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Poem No 63 जाने क्या-क्या याद आ रहा हैं

जाने क्या-क्या याद आ रहा हैं

यह सर्दियों की दिलकश शामें

तुम्हारे मेरे बाँहों से सिमटना

वो बगीचे में साथ साथ घूमना

वह शामें जो हम साथ गुजरे

वह बातें जो हम साथ किये

वह सितारों के चमक भरी रातें

वह हर पल याद आ रहा हैं

यह सर्दियों की दिलकश शामें

जाने क्या-क्या याद आ रहा हैं

तुम्हारे मेरे बाँहों से सिमटना

वो बगीचे में साथ साथ घूमना

----Raj

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