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Shairy No 14

अर्ज़ कुछ यूँ किया है ज़रा गौर फरमाइयेगा

झील सी आँखों में तेरे मैं डूबना चाहता हूँ

झील सी आँखों में तेरे मैं डूबना चाहता हूँ

इन नशीली आँखों के नशे में मैं झुमना चाहता हूँ

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