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माफियास डार्क डिजायर

Realistis
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Ringkasan

Chapter 1आरव का जिद करना

अग्निहोत्री मेंशन ,

मैंशन के एक आलीशान कमरे में फोन बजने की आवाज आती है । कुछ देर तक वो फोन ऐसे ही रिंग करता है और तभी उस कमरे में एक सक्स अपने हाथ में लिए टॉवेल से अपने गीले बालों को सुखाते हुए अंदर आता है । तभी उस सक्स की नजर फोन पर जाती है और वो फोन को पिक कर लेता है ।

तभी दूसरे तरफ की बाते सुन कर वो सक्स के चेहरे का एक्सप्रेशन चेंज हो जाता है और वो अपने कोल्ड वाइस में कहता है ," I'm coming"।  इतना बोल वो सक्स फोन रख कर अपने वार्डरोब के पास जाता है और उसमे से ट्री पिस सूट निकाल पेहन लेता है और अपनी बालो को अच्छे से सेट कर वहा से निकल जाता है ।

वो सक्स सीढ़ियों से नीचे उतर कर मेंशन के बाहर जाता है और अपनी कार के पास जाता है तो वो देखता है की ड्राइवर वहा है ही नही । ये देख कर उसके गुस्से का ठिकाना ही नहीं रहता है और वो गुस्से में कहता है ," ड्राइवर ! "।  

उसकी आवाज सुनते ही एक 50 साल का आदमी डरते हुए आता है और अपनी नजर नीचे झुकाते हुए अपनी कापती हुई आवाज में कहता है ," माफ कीजिएगा सर , वो मैं..." । वो आदमी अपनी बात पूरी करता की उससे पहले ही वो सक्स गुस्से में कहता है ," you are fired "।  

ये सुनते ही वो आदमी हैरान हो जाता है और माफी मगने लगता है । तभी वो सक्स अपने हाथो से इशारा करता है जिससे एक गार्ड वहा आ कर उस आदमी को वहा से ले कर चला जाता है । वो सक्स गुस्से में कहता है ," give me the keys "।  ये सुन कर वहा पर खड़ा एक गार्ड कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोलता ही है की वो सक्स गुस्से से उस गार्ड को देखता है । 

जिसे देख कर वो गार्ड डरते हुए कार की चाभी उस सक्स को दे देता है और चाभी मिलते ही वो सक्स कार के अंदर बैठ कर कार स्टार्ट कर वहा से निकल जाता है । उस सक्स के जाते ही वहा खड़े जितने भी गार्ड्स थे सभी चैन की सास लेते है ।

दूसरी तरफ ,

कैफे में ,

कैफे का दरवाजा खोल एक लड़का अंदर आता है । उसका चेहरा ठीक से दिख नही रहा होता है क्यों की उसने अपने हाथो में एक बॉक्स को पकड़ कर रखा था जिसके ऊपर 2 और बॉक्स थे । वो लकड़ा उन बॉक्सेस को ले कर अंदर आ जाता है और इन बाइक्स को एक जगह पर रखता है ।

तभी उस कैफे का ऑनर कहता है ," सारा सामन आ गया " । ये सुन वो लड़का अपनी प्यारी से आवाज में कहता है," हा सर, सारा सामान आ गया है ,आप चाहे तो चेक कर सकते है " । इतना बोल वो लड़का पलटता है । 

कैफे ऑनर उस लड़के के तरफ देख उसके कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहता है ," इसकी कोई जरूरत नही है आरव , मुझे पता है तुम्हे जो भी काम दिया जाता है उसे तुम बहुत अच्छे से करते हो " । 

ये सुन आरव एक प्यारी सी मुस्कान के साथ कहता है ," थैंक यू सर, क्या आपके पास कोई काम है तो बताइए मैं वो भी कर देता हूं " । ये सुन वो कैफे ऑनर कहता है ," बेटा तुम पहले से ही 2 पार्ट टाइम जॉब कर रहे हो और साथ में अपना कॉलेज भी , उसके बाद भी तुम और काम मांग रहे हो , तुम कैसे ये सब हैंडल करोगे "।  

ये सुन आरव उसी मुस्कुराहट को बनाए हुए कहता है ," सर मैं सब हैंडल कर लूंगा , आप बताइए ना आपके पास कोई और काम है मेरे लिए " । ये सुन वो कैफे ऑनर कहता है ," लेकिन बेटा तुम्हे अपनी सेहत पर भी ध्यान देना चाहिए , अगर तुम ऐसे ही करते रहोगे तो..." ।

कैफे ऑनर की बात पूरी होती उससे पहले ही आरव कहता है ," सर मेरी सेहत बिलकुल ठीक है ये देखिए ( अपने आप को दिखाते हुए ) आप बस काम बताइए " । ये सुन कैफे ऑनर कहता है ," तुम ना बहुत जिद्दी हो , ये लो( एक कार्ड देते हुए) ये मेरे एक दोस्त का कार्ड है जो एक पब में मैनेजर है ,उसे एक वेटर की जरूरत है तो मैने उसे तुम्हारे बारे में बताया है और वो तुन्हे ये जॉब देने के लिए मान गया है " । 

ये सुन आरव बहुत खुश हो जाता है और मुस्कुराते हुए कहता है ," thank you sir , thank you so much "। ये सुन वो कैफे ऑनर कहता है ," तुम आज शाम 7 बजे उससे मिलने चले जाना , एड्रेस और उसका no इस कार्ड पर "। इतना बोल वो वहा से चला जाता है ।

वही आरव बहुत खुश हो रहा होता है इस जॉब को पाने की खुशी में और अपने हाथ में पहनी घड़ी को देख कर खुद से कहता है ," o God , मैं तो भूल ही गया की आज मुझे मां से मिलने जाना है , आरव जल्दी कर वरना मां तुझे बहुत डाटेगी " । इतना बोल वो वहा से निकल जाता है । 

(ये है आरव वर्मा , जिसकी उम्र 19 साल है और ये कॉलेज के फर्स्ट ईयर में है । आंखे भूरी रंग की , होट गुलाब की पंखुड़ी की तरह लाल , रंग दूध की तरह गोरा है और दिल तो बहुत ही ज्यादा साफ है जिसमे नफरत की कोई जगह नही है । )

कुछ ही देर में वो एक हॉस्पिटल के पास पहुंच जाता है और अंदर जाने लगता है । वो अपने हाथो में लिए फ्रूट बास्केट को देख कर मुस्कुराते हुए कहता है ," आज तो मां बहुत खुश हो जाएगी मैं उनके लिए उनकी मनपसंद फ्रूट्स जो लाया हूं "।  

इतना बोल वो हॉस्पिटल के अंदर जा सीधा लिफ्ट में जाता है और उसने 9 फ्लोर का बटन प्रेस करता है । कुछ ही देर में वो लिफ्ट 9 फ्लोर पर जा रूकती है और लिफ्ट का दरवाजा खुलता है ।

आरव लिफ्ट से निकल कर एक कमरे की तरफ जा उस कमरे का दरवाजा खोल जैसे ही अंदर जाने को होता है उसके कदम अपने जगह पर ही रुक जाते है और उसने जो अपने हाथ में फ्रूट्स का बास्केट लिया हुआ था वो उसके हाथों से छूट कर जमीन पर गिर जाते है ।

आखिर ऐसा क्या देखा आरव ने जो उसके कदम वही रुक गए ? ये जानने के लिए पढ़ते रहिए ,"Sinful Desire" ।

आज का चैप्टर कैसा कॉमेंट कर के जरूर बताइएगा और चैप्टर को लाइक करना ना भूले । 

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सनातन गंगा

सनातन धर्म शाश्वत नियम है. जीवन के कुछ खास तत्व या बुनियादी पहलू हैं जो हमेशा लागू होंगे. सनातन धर्म का मतलब है कि हमारे पास इस बात की अंतर्दृष्टि है कि जीवन हमेशा कैसे कार्य करत सनातन धर्म शब्द का आज आम तौर पर गलत इस्तेमाल होता है. यह एक गलतफहमी है कि धर्म का मतलब मजहब होता है. धर्म का मतलब मजहब नहीं है, इसका मतलब नियम होता है. इसीलिए हम विभिन्न प्रकार के धर्मों की बात कर रहे हैं - गृहस्थ धर्म, स्व-धर्म और विभिन्न दूसरे किस्म के धर्म. मुख्य रूप से, धर्म का मतलब कुछ खास नियम होते हैं जो हमारे लिए इस अस्तित्व में कार्य करने के लिए प्रासंगिक हैं। आज, इक्कीसवीं सदी में, चीजों को संभव बनाने के लिए आपको अंग्रेजी जाननी होती है. यह एक सापेक्ष चीज है. हो सकता है कि पांच सौ से हजार सालों में, ये कोई दूसरी भाषा हो सकती है. हजार साल पहले ये एक अलग भाषा थी. वो आज के धर्म हैं - वो बदलते रहते हैं. लेकिन सनातन धर्म शाश्वत नियम है. जीवन के कुछ खास तत्व या बुनियादी पहलू हैं जो हमेशा लागू होंगे. सनातन धर्म का मतलब है कि हमारे पास इस बात की अंतर्दृष्टि है कि जीवन हमेशा कैसे कार्य करता है। कुछ दिन पहले मुझसे पूछा गया कि हम सनातन धर्म की रक्षा कैसे करें? वैसे, क्या सनातन धर्म को सुरक्षा की जरूरत है? नहीं, क्योंकि अगर वह शाश्वत है, तो मैं और आप उसकी सुरक्षा करने वाले कौन होते हैं? लेकिन इस सनातन धर्म तक कैसे पहुंचें और इन नियमों के जानकार कैसे हों, और उसे अपने जीवन में कैसे लागू करें. इन पहलुओं के बारे में आज की भाषा में, आज की शैली में, और आज के तरीके में बताए जाने की जरूरत है, ताकि यह इस पीढ़ी के लोगों को आकर्षक लगे. वे इसे इसलिए नहीं अपनाने वाले हैं क्योंकि आप इसे कीमती बता रहे हैं. आप इसे उनके दिमाग में नहीं घुसा सकते. आपको उन्हें इसकी कीमत का एहसास दिलाना होगा, आपको उन्हें यह दिखाना होगा कि यह कैसे कार्य करता है. सिर्फ तभी वे इसे अपनाएंगे. सनातन धर्म को सुरक्षा की जरूरत नहीं है. इसे जिए जाने की जरूरत है, इसे हमारी जीवनशैली के जरिए हम सब के अंदर जीवित रहना चाहिए. अगर हम ऐसा नहीं करते, तो इसकी रक्षा करने से ये अलग-थलग हो जाएगा। सनातन धर्म को मुख्य धारा में लाना ही मेरा प्रयास है. बिना धर्म शब्द को बोले, मैं इसे लोगों के जीवन में ला रहा हूंं, क्योंकि अगर इसे जीवित रहना है तो इसे मुख्य धारा बनना होगा. एक बड़ी आबादी को इसे अपनाना होगा. अगर बस थोड़े से लोग इसे अपनाते हैं और यह सोचते हैं कि वे बेहतर जानते हैं, और वे हर किसी से ऊंचे हैं, तो यह बहुत ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहेगा. हम इस संस्कृति के सबसे कीमती पहलू को, इस मायने में मार देंगे कि धरती पर यही एक संस्कृति है जहां उच्च्तम लक्ष्य मुक्ति है. हम स्वर्ग जाने की या भगवान की गोद में बैठने की योजना नहीं बना रहे हैं. हमारा लक्ष्य मुक्ति है, क्योंकि आप जो हैं, अगर आप उसके अंतरतम में गहरे खोजते हैं, तो आप समझेंगे कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि यह चाहे सुख हो, ज्ञान हो, प्रेम हो, रिश्ते हों, दौलत हो, ताकत हो, या प्रसिद्धि हो, एक मुकाम पर आप इनसे ऊब जाएंगे. जो चीज सचमुच मायने रखती है वो आजादी है, और इसीलिए यह संस्कृति महत्वपूर्ण है - बस आज के लिए ही नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी। अतीत में लोग सनातन धर्म के लिए वाकई तैयार नहीं थे, क्योंकि हर पीढ़ी में सिवाय कुछ लोगों के, बड़े पैमाने पर कोई बौद्धिक विकास नहीं था. तभी तो वे कभी यह नहीं समझ सके कि आजाद होने का क्या मतलब होता है, उन्होंने सिर्फ सुरक्षा खोजी. अगर आप धरती पर सारी प्रार्थनाओं पर गौर करें, तो उनमें से नब्बे प्रतिशत सिर्फ इस बारे में हैं - ‘मुझे यह दीजिए, मुझे वह दीजिए, मुझे बचाइए, मेरी रक्षा कीजिए!’ ये प्रार्थनाएं मुक्ति के बारे में नहीं हैं, वे जीवन-संरक्षण के बारे में हैं। लेकिन आज, मानव बुद्धि इस तरह से विकास कर रही है कि कोई भी चीज जो तर्कसंगत नहीं है, वो दुनिया में नहीं चलेगी. लोगों के मन में स्वर्ग ढह रहे हैं, तो ये आश्वासन कि ‘मैं तुम्हें स्वर्ग ले जाऊंगा,’ काम नहीं करने वाला है. अब कोई भी स्वर्ग नहीं जाना चाहता.  सनातन धर्म के लिए यह सही समय है. यही एकमात्र संस्कृति है जिसने मानवीय प्रणाली पर इतनी गहाराई से गौर किया है कि अगर आप इसे दुनिया के सामने ठीक से प्रस्तुत करें, तो ये दुनिया का भविष्य होगी. सिर्फ यही चीज है जो एक विकसित बुद्धि को आकर्षित करेगी, क्योंकि ये कोई विश्वास प्रणाली नहीं है. यह खुशहाली का, जीने का और खुद को आजाद करने का एक विज्ञान और टेक्नालॉजी है. तो सनातन धर्म कोई अतीत की चीज नहीं है. यह हमारी परंपरा नहीं है. यह हमारा भविष्य है।

Nilmani · Realistis
Peringkat tidak cukup
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