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Shairy No 31

तुम्हारी तरह

जी रहा हूँ मैं

इस तन्हा सा ज़िन्दगी में

कोई साथी नहीं

कोई हमसफ़र नहीं

बस अकेला हूँ मैं

तुम्हारी तरह

जी रहा हूँ मैं

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