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जादू की दुनिया की जानकारी

अभिनव का दिल तेजी से धड़क रहा था। उसने जो देखा था, वह उसके दिमाग को झकझोर रहा था। वह सोच में पड़ गया कि क्या वह सपना सच हो सकता है। उसने अपनी आँखों को रगड़ा और फिर से देखा कि बावर्ची एक तरफ खड़ा था और अपने इशारे से खाना बना रहा था। तब अभिनव को लगा कि उसकी अभी नींद ठीक से नहीं खुली है। फिर अभिनव उनके पास पहुंचा और बोला, "अंकल, आप खाना को ऐसे कैसे बना रहे हैं?" 

इस पर खाना बनाने वाला बावर्ची बोला, "बेटा अभिनव, तुमने फिर से रात में ज्यादा देर तक साइंस वाली नॉवेल पढ़ी है।"

अभिनव ये सुनकर सोच में पड़ गया और अपनी जगह पर बैठकर सोचने लगा। अब तक उसका खाना भी आ गया था और अभिनव ये सोच रहा था। अचानक अभिनव का हाथ अपने गले में पड़ी एक अंगूठी पर पड़ा, जो एक माला में थी। जैसे ही उसने ये देखा, उसे अपना सपना याद आया। तब अभिनव को सारी बात याद आई कि कैसे उसने एक ऐसे इंसान से बात की थी जो अपने आप को आदर्श बोल रहा था और वह अपने आप को महान जादूगर भी बोल रहा था। 

तब अभिनव जाने से पहले उस बावर्ची से आदर्श जी का फोटो मांगा था। बावर्ची ने भी अपने फोन से उसे वो तस्वीर दिखा दी। जिसके बाद अभिनव तो उस तस्वीर को देखकर हैरान था। फिर आदर्श को अपनी बहन और पिता की याद आई। उसे अब तक लग रहा था कि वह अपने परिवार से बहुत दूर हो गया है। इस पर उसने अपने घर पर फोन किया। 

अभिनव के पिता ने फोन उठाया और बोले, "हां, अभिनव बोलो।"

दरअसल, अभिनव को जब भी अपने परिवार को फोन करना होता था, तब वह यहां पर आकर ही फोन करता था। तब अभिनव बोला, "पापा, आप ठीक तो हैं ना?"

अभिनव के पिता बोले, "हमम, लगता है फिर से तुमने कोई बुरा सपना देख लिया है।"

अभिनव ये जानकर कि इस दुनिया में भी उसका परिवार है, तो उसे सांस में सांस आई। तब अभिनव ने अपनी बहन के बारे में पूछा। उसके पिता बोले, "वह अपनी बुआ के यहां पर गई है और वह भी ठीक है।" जिसके बाद अभिनव ने थोड़ी देर बात की और फिर फोन काट दिया। 

अभिनव को याद आया कि उसने अभी फोन का इस्तेमाल किया है, पर ये तो साइंस की दुनिया में होना चाहिए था। पर अभिनव ने बात करने के बाद उस फोन पर सर्च कर लिया और सारी जानकारी याद कर ली। अब अभिनव सोचते हुए बोला, "इस दुनिया के फोन एनर्जी स्टोन से चलते हैं। एनर्जी स्टोन, जो जादू से भरे होते हैं, उसी से इस दुनिया के जादूगरों ने फोन और गाड़ी जैसी अलग-अलग वस्तुएं बनाई हैं।"

अब जाकर अभिनव होश में आया था। तब अभिनव अंकन से बोला, "अब जाकर मेरा सपना सच होगा। फिर मैं जादू का इस्तेमाल भी करना सीख जाऊंगा।"

जब अभिनव स्कूल के बाहर पहुंचा, तब उसने अपने स्कूल के नाम को देखा जो अब बदलकर 'मैजिक स्कूल' हो गया था। बस नाम बदला था, वह यह था कि अभिनव की साइंस वाली दुनिया में उसके स्कूल का नाम 'साइंस स्कूल' था। अब ज्यादा ना सोचते हुए, अभिनव अपनी क्लास में पहुंच गया। 

वहां भी पहले जैसा ही था। अभी अभिनव क्लास को देख रहा था, तब उसकी नजर एक पेंटिंग पर गई जिसे देखने के लिए वह पहुंच गया। उस पेंटिंग में किसी महान जादूगर के बारे में लिखा था। तब अभिनव ने उसके बारे में पढ़ा तो हैरान था। ऐसा भी है क्या इस दुनिया में? अभिनव ने पढ़ा था कि आदर्श एक महान जादूगर है जिन्होंने इस दुनिया को कई सारे बुरे लोगों के हमलों से बचाया था। जिसके बाद तो उसने उस आदर्श के बारे में कई बातें पढ़ी थीं। 

फिर वह अपने मन ही मन बोला, "मतलब इस दुनिया का महान जादूगर और मेरे सपनों में आया आदर्श ये दोनों एक ही हैं। मुझे उन तक पहुंचकर इन सब के बारे में पता लगाना ही होगा और उसके लिए मुझे पहले एक अच्छा जादूगर बनना होगा। फिर मैं उनसे मिलकर अपने इस दुनिया में आने की वजह को पूछ पाऊंगा।"

जिसके बाद अभिनव अपनी सीट पर जाकर बैठ गया। अभी वह बैठा ही था कि उसके पास उसका एक दोस्त आता है जो उसकी पूरी क्लास में इकलौता दोस्त था। उस लड़के का नाम शुसान था और वह भी उसकी तरह ही मिडिल क्लास फैमिली का था। तब अभिनव ने उससे इस दुनिया की कई सारी बातें पूछीं। 

अभिनव ने शुसान से सब बातें ऐसे पूछीं जिससे उसे पता ना चल सके कि अभिनव को ये पता भी है या नहीं। इस पर उसे पता चला कि यह शहर चारों ओर से मैजिकल बीस्ट से घिरा हुआ है और उन सभी से बचाने के लिए मिलिट्री आर्मी पहरा देती है। 

जिसके बाद अभिनव को और भी कुछ पता चला। अब अभिनव को बस शुसान को शुरू करने की देरी थी जिसके बाद तो शुसान ने ज्यादातर जानकारी अपने आप ही दे दी थी। 

थोड़ी देर बाद क्लास शुरू हो गई थी। तभी उस क्लास में कोई और नहीं बल्कि भानु जी आए और वह बोले, "आज सब लोग मैजिकल बीस्ट के बारे में पढ़ेंगे।"

भानु जी बोले, "कुछ पहले हुए एग्जाम में कुनाल ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है," जिसके बाद उन्होंने कई सारे बच्चों के नाम बताए। आखिरी में बोले, "अभिनव, तुम्हें इस बार क्या हो गया था? तुमने इतना खराब प्रदर्शन किया है। मैं मानता हूं, कुछ दिन पहले तुम्हारी मां का देहांत हो गया था और तुम उसी की वजह से बहुत डिप्रेशन में हो, पर एक बात ध्यान रखना, अगर तुम्हारी मां जो तुम्हें ऊपर से देख रही होंगी, उन्हें जब ये पता चलेगा तो वह तुमसे कितना नाराज होंगी।"

इस पर अभिनव अपनी सीट पर खड़ा हो गया और अपने टीचर की बातें सुनने लगा। तब टीचर ने उसे ज्यादा ना सुनते हुए उसे बैठा दिया। कुनाल पहली सीट से चौथी सीट पर बैठे लड़के को देखकर हंस रहा था और वह अपने मन में बोला, "क्या हुआ, बड़ा ही दू पहले उछलता था पर अब की बार तेरा नसीब ही खराब है।"

थोड़ी देर बाद क्लास शुरू हो गई। आखिर कुनाल किससे बातें कर रहा था और क्या है अभिनव की मां की मौत का राज? क्या अभिनव ने जिस आदर्श से अपने सपने में बात की थी, वह कहीं बहुरूपिया तो नहीं जो बस आदर्श इस दुनिया में लाकर उसका इस्तेमाल अपने हिसाब से करना चाहता हो? 

ये सब जानने के लिए मेरे साथ यानी RJ सिधार्थ के साथ पढ़ते रहिए।