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Let's enjoy normal life

तो कहानी शुरू होते हमें दिखाया जाता है कि लक्ष्य अपनी क्लास में बैठा होता है यह जैसे कि पिछले अध्याय में बताया था कि लक्ष्य अपनी पांचवी कक्षा में आ चुका है ।

और अब वह एक पांचवी कक्षा का छात्र है परंतु पांचवी क्लास में आने से पहले उसके साथ एक चीज हो गई उसके पिता का ट्रांसफर हुआ वह जब चौथी में था।

तो मैं जहां था उधर उसने चौथी अपनी कंप्लीट करी उसे स्कूल में जिधर से उसने पहली दूसरी और तीसरी बड़ी उधर ही उसने अपनी चौथी भी पड़ी पर लेकिन उसके पिता का ट्रांसफर होने का वह भी कहीं और आ चुके थे वे लोग अब एक बड़े और खुले शहर में आ चुके थे जिधर लोग अपने बच्चों के साथ कभी समय नहीं पीता पाए थे कुछ खुशनसीब भी हो पाए थे।

जो अपने बच्चों के साथ अपना कुछ समय बिता सकते थे क्योंकि इस बड़े शहर में काम भी ज्यादा था और काम करने वाले काम से ज्यादा थे।

इसी वजह से या कोई किसी वजह से अपने काम में दिक्कतें देखा था तो उसके काम करवाने वाले उससे वह काम लेकर किसी और को भी दे सकते थे इसीलिए वह अपने काम को करने में काम से कम देरी और ज्यादा से ज्यादा जल्दी करने की कोशिश करते थे।

काम करते समय या कोई दिक्कत हो तो उसे बता सकते हैं पर या घर के कारण घर उनकी तबीयत ऐसी कोई वजह के कान वह नहीं आ सकते तो जो काम करवा रहा है।

वह किसी और को भी रख सकता है आप खुद ही सोचो यह आप किसी से कुछ करवा रहे हो और वह किसी काम के कारण व्यस्त है या इस तबीयत खराब है तो आप तो यही सोचोगे आपका पैसा बर्बाद जा रहा है।

मैं काम तो कर नहीं रहा तो उसे बड़े किसी और को वह काम दो और वह काम कर लो परंतु छोटे गांव में एक चीज नहीं होती कुछ काम के लिए कुछ निर्धारित लोग ही होते हैं जो वह काम कर सकते हैं।

और उनको ही वह काम करना चाहिए जैसे की एक असली डॉक्टर और फर्जी डॉक्टर असली डॉक्टर के पास तभी जाते हैं जब हमें ज्यादा जरूरत हो और हमें वालों की हां यह बीमारियों हमारे हाथों में फर्जी डॉक्टर के पास भी लोग जाते हैं क्योंकि उसे भी थोड़ी बहुत दवाई की जानकारी होती है।

वह भी डॉक्टर के नीचे काम करते हैं और फिर थोड़ी बहुत जानकारी लेने के साथ अपना डॉक्टर का काम करने लगते हैं लोग उनके काम करने के तरीके को देखकर ही समझ जाते हैं।

कौन असली और कौन नकली गांव में कम पैसे वाला कभी-कभी नकली डॉक्टर के पास भी चला जाता है और कभी-कभी अच्छा खासा पैसे रखने वाला भी नकली डॉक्टर के पास जाकर छोटी-मोटी बीमारी है उससे भी चक्कर आता है क्योंकि हल्की-फुल्की बीमारी चेक करना तो उसे आता ही होगा।

कहानी में आगे बढ़ते हैं इसी वजह से लक्ष्य का स्कूल भी बदल दिया जाता है क्योंकि अब लक्ष्य से एक बड़े शहर में था और उधर उसे अच्छी पढ़ाई भी मिल सकती थी पर तभी जब वह स्कूल बदल चुके होते हैं तब भी उन्हें याद आता है कि लक्ष्य तो क्या है?

तब उन्हें अपनी किए पर प्रस्ताव होता है क्योंकि वह लक्ष्य को कम आंख रहे थे जिसने इतने बड़े-बड़े प्रोफेसर हो के होश तक उड़ा दिए थे उन्हें हक्का-बक्का तक कर चुका था अपनी नॉलेज के वजह से तो यह स्कूल उसे क्या सीखना परंतु लक्ष्य की बहन लक्ष्य की तरह तो थी नहीं और हमेशा उसे ताना मारते हुए वह पक चुकी थी और सब फर्क भी नहीं पड़ता था परंतु अपनी पढ़ाई पर और बढ़ोतरी होते हुए देखा उसे खुशी थी अच्छे खासे स्कूल में टकला से उसे बहुत खुशी हुई।

इसके बाद हमें लक्ष्य को उसकी पांचवी क्लास में पहले दिन दिखाया जाता है।

लक्ष्य अपनी क्लास के सामने खड़ा अपना परिचय दे रहा होता है वह बताता है कि मेरा नाम लक्ष्य है मैं जहां पहले रहता था उधर मैं फोर्थ क्लास तक पढ़ा है और मैं अब आप लोगों के साथ अपनी आगे की पढ़ाई करूंगा मुझे खुशी होगी आप सब से दोस्ती करते हुए।

इसके बाद वह अपनी क्लास में एक बेंच पर जाकर बैठ जाता है उसे बेंच पर एक लड़का जो बहुत दुबला पतला होता है उसने अब आंखों पर चश्मा लगा रखा होता है उसे लड़के का नाम राहुल होता है राहुल अपना सर बेंच पर रखे लेट पड़ा होता है मतलब कि उसने अपना हेड डाउन कर रखा होता है।

अलग से आकर उससे पूछता है आखिरकार तुमने अपना हेड डाउन क्यों कर रखा है वह किसी की आवाज सुनकर एकदम से हैरान हो जाता है वह उठना है।और लक्ष्य को देखकर बहुत खुश होता है वह उसे बताता है कि वह यूकेजी एलकेजी और नर्सरी से लेकर 5th क्लास जहां आज वह उसके साथ बैठा है वहां तक पढ़ चुका है।

परंतु उसका कोई भी दोस्त नहीं बना और ना ही उसे कुछ जानता है और पहली बार उसके साथ कोई बैठा और उससे बात कर रहा है पर जहां तक उसे लग रहा है कि यह भी कुछ दिनों में चला जाएगा और यह बात है मुंह पर लक्ष्य के बोल देता है।

लक्ष्य उसके जवाब में बोलता है मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा मैं तुम्हारा आज से नया दोस्त हूं या इतने सालों अकेले रहे हो तो मैं तुम्हारा दोस्त बन।

लेकिन किन कुछ देर बाद जो उनकी अध्यापक होती है।

वह उन्हें पहली क्लास लेकर जाने लगती है और बताती है कि इसके बाद तुम्हारी अगली क्लास खाली होगी उसमें तुम जो चाहे वह कर सकते हो पर क्लास से बाहर मत निकालना जैसे ही उनके अध्यापक क्लास से बाहर जाती है।

उसके दो-तीन सेकंड बाद आधे से ज्यादा क्लास की लड़कियां लक्ष्य के पास आ जाती है और लक्ष्य से अपना इंट्रोडक्शन करने लगती है जो देखकर राहुल एकदम हैरान हो जाता है लड़कियां लक्ष्य से ऐसी बात कर रही थी।

जैसे कि वह लक्ष्य को कई सालों से ना मिली हो और उससे कई बातें करनी हो वह लक्ष्य से हर एक बात करने की मुमकिन कोशिश कर रही थी वह उसका दोस्त बनना चाहती थी।

जो देखकर राहुल चढ़ जाता है कि कहता है मेरे पास आज तक इतनी लोगों की भीड़ मैंने सिर्फ सपनों में ही सोची या देखी थी पर यह तो हकीकत में मेरे सामने पहली बार हो गया और इसके बाद हमें रिसीव का टाइम दिखाया जाता है इसमें क्लास के लड़के लक्ष्य के पास आकर उससे फुटबॉल खेलने के लिए पूछते हैं ?

लक्ष्य कहता है मैं फुटबॉल खेलेगा पर तुमने राहुल से नहीं पूछा वह लड़के बताते हैं कि राहुल को फुटबॉल खेलने नहीं आता हम इसीलिए उसे बुलाते नहीं और राहुल को बहुत बुरा लगता है।

होगा कि हम उसे बुलाएं और उसे फुटबॉल खिलवाएं क्योंकि उसे लगता है कि हम उसे जबरदस्ती करवा रहे हैं ताकि उसकी बेइज्जती हो और हमें मजा आए हमें ऐसा लगता है इसीलिए हम उसे कभी पूछते नहीं और उसे हमेशा अकेला रहने देते हैं लक्ष्य उसे बात उन्हें बताता है।

कि राहुल को तुमने इतना अकेला भी नहीं छोड़ देना चाहिए था वह तो बेचारा अब सपने में सोचता है कि दो-तीन लोग भी उसके आसपास खड़े हूं मुझे तुम सोच सकते हो कि उसे कितना अकेलापन अब महसूस होता होगा।

तुम उसके क्लासमेट हो तुम्हें उसके साथ अच्छे से बर्ताव करना चाहिए मुझे लगता है दोनों साइड थोड़ी कन्फ्यूजन हो गई है और वह बढ़ जाती जा रही है मुझे उसे सुलता देना चाहिए।

इसके बाद लक्ष्य सारी बातें उन सबको समझाता है और राहुल को भी समझता है और राहुल और वे सारे लड़के वापस से दोस्त बन जाते हैं राहुल और लड़कों के भी जो थोड़ी गलतफहमी सिर्फ एक छोटे से खेल के कार्ड बन मिलती है कि राहुल के पास जाकर हम यह कोई बात करें और वह बुरा मान जाए।

उसे बुरा ना लगे उसके लिए ही वह राहुल से हमेशा दूर रहते थे पर अब सारी बातें राहुल और सबको समझ आ गई थी जिसके बाद राहुल बाहर सबका फुटबॉल देखते हुए कहता है तुम लोग फुटबॉल खेलो मैं तुम्हारी फुटबॉल के काउंटिंग को करूंगा।

तभी राहुल कहता है 6 बंदों की टीम एक तरफ छह बंदूक टीम है और एक तरफ छह बंदूकन की टीम है दोनों तरफ एक समान टीम है जिसके लोग भी समान है यानी की बंदी भी समान है और हर टीम को जीतने के लिए पांच गोल करने होंगे इसके बाद वह जीत जाएगी।

मैच शुरू होता है पहले दूसरी टीम जिसमें लक्ष्य नहीं होता है वह दो गोल कर देती है लक्ष्य की टीम रहती है हमें किसी भी हालत में गोल करना होगा।

जिसके जवाब में लक्ष्य कहता है ठीक है तुम मुझ तक बोल पहुंचा देना मैं गोल कर दूंगा।

उसकी टीम के लोग ऐसा ही करते हैं उसे तक वह बाल पहुंचा देते हैं और वह फिर बाल केक करता है जिससे वह हवा में रोते होते हुए एक आधी चौड़े गोल लाइन मैं बोल जाकर कॉल कास्ट में गिरती है और कॉल हो जाता है इसके बाद राहुल बताता है कि लक्ष्य ने ऐसे ही चार गोल कर दिए अबकी बार तो उसे बाल लाकर देने की जरूरत नहीं पड़ी वह ऐसे ऐसे करतब करते हुए गोल कर रहा था जैसे कि वह कोई प्रोफेशनल प्लेयर हो और उसके सामने यह सारे तो ठहरे बच्चे कैसे गोल कर पाएंगे।

मैच खत्म होने के बाद जो लक्ष्य था उसकी फैन फॉलोइंग जो पहले से ही कई गुना ज्यादा बढ़ चुकी थी और बढ़ जाती है लड़कियां हो या लड़का हर कोई उसके दीवाने हो जाते हैं ऐसे ही सिर्फ 7 दिन भी जाते हैं ।

पूरे स्कूल में लक्ष्य के चर्चे ही चर्चे हर एक लड़का उसकी पढ़ाई खेल मैं सबसे महारथी होने के कारण जानता था और हर एक लड़की उसे पढ़ाई खेल और हैंडसम होने के कारण जानती थी।

परंतु लक्ष्य की बहन जो अपनी कक्षा के अंदर पढ़ाई करती थी वह अपनी कक्षा आठवीं के अंदर बैठी थी अपने भाई के ऐसे चर्च सुनके वह भी खुश थी पर लेकिन वह किसी को यह नहीं बोल सकती थी कि वह उसका भाई है क्योंकि वह हर बार की तरह स्कूल में भी कंपेरिजन का सामना नहीं करना चाहती और उसके भाई से उसे कोई दिक्कत भी नहीं है।

लक्ष्य घर जाता है और घर जाकर एक आम बच्चों की तरह रहने की सोचता है क्योंकि वह बड़ों की तरह समझदारी वाली चीज करते हुए तंग आ चुका है और वैसे भी ऐसी अब कोई चीज नहीं बची जो वह चीज सीख सके जान सके इसीलिए वह अपना आज का दिन आराम से एक नॉर्मल बच्चे की तरह टीवी देखते हुए कार्टून देखते हुए बताता है।