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क्या हुआ?

Editor: Providentia Translations

क्योकि सच यह है कि सु कियानक्सुन नशे में थी , वो अपनी इच्छाओं को छिपा नहीं सकी। सिजु ने अपने नीचे दबी कियानक्सुन को घूरा , जो पूरी तरह तरह से शांत और बेहद मोहक दिखाई दे रही थी। 

सु कियानक्सुन अब दर्द में नहीं दिख रही थी जैसे कि वो आमतौर पर थी। इसके बजाय उसके चेहरे पर पीड़ा के साथ ख़ुशी भी थी। उसकी आवाज़ हमेशा की तरह मधुर लग रही थी , जिसने उसके ऊपर लेटे हुये लॉन्ग को और उत्तेजित कर दिया, इतना कि वो खुद पर काबू नहीं कर सका। वो उसके खूबसूरत शरीर पर खुद को पिघलाना चाहता था। 

…..

अगले दिन जब सु कियानक्सुन सो कर उठी , सुबह हो चुकी थी। उसने अपने हाथ से सर को दबाया और अपनी आँखे खोल के ऊपर छत को घूरने लगी। 

कुछ समय बाद , एकाएक कियानक्सुन उठी। कियानक्सुन को नशे में आने बाद कीपिछली रात को हुई एक भी बात याद नहीं आ रही थी। 'धततेरेकी। मैने खुद को बेहोशी की हालत में डाल दिया.....'

सु कियानक्सुन अपने सर को दीवार पर मारना चाहती थी और बुरी तरह से अपने प्राण लेना चाहती थी। अत्यन्त बेचैन हो कर ,उसने ताक़त से अपने बालों को पकड़ा। 

"युवा मिस्ट्रेस सु, तुम जग रही हो। युवा मास्टर ने मुझे कहा है कि अगर तुम यूनिवर्सिटी जाना चाहती हो , तो तुम ड्राइवर को कह सकती हो कि वो तुम्हे वहाँ ले जाये ," आंटी क्यूई ने कमरे में अंदर आते हुए कहा। 

सु कियानक्सुन अचनाक से अपना सर उठाया और शंक से आंटी क्यूई को घूरने लगा। " आंटी क्यूई, अपने अभी अभी क्या कहा ? क्या तुम दोहरा सकती हो ?"

" युवा मास्टर ने कहा कि तुम ड्राइवर को बता सकती हो तुम्हे यूनिवर्सिटी तक ले जाये। क्या हुआ है तुम्हे ?" आंटी क्यूई ने सोचा कि उसने संदेश पहले ही इतने अच्छे तरीके से बताया था। 

"आह ! यह तो कमाल हो गया। मैं आखिरकार कैंपस जा सकती हूँ!" सु कियानक्सुन बिस्तर से उत्साह और ख़ुशी से कूदी। 

" हे युवा मिस्ट्रेस , चारो ओर कूदना बंद करो। अगर तुम यूनिवर्सिटी जाना चाहती हो , तो तुम जल्दी से तैयार हो जाओ। शाम की कक्षा में समय पर पहुँच सकती हो। " 

सु कियानक्सुन ने घड़ी में वक़्त देखा। तब लगभग दोपहर हो गई थी। वो तुरंत बाथरूम में भागी हाथ-मुंह धोने के लिए। 

…..

लॉन्ग सिजु के अध्यन कक्ष में। 

तांग जुई लॉन्ग सिजु के सामने बैठा था। उसके चेहरे पर गंभीर भाव थे। उस पल तक , उसे अपने लिंग में अभी भी दर्द महसूस हो रहा था , जिससे उसे काफी बेचैनी हो रही थी। 

 एक रात पहले , बेढंगी नशे में चूर लड़की ने उसके लिंग को गाजर समझ लिया था और उसे खींचने की कोशिश की थी। उसके बाद , उसने उसके लिंग को इतनी बेरहमी से काटा कि लगभग उस मे से खून बहने लगा था। 

संयोग से , जब वो इलाज करने के लिए हस्पताल गया , डॉक्टर ने कहा कि उसके लिंग पर सिर्फ बाहरी घाव हुए है , जो उसकी जरूरत को प्रभावित नहीं करेगा। 

जो बात उसे सबसे ज़्यादा गुस्सा दिला रहा था कि नशे में चूर उसने उसके लिंग को काटने के बाद उसके स्वाद के बारे में शिकयत की और जमीन पर थूका! 

तांग जुई ने कसम खाई कि अगर वो अब कभी भी इसको मिलेगी , तो उसे नहीं छोड़ेगा !

लॉन्ग सिजु ने तांग के चहरे के भाव को देखा। उसने अपने भौहो को ऊपर उठाया और पूछा ," क्या हो रहा है ? क्या हुआ है ?"

लॉन्ग सिजु तांग जुई को अच्छे से जनता था। जब से वो खास घटना कुछ साल पहले हुई थी , बहुत कम चीजें ऐसी थीं जो उसे प्रभावित कर सकती थीं।

"कुछ नहीं... वह व्यक्ति , सी मैनचेंग जल्दी वापिस आ रहे है। उसके वापिस आते ही क्यों न हम उसके वापिस आने का जश्न मनाये ? हमें इस हकीकत पर समारोह करना चाहिए कि उसने खुद को कोयले के टुकड़े में बदल लिया था!" तांग जुई किसी को यह बात नहीं बता सकता था कि उसके लिंग को लगभग नशे में चूर लड़की ने काट दिया था जिसने उसको गाजर समझ लिया था !

' यह कितनी शर्मिंदगी की बात है !'

उसने अपनी जगह बदल दी , अपनी टांगो को आर पार करके बैठना चाहता था। लेकिन हलकी सी भी हलचल से उसे इतना दर्द हो रहा था कि उसके चेहरे का भाव बदल गए थे। 'वो कठोर औरत। मैं यकीनन उसको ढूंढूगा और पकड़ लूंगा !' 

लॉन्ग सिजु ने देखा कि तांग जुई ने विस्तार में बात करने से इंकार कर दिया था , तो उसने ज़्यादा जोर नहीं दिया। अचानक से उसने अपने आँखों को सिकोड़ लिया जब कमरे के बाहर गैलरी में चहल पहल बढ़ गई थी। वो जनता था कि वो युवा महिला थी। ' इस जगह से जाने के लिए क्या वो इतनी उत्तेजित थी ?'

लॉन्ग सिजु ने अपनी सुन्दर भौहो को धीमे से सिकोड़ लिया .... 

…..

सु कियानक्सुन ने ड्राइवर को उसे यूनिवर्सिटी के प्रवेश द्वार तक ले जाने की अनुमति नहीं दी , क्योकि वो अभी किसी का ध्यान अपनी ओर नहीं खींचना चाहती थी। कार से उतरने के बाद , वो आराम से कैंपस की रोशनी वाली जगह की ओर चलने लगी. जैसे उसने अपने आस पास के लोगों और सड़क के किनारे ऊँचे पेड़ो को देखा , उसे ऐसा लगा जैसे वो इस जगह से पहले से ही परिचित थी। 

' आज़ादी वास्तव में मजेदार होती है !'

जैसे ही सु कियानक्सुन कैंपस के दरवाज़े पर पहुंची , पीछे से सु रान की आवाज़ सुनाई दी। " कियानक्सुन ...तुम तुम कैंपस में वापिस आ गई !" 

जब सु कियानक्सुन उसकी आवाज़ सुनी , उसने अपनी मुट्ठी को जोर से बंद कर दिया। सु रान का सामना करने से पहले उसने कुछ गहरी साँसें लीं,और मुस्कराई। " रान रान , क्या संयोग है। तुम भी अभी अभी आई हो ? 

" हाँ , मैं हमेशा के मुक़ाबले देर से आई हूँ क्योकि मुझे कही जाना था आज। जिये कैसा है ? सु रान ने ऐसे पेश किया जैसे वो अपने भाई बहिन के लिए बहुत दिल से परवाह करती थी। 

सु कियानक्सुन उसके दिखावे से गंभीर रूप से इतनी अप्रसन्न हो गई थी कि उसने लगभग उलटी कर दी थी। सु रान अभिनय करने वैसे भी बहुत माहिर थी। सच में उसका अभिनय का तरीका बहुत ही उत्तम था !

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