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उत्सव काफी दिन तक चला. राजकुमार का भव्य स्वागत किया. कुछ दिन तो राजकुमार खुश रहा. फिर वह उदास रहने लगा. लालदेव ने इसका कारण जाना तो वह भी उदास हो गया. कुछ दिन बाद लालदेव बोला:-

"कुबेर राक्षसराज! तुम्हे इसका पता तो नीलदेव बता सकता है लेकिन वह अहंकारी है. हम उससे युद्ध कर बंदी बना ले तो कुछ काम बन जाए."

राजकुमार युद्ध के लिए तैयार हो गया. लालदेव बोला:-

"वह सेना युद्ध नहीं करेगा. वह जितना जादू जानता है, उतना और कोई नहीं जानता. हम थोड़ा सा जादू जानते हैं. उसे कैसे जीतें?"

राजकुमार बोला:-

"तुम चिंता ना करो. मेरे साथ चार सैनिक जो जादू जानते हो, भेज दो. मैं उस नीलदेव को कल बंदी बना लूंगा."

लाल देव ने चार सैनिकों को जो जादू के अलावा वीर थे, उन्हें राजकुमार को दे दिया.

रात हो चुकी थी. सारा नगर सो गया था. परंतु राजकुमार को नींद नहीं आ रही थी. उसे घर से निकले एक साल हो गया. घर वाले चिंता करेंगे. वह पिता को भी बताकर नहीं आया था. अब नीलदेव की सहायता से जल्दी ही स्वर्णा कुमारी को ढूँढ लेगा. यह सोचते-सोचते उसकी आँखे मूंद गई.

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