जब राजकुमार वहां पहुंचा तो देखा कि एक छोटा सा तालाब है. उसने घोड़े को घास चरने छोड़ दिया और स्वयं आँखों में मलहम लगाने लगा. आँखों में मलहम लगाने पर उसने देखा कि तालाब में मोती भरे पड़े हैं तथा तालाब के बीचोबीच एक सुंदर लाल पत्थर पड़ा है. उसने वहां जाकर पत्थर हटाया और देखा एक प्रकाश वाली सुरंग है. वह उसमें चलने लगा. आगे एक खूबसूरत महल था. वह उसमें घुस गया. एक के बाद एक कमरे देखता आया. किसी में सोना, चांदी, हीरे, मोती, पुखराज, मूंगा, नीलम भरे पड़े थे. पर उसे कहीं चुड़ैलें नहीं दिखाई दी. उसने एक कमरा देखा, उसे लगा इसमें कोई रहता हो. उसने गुरु की दी हुई लाल मणि निकाली और सिर पर रख ली. वह अदृश्य हो गया. वह दरवाज़े के पास बैठ गया. काफी देर तक कोई बाहर नहीं आया तो वह बाहर आकर वहां पेड़ों पर लगे फल खाने लगा. उसने देखा एक पेड़ के नीचे तीनों चुड़ैलें बैठी हैं. वह वहां आ गया देखा तीनों चुड़ैल अंधी है तथा आपस में बात कर रही है. उसने पीली मणि को रगड़ कर दुदंभी राक्षस को याद किया. जब वह आया तो उसने कहा:-
"तुम दोनों हाथों से दो की गर्दन पकड़ लो, बाकी काम मैं कर लूंगा."
राक्षस ने दोनों की गर्दन पकड़ ली, वे चीखने लगी. राजकुमार ने तीसरी की गर्दन पकड़ ली. अब तीनो चीखते हुए कहने लगी,
"कौन है? हमें छोड़ दो. तुम्हारी हर इच्छा पूरी करेंगे."
राजकुमार ने पकड़े-पकड़े पूछा,
"मुझे रहस्यमय मुर्दे का पता बताओ, नहीं तो तीनों को मार दूंगा."
चुड़ैलें कहने लगी,
"हम तो यही जानते है कि यहाँ से बहुत दूर समुद्र में एक टापू है. वह बहुत बड़ा है. उसके चारों और ज़हरीली गैस छाई रहती है. जो भी उस गैस की लपेट में आ जाता है, वहीँ जल कर राख हो जाता है. उसमें तीन घाटी हैं. तीनों के अलग-अलग राजा है. वे एक दूसरे पर अधिकार जमाना चाहते हैं. वह उन तीनों में किसी के पास है."
राजकुमार ने यह सुनकर राक्षस चुड़ैलों को छोड़ने का इशारा किया तथा बाहर आए.
वहां उसका घोड़ा तैयार खड़ा था. वह उस पर बैठ गए और दक्षिण की और बढ गया.