खुद को बनाते बनाते
जवान से बूढ़ा हो गए
ये मेरा कसूर नाही
किसका कसूर था
काश मैं जिया होता
मौज मस्ती किया होता
तो ये नौबत नाही आता
तो ये गम ना सताता
तकदीर भी साथ न दिए
हर पल को तरसाये
खुशियाँ तो दूर रहा
काश हमें जीने देते
खुद को बनाते बनाते
जवान से बूढ़ा हो गए
ये मेरा कसूर नाही
किसका कसूर था
----Raj