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कार्तिक अंश आर्या

Realista
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Sinopse

एक 18 साल का लड़का अपने सपने साकार करने के लिए यूनिवर्सिटी गया । पर उसे कहां पता था कि उसके सपनों को नजर लगने वाली है वह अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर यूनिवर्सिटी में दाखिल हुआ था। पर उसे कहां पता था जिस यूनिवर्सिटी में जाने का सपना देख रहा था उसी यूनिवर्सिटी में उसके साथ इतना बड़ा अन्याय होगा । और उसे मौत के घाट उतार कर फेंक दिया जाएगा उसका बूढ़ा पिता दर-दर की ठोकर खाते हुए उसके लिए इंसाफ पाने के लिए भटकता रहेगा क्या कोई मसीहा आएगा ? जो उसके पिता को और उसे इंसाफ दिलाएगा या कोई और चमत्कार होगा । क्या वह वाकई मर चुका है ??

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कौन राष्ट्रपति बनना चाहता है?

कौन राष्ट्रपति बनना चाहता है? कहानी इस बारे में है कि कैसे लोग एक तानाशाह को असामान्य, अपरंपरागत तरीके से उखाड़ फेंकने का प्रयास कर सकते हैं। आख़िरकार, कोई भी विचार या प्रतिनिधित्व एक निश्चित, निर्दिष्ट समय पर ही प्रकट होता है। विचारों - जिनका समय आ गया है - में अपार शक्ति होती है। प्राचीन काल से ही लोग जादू को जानते और प्रयोग करते आये हैं। सभी जादुई अनुष्ठान अलौकिक, अभौतिक शक्तियों पर आधारित हैं, समझ से बाहर हैं और इसलिए अभी तक विज्ञान द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हैं। जादुई और असाधारण घटनाओं और क्षमताओं में बहुत समानता है, क्योंकि वे उन ताकतों और कारकों का उपयोग करते हैं जिन्हें वैज्ञानिक रूप से समझाया नहीं जा सकता है। सभी जीवित प्राणी और लोग केवल भौतिक शरीर नहीं हैं। उनमें पदार्थ के अलावा भी कुछ है, और इसलिए वे भौतिक दुनिया से परे जो कुछ भी है उसका अनुभव और अनुभव करने में सक्षम हैं। लगभग हमेशा, कुछ ताज़ा, नया और बेहतर दिखने के लिए, सड़े हुए पुराने को नष्ट करना और जलाना आवश्यक होता है। अग्नि परिवर्तन, परिवर्तन और पुनर्जन्म का प्रतीक है। अग्नि तत्व सभी चीजों के केंद्र में कार्य करता है - सब कुछ उसी से आया है और सब कुछ उसी में वापस आ जाएगा।

Alex_Petrov_9527 · Realista
Classificações insuficientes
8 Chs

एक संन्यासी ऐसा भी

उपन्यास "एक संन्यासी ऐसा भी" को हम तीन प्रमुख वर्गों और उनके अंतर्गत आने वाले विभिन्न भागों में विभाजित कर सकते हैं। यह विभाजन कहानी को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करने में सहायक होगा और पाठकों को महादेव की यात्रा को समझने में मदद करेगा। वर्ग 1: प्रारंभिक जीवन और आत्मिक जिज्ञासा इस वर्ग में महादेव के बचपन और उसके मन में आत्मज्ञान की खोज की शुरुआत का वर्णन है। यह भाग महादेव की जिज्ञासा, प्रश्नों और संघर्षों पर केंद्रित होगा। भाग 1: बचपन और परिवार - गाँव की पृष्ठभूमि और महादेव का परिवार - माँ के साथ महादेव का संबंध - बचपन की मासूमियत और प्रारंभिक जिज्ञासाएँ भाग 2: आंतरिक संघर्ष की शुरुआत - महादेव का अन्य बच्चों से अलग होना - गाँव में साधारण जीवन और महादेव का उससे अलग दृष्टिकोण - शिवानन्द से पहली मुलाकात और आध्यात्मिकता की पहली झलक भाग 3: युवावस्था और आकर्षण - गंगा के प्रति महादेव का आकर्षण और आंतरिक द्वंद्व - घर और समाज की जिम्मेदारियों का दबाव - ईश्वर और भक्ति के प्रति बढ़ता रुझान वर्ग 2: आध्यात्मिक यात्रा और संघर्ष इस वर्ग में महादेव की आत्मिक यात्रा, भटकाव, और उसके संघर्षों का वर्णन है। यह भाग उसकी साधना, मानसिक उथल-पुथल, और आंतरिक शक्ति की खोज को उजागर करेगा। भाग 4: आत्मज्ञान की खोज - तीर्थ यात्रा और विभिन्न साधुओं से मुलाकात - आत्मा की गहन खोज और ध्यान - प्रकृति के साथ एकात्मता का अनुभव भाग 5: मोह-माया से संघर्ष - स्त्री आकर्षण के विचार और उनका दमन - घर वापस लौटने की कोशिश और मोह-माया के जाल में फँसने की स्थिति - साधना में बढ़ती हुई गहराई और आध्यात्मिक अनुभव भाग 6: आंतरिक चेतना का उदय - महादेव का अंतर्द्वंद्व और आत्मिक साक्षात्कार - ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण - शारीरिक और मानसिक थकावट का अनुभव वर्ग 3: मोह-मुक्ति और आत्मसमर्पण यह वर्ग महादेव के आत्मज्ञान प्राप्ति और मोह-मुक्ति के पथ को दर्शाता है। इसमें उनके कर्तव्यों का निर्वाह, संसार से दूरी, और अंत में संन्यासी के रूप में पूर्ण समर्पण का वर्णन होगा। भाग 7: कर्तव्य का निर्वाह - परिवार के प्रति अंतिम कर्तव्यों की पूर्ति - सामाजिक जिम्मेदारियों से मुक्ति - आध्यात्मिक जीवन की ओर संपूर्ण समर्पण भाग 8: अंतिम मोह-मुक्ति - महादेव का मोह और तृष्णा से पूरी तरह से मुक्त होना - अपने जीवन को पूर्ण रूप से संन्यास में समर्पित करना - जीवन के अंतिम समय में ईश्वर में विलीन होने की तैयारी भाग 9: आत्मज्ञान की प्राप्ति - महादेव का आत्मज्ञान और अंतिम यात्रा - भौतिक जीवन का अंत और आत्मा का मोक्ष - संन्यासी के रूप में महादेव का जीवन-समाप्ति समाप्ति: उपन्यास के अंत में महादेव के संन्यास, आत्मसमर्पण, और उसकी अंतिम यात्रा को दर्शाया जाएगा। यह भाग पाठक को एक गहरी सीख देगा कि भौतिकता से मुक्त होकर, आत्मज्ञान की ओर बढ़ना कितना कठिन है, परंतु यह वह मार्ग है जो हमें मोक्ष की ओर ले जाता है। विशेष नोट: प्रत्येक वर्ग और भाग में भारतीय समाज और संस्कृति का चित्रण प्रमुख रहेगा। महादेव की यात्रा को एक आम व्यक्ति के दृष्टिकोण से देखा जाएगा, जिससे पाठक आसानी से उससे जुड़ सकें।

Banarasi · Realista
Classificações insuficientes
11 Chs

जिंदगी 1

अब ये हम दोनो के बिच प्यार था या आकर्षण ये तो पता नही ,लेकिन जो भी था बहुत जबर्दस्त था । अब थोरे थोरे मेरे कदम भी लर्खराने लगे थे , मैने उसे बोला की अब चलते है ,मैने अभी पुरा बोला भी नही था की उसने अपनी उंगली मेरे लिप्स पे रख दी ,और बोली नही अभी नही अभी और , ये बोलते बोलते उसके कदम लर्खराने लगे थे,उसकी आँखे बन्द हो रही थी ,मेरे सिने पे उसने अपने सिर को रखा उसके हाथ मेरे गर्दन पर लिपटे थे,वो उपर आँखे कर के मुझे इक मदहोश नजरो से देख रही थी ।उसकी गरम सांसे मुझे बहुत ज्यादा रोमांचित कर रही थी , कुछ देर तक तो मै उसे ऐसे ही देखता रहा ।फिर मैने सोचा की अब हमे निकलना चाहिये ।मैने घरी देखी रात के 10बज चुके थे ,मैने सोचा हमे अब निकलना चाहिये ।

Anurag_Pandey_5625 · Realista
Classificações insuficientes
7 Chs

Avaliações

  • Taxa Geral
  • Qualidade de Escrita
  • Atualizando a estabilidade
  • Desenvolvimento de Histórias
  • Design de Personagens
  • Antecedentes do mundo
Opiniões
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