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wonders of sea

ファンタジー
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Chapter 1अनजाना ख़्वाब

बेह रही थी मैं जैसे किसी तेज लहर की तरह फिर भी ना डर था और ना ही कोई चिंता। मै डूब नहीं रही थी बल्कि खुद ही एक लहर की तरह थी जैसे वो जलधारा मेरी दोस्त हो और में उसके साथ बड़ी खुशी से भर्ती जा रही हूं।

पर ज्यू ये सब हो रहा है? मै तो पानी से इतना डरती हूं कि भारी बाल्टी में भी नहीं देख सकती। फिर आज क्यों मुझे कोई डर नहीं है। आज मुझे अपनी निडरता से डर लग रहा है। और यूहीं मेरी दिल की धड़कने बढ़े जा रही हैं।

ये क्या हो रहा है, क्यू हो रहा है।

तभी मैने देखा कि हज़ारों के झुंड में रंग बिरंगी मछलियां मेरे पास आ रही। मानो इन्द्रधनुष चलता हुआ मेरी तरफ आ रहा हो। वैसे तो कभी मछलियों को पास से देखा तक नहीं। पर तब ऐसा लग रहा था के मेरा परिवार मेरे पास आ रहा है। और फिर अचानक एक बड़ी सी मछली मेरे पास तेज़ी से आयी और मेरे गले से लग गई। मैं सकपका गई, पर फिर भी में दरी नहीं। क्यों?

और फिर वो हुआ जो में कभी सोच भी नहीं सकती थी।

कहा गई थी तुम, पता है हम जितना परेशान हो गए थे। कोई से चिंता नहीं तुम्हें, कुछ हो जाता तो - ये सब उस बड़ी मछली ने मुझे बोला।

मेरी आंखे तो फटी की फटी रह गई।

है भगवान ये क्या हो रहा है, लग रहा है में एक साथ दो जिन्दगी जी रही हूं - मेरे मन ने सोचा!

पर फिर भी मैने जवाब दिया - मेमेमेम्म्म! वो! वो!

क्या मै, वो लगा रखा है। सही सही बताओ कहा गई थी। कुछ गडबड तो नहीं करके आयि हो। - एक दूसरी बड़ी मछली ने आके बोला।

अच्मभे भरे मैने कहा - मुझे नहीं पता में कहा गई थी।

कुछ याद नहीं।

तभी एक लड़के ने आके मुझे सिर पे मारा और कहा - अब याद आया!

और अचानक में फिर से एक पानी के अंदर अंधेरे में जाने लगी , गोल गोल घूमने लगी। अब कोई नहीं दिख रहा था में बिल्कुल अकेली थी और बस नीचे डूबे जा रही थी घोर अंधेरे में। अब मुझे सच में डर लग रहा था। लग रहा था जैसे ये ही अंत हट अब मेरा। तभी फिर एक रोशनी सी मेरी तरफ जोरो से आती हुई मेरी आंखो में जोर से गिरी।

नहिहिहिहिही!

और चीखती हुई मै अपने सपने से जागती हूं। पसीने से भरा मेरा चेहरा, मानो सच में ही पानी में डुबकी लगाकर आई हूं।

ऐसा लग रहा था जैसे सच वो जब मेरे साथ हुआ है। होश आने में भी 10 मिनट लग गए।

तभी दूर से एक आवाज़ आई- मर गई क्या सपने मै?

तब एहसास हुआ कि सपना था। पर बड़ा ही अजीब था।

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प्रोडिजियस्ली अमेजिंग वेअपनस्मिथ

जब कचरे समान माना जाने वाला व्यक्ति अचानक बुद्धिमान माना जाने लगे तो इस एक शब्द में कहा जाएगा - भयंकर| इसी को दो शब्दों में कहा जाएगा - दो मुँहा| यदि तीन शब्दों में कहना हो तो - स्वर्ग का अवहेलक | वह शस्त्रीकरण की सबसे महत्वपूर्ण गुरु थी| एक वंश से गुज़रते हुए वह एक ऐसी युवती बन गई थी जिसे लोगों द्वारा जिल्लत और अपमान मिला| प्राचीन जानवर? कितना अपमानजनक था यह ...या तो वह एक आज्ञाकारी पालतू जानवर की तरह व्यवहार करे या फिर उसे क़त्ल कर दिया जाए| नवे स्तर की प्रतिभा...हजारों सालों में एकाध बार किसी में झलकने वाली दुर्लभ प्रतिभा...उसका जन्म देवी प्रतिभा के साथ हुआ था जो सारे बुद्धिमानों को मात देती थी| शस्त्रीकरण की सर्वोच्च गुरु और उसकी कोई कीमत नहीं? माफ़ कीजिए पर जो कटोरा वह अपनी बिल्लियों को खाना खिलाने के लिए इस्तेमाल किया करती थी वह भी ईश्वरीय श्रेणी का था| उसके पास ऐसी ऑंखें थीं जो हर चीज़ के आर-पार देख सकती थी, फिर भी बस एक चीज़ ऐसी थी जिसे वह आर-पार न देख सकती थी - उस को... अपनी कुटिल मुस्कान को उजागर करते हुए उस राजा ने अपना बेल्ट ढीला करते हुए कहा, "क्या? इसके आर-पार नहीं देख पा रही हो? डरो मर, जब तुम कमरे में वापस आओगी तो धीरे-धीरे सब देख पाओगी| मैं तुम्हें सिर से पाँव तक अच्छी तरह से देखने की अनुमति दूँगा| "

Shui Qingqing · ファンタジー
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