मे तो चुप था बरसों से
बात उन्होंने छेड़ी, भला मे क्या करता?
में तो उठ खड़ा हुआ था, हाथ उन्होंने थाम लिया,
फिर ठहरता नहीं तो, भला मे क्या करता?
मे तो प्यासा था बरसों से, जाम उन्होंने हाथ मे थमा दिया,
फिर पीता नहीं तो भला मे क्या करता?
याद आती थी जब उसकी, आंख मे पानी और होठों पे मुस्कान आ जाती थी
याद आयीं थीं भरी महफ़िल मे उसकी, मे आँखे बन्ध कर के हस ना पडता तो, भला में क्या करता?
याद उसकी महफ़िल मे मुझे तन्हा कर गई थी
जाम ही का तो सहारा था, बोतल खाली नहीं करता
तो भला मे क्या करता?
Rocky_christian80