तब उसने अपने आपको भाग्य को सौंप दिया था। उसने सोचा था कि आज उसे पीट-पीटकर मार डाला जाएगा। कौन जानता था कि थर्ड यंग मिस ने इतनी आसानी से उन पिशाच जैसे पहरेदारों को सम्भाल लेंगी।

उन्होंने प्रत्येक को बहुत बड़ा नुकसान पहुँचाया था! वे अपने दाँत में छेद कर रहे थे और यहाँ तक ​​कि वे खून की उल्टी करने को मजबूर थे!

दरवाजे के कोने से जाते हुए उसने आराम से किसी चीज़ को धकेल दिया जिससे चरमराती हुए आवाज़ सुनाई पड़ी और ज़मीन पर पड़े कांटे अचानक से पीछे की ओर हट गए थे। 

जो गार्ड जमीन पर बंधे हुए थे, वह आखिरकार स्वतंत्र हो गए।

हुआंग यू ली हल्के से मुस्कुरायी: "ठीक है फिर। हमने इतना समय व्यतीत कर दिया है कि सेकेंड अंकल हमारा बेसब्री से इंतज़ार कर रहे होगें। अब देर मत करो, चलो हम मुख्य मनौर चलते हैं!"

स्पष्ट रूप से वही थी जो देरी और समय की बर्बादी कर रही थी, है ना?

बहरहाल हालात काफी बदल चुके थे अब हर कोई उसके तरीकों को देख चुका था। इसके बाद उसका सामना करने की हिम्मत कौन दिखाएगा ? 

ये गार्ड बैंगन के समान थे जिन्हें शीतदंश का सामना करना पड़ा था। उसके पीछे चलते समय हर किसी का चेहरा उदास था। विनम्रता और सम्मानपूर्वक वे उसकी घोड़ा गाड़ी की सुरक्षा कर रहे थे। वे उसकी पालकी उठाने ही वाले थे ।

तब बैचेन काई वई भी साथ चलना चाहती थी।

पर हुआंग यू ली ने उसका रास्ता रोकते हुए कहा: " तुम्हारा मेरे साथ ना आना ही तुम्हारे लिए अच्छा है। क्या होगा अगर सेकेंड अंकल ने तुम्हें पकड़ लिया तो? तुम्हारे लिए ठीक रहेगा कि तुम इस जगह की सफाई के लिए कुछ लोगों को ढूँढ़ो| काँटों पर लगा खून बदतर है। तो तुम सही से खून को साफ करो ताकि अगली बार हम इनका इस्तेमाल कर सकें!"

ये बातें सुनकर रक्षकों के पाँव लड़खड़ाने लगे। वे रोना चाहते थे पर उनके आँसू जैसे ख़त्म हो गए थे| 

वह जाल सिर्फ एक बार का किस्सा नहीं था। तो क्यों वह उनसे पैसे मांग रही थी? और क्यों कह रही थी कि वह उन्हें छूट दे रही थी?

वे कई धोखेबाजों से मिले थे लेकिन कभी उस जैसी से नहीं मिले थे।

वह कौन था जिसने थर्ड यंग मिस को बेकार कहा था? अगर वह कुछ भी अच्छा नहीं कर सकती थी तो बाकी सभी तो मूर्ख थे!

बहादुर मार्शल मुख्य मनौर पर ।

घोड़ा गाड़ी गेट के सामने रूक गई और कमांडर ने व्यक्तिगत रूप से सम्मान देते हुए गाड़ी का दरवाजा खोला। उसकी पीठ इतनी झुकी हुई थी कि वह जमीन के लगभग समानांतर थी ।

"थर्ड यंग मिस, हम मुख्य मनौर पहुँच गए हैं। मैं आपको गाड़ी से उतरने के लिए आमंत्रित करता हूँ।"

हुआंग यू ली दाएँ और बाएँ देखते हुए बाहर निकली। 

"हम इतनी जल्दी आ गए और सफर काफी सुगम था। यह वाहन काफी अच्छा है।

"थर्ड यंग मिस तारीफ के लिए आपका धन्यवाद!"

मुख्य मनौर के द्वार पर मौजूद पहरेदार की आँखे फटी की फटी रह गई थीं| 

क्या उसने गलत देखा? लॉड कमांडर उस कचरा थर्ड मिस के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार कर रहे थे। ये मामला क्या था?

गॉर्ड रेजिमेंट के कमांडरों ने एक विशेष पहचान बनाई थी। इसीलिए वह एक नियम का पालन करते थे। यहाँ तक ​​कि मनौर प्रभु के सामने भी उनके पास कुछ हद तक अधिकार थे जिसके तहत उन्हें झुकने या सम्मान देने की आवश्यकता नहीं थी।

तो उसने थर्ड यंग मिस के सामने एक गुर्गे की तरह व्यवहार क्यों किया? क्या उस कचरे को सभी तंग नहीं करते थे?

हुआगं यू ली ने हँसते हुए कहा: "आप सभी साथी पहरेदारो भाइयों का धन्यवाद जो मुझे यहाँ तक लेकर आए । कृपया पैसे जल्दी लौटाना ना भूलिगा!"

धीरे से उसने मुख्य मैनोर की ओर कदम बढ़ाए|

गार्डों की आँखों में उसकी छवि आ गई थी और वे लगभग रुआँसे हो गए थे|

उन्होंने आखिरकार उस भव्य आंटी को विदा किया था!

बहादुर मार्शल मुख्य मनौर का क्षेत्र विशाल और आलीशान था, आकृतियाँ भी रिफाइऩ थी। मंडप और मंदिर भव्य और शानदार थे। यह गरीब और घटिया पिछले आँगन के विपरीत था।

बाई रूओ ली की यादों में उसके बचपन के दौरान इन कमरों में खुशी-खुशी खेलने के दृश्य थे। पहले वह निष्कपट और बिना किसी चिंता के जीवन जी रही थी। वह छोटे क्षेत्र की राजकुमारी सभी की हथेलियों से लाड़ प्यार पाती थी ....।

परंतु अच्छी चीज़े लम्बे समय तक नहीं टिकती। कुछ साल पहले ही बाई लियू फेंग के गायब होने के साथ ही उसे बेदिली से इस मनौर से दूर कर दिया गया था।

तब से हर बार जब वह वापस आई थी उसे सिर्फ निरा अपमान और पीड़ा ही मिली थी ....

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