सीमा यू यूए ने अपने हाथों में पकड़े डिब्बे को देखा। उसे देखकर उसमें अनगिनत मिश्रित भावनाएँ उमड़ आईं, उसका आधा हिस्सा डिब्बे को खोलकर अपनी जिज्ञासा को शांत करना चाहते था जबकि दूसरा हिस्से उसे खोलने से डर रहा था। उसे डर था कि अगर वह इसे खोलती है, तो किसी तरह वह कभी वापस न आने के मार्ग पर होगी।
"ठीक है, क्योंकि मेरे घटिया पिता इसे पीछे छोड़ गए थे, मैं देख ही लेती हूँ कि इसमें क्या है।" यह सोच कर उसने खुद को मनाया और सील तोड़कर डिब्बे का ढक्कन ऊपर उठाया।
डिब्बे के अंदर, एक साधारण अंगूठी, चमड़े के चर्मपत्र का एक टुकड़ा और एक गहरे रंग का पत्थर रखा था। उसने चमड़े के चर्मपत्र को उठाया कर देखा। उस पर एक नक्शा बना हुआ था, और एक घर को जानबूझकर चिह्नित किया गया था। इसके अलावा, उसे और कुछ नहीं मिला, जो इस जगह का कोई सुराग दे सके। वह नक्शे को वापस अपनी मूल स्थिति में रखना चाहती थी लेकिन उसने देखा कि वहाँ एक लिफाफा था।
"यह क्या है?"
लिफाफे पर लिखे गए शब्द थे: 'मेरी बेटी के लिए।'
उसने फिर उसे उठाया और खोला, और एक कागज का एक टुकड़ा बाहर गिर गया। उसे पढ़ते ही उसकी अभिव्यक्ति गंभीर हो गई।
पत्र बहुत लंबा नहीं था, बस उसमे यह लिखा था कि उसके लिए छोड़ी गई अंगूठी एक प्राचीन कलाकृति थी और परिवार की एक बेशकीमती विरासत थी। यह वास्तव में, एक दुर्लभ अंतरपठिका के घेर की अंगूठी थी। इसके अलावा, अंगूठी के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं लिखी हुई थी। उसे यह अजीब लग रहा था कि अगर यह वास्तव में परिवार की विरासत थी, तो सीमा ली इस से बेखबर क्यूँ होंगे? साथ ही, उसे इस बात का अहसास था कि उसके पारिवारिक स्थिति के बारे में कुछ और बात भी थी।
उसने अंगूठी वापस रख दी, फिलहाल उसे अभी भी पर्याप्त विकसित करना बाकी है जिससे आध्यात्मिक क्यूई एकत्र हो सके जो एक आध्यात्मिक गुरु की शक्ति को काम में लाने के लिए पर्याप्त हो। अभी वह जिस हालत में थी, वह उस अंगूठी को भी अपना नहीं बना सकती थी क्योंकि बंधन बनाने के लिए खून की एक बूंद की आवश्यकता थी और उसे भी आत्मिक ऊर्जा की आवश्यकता थी। उसकी उँगलियाँ तेजी से नक्शे पर घूम रहीं थीं और उसकी आँखों ने उस पर खींची गई विभिन्न रेखाओं और स्थलों का अध्ययन कर रहीं थीं। उसके पिता ने यह भी उल्लेख किया था कि यह नक्शा बहुत महत्वपूर्ण था और किसी को भी इस बात का पता नहीं चलना चाहिए था कि ऐसा कोई नक्शा उसके पास है।
यह चमड़े का चर्मपत्र थोड़ा फटा पुराना दिख रहा था, ऐसा लगता था कि इसके पीछे कोई कहानी और इतिहास था। उसे कोई ऐसा कोई भी ज्ञान नहीं था जो उसे कोई सुराग प्रदान कर सके कि यह नक्शा किस जगह का था। साथ ही, कागज पर भी कोई अन्य जानकारी नहीं लिखी थी।
"तो मेरे घटिया पिता मेरे लिए एक फटा पुराना नक्शा छोड़ कर गए थे। कम से कम इतना तो मुझे बात देते कि ये नक्शा कहाँ का है? अगर मुझे इसका कोई अंदाजा ही नहीं है, तो ये मेरे किस काम का है?" उसने अपना सिर हिला कर हार मान ली, वह यह नहीं समझ पा रही थी कि उस आदमी को सब कुछ इतना रहस्यमई बनाने की क्या जरूरत थी , जिससे वह पूरी तरह से असहाय हो जाये।
अंत में, उसने डिब्बे में रखी अंतिम वस्तु को उठाया, गहरे रंग का पत्थर और ध्यान से उसे अपनी हथेली पर रखा और अपने करीब लाकर इसका गहन अध्ययन करने लगी। थोड़ी देर के बाद, उसने झुंझलाहट से आह भरी क्योंकि वह यह पता करने की कोशिश कर रही थी कि यह छोटा पत्थर एक 'प्राचीन कलाकृति' कैसे हो सकता था जैसा कि पत्र में दावा किया गया था।
"यह बस एक बहुत ही काला पत्थर है, हम्म, थोड़ा चिकना है और एक कंकड़ की तरह गोल ... थोड़ा सा लावा कांच की तरह दिखता है, क्या तुमको यकीन है कि यह वास्तव में एक प्राचीन कलाकृति है?" वह अपने आप में बढबढ़ाती रही और उसने प्रश्न में एक भौं को ऊँचा किया, उसकी आँखें संदेह से भरी हुई थीं। "उस घटिया पिता ने यह भी लिखा था कि यह पत्थर अपने मालिक को चुनता है, शायद साथ रहना हमरी किस्मत में नहीं है और न ही हमारा कोई भविष्य है इसलिए मैं देख नहीं पा रही हूँ कि तुम्हारे में ऐसी क्या खास बात है?"
सीमा यू यूए ने उस पर थोड़ी देर और समय लगा कर और आखिरकार उस छोटे पत्थर को वापस डिब्बे में रख दिया और ढक्कन बंद करने के बाद, मन लगाकर विकसित करने लगी। एक बार वह आत्मिक गुरु बन गई, तब वह अंतरपठिका की अंगूठी को बांध पाएगी और उस पर अपने रक्त की एक बूंद डालकर उसे अपना बनाने में सक्षम हो पाएगी। उस समय, वह देख पाएगी कि उसके अंदर क्या संचय किया हुआ था। उसके मन का एक बड़ा हिस्सा उन वस्तुओं को ले कर बहुत उत्सुक था जो वह आदमी उसके लिए छोड़ गया था।
उसने धीरे से धिक्कारते हुए, उस भ्रम की अंगूठी को अपनी उंगली पर छुआ, यह अंतरपठिका की अंगूठी इतनी कष्टप्रद क्यों थी! आत्मिक गुरु के स्तर को प्राप्त करने के बाद ही क्यों वह इसे बांध सकती थी? यदि यह अंतरपाठिका की अंगूठी इतनी जटिलताओं के बिना होती, तो यह सुविधाजनक और अच्छा होता!
इस समय, जब वह विकसित कर रही थी, उसने सभी आध्यात्मिक क्यूई को अवशोषित नहीं किया, इसके बजाय, उसने पूरा दिन विभिन्न विशेषताओं को महसूस करने की कोशिश में बिताया। इस बार, उसने ध्यान से विभिन्न रंगों का अवलोकन किया और महसूस किया कि इतने रंगों के भीतर, उसे बोध हो रहा था कि यहाँ कुछ रंग ज़्यादा थे और कुछ कम। वह यह भी महसूस कर सकती थी कि वे अलग-अलग छोटे प्रकाश के कण भी उसे महसूस करने में सक्षम हैं और उसके प्रति आकर्षित हो कर उसके चारों ओर उड़ रहे थे, ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह उसके शरीर में अवशोषित होना चाहते थे।
जल्द ही रात के खाने का समय हो गया और सीमा यू यूए ने ध्यान लगाना बंद कर, वह रात के खाने के लिए तैयार हो गई, उसके भाई भी शायद अब तक वापस आ गए हों।
"यंग मास्टर, चौथे यंग मास्टर आ चुके हैं और आपका इंतजार कर रहे हैं।" यूं यूए ने दरवाजे के बाहर से सीमा यू यूए को धीरे से सूचित किया।
"ठीक है, सुन लिया, उन्हे बताना कि मैं जल्द ही बाहर आ जाऊँगा" उसने अपने बिस्तर से नीचे उतरते हुए जवाब दिया।
"जी, यंग मास्टर।" यूं यूए सम्मानपूर्वक झुकी और वापस चली गई।
सीमा यू यूए ने जल्दी से डिब्बे को अपने तकिये के नीचे रखा और चली गई। अपनी हड़बड़ी में, उसने ध्यान नहीं दिया कि डिब्बे के भीतर से एक हल्की चमक निकल रही थी।
"चौथे भाई, आपका कैसे आना हुआ?" सीमा यू यूए टेबल तक चल के गई जहाँ सीमा यू ले चाय पी रहा था।
"ओह, मैं यहाँ तुमको रात के खाने के लिए बुलाने आया हूँ।" उसने उसे बड़ी सी मुस्कान दी।
"तुम बस एक नौकर से संदेश देने के लिए कह सकते थे, तुम्हें यहाँ खुद आने की क्या ज़रूरत थी? पर चूंकि तुम इतनी दूर से, यहाँ मुझे लेने के लिए आए हैं, तो हमें अब जाना चाहिए।"
भोजनकक्ष की तरफ जाते हुए वह उसके पीछे चल पड़ा। वह अपना मुंह खोलने से पहले एक पल झिझका और फिर बोला: "मुझे कुछ और भी बताना है।"
"क्या हुआ?" उसने सिर घुमाकर पूछा।
"शिक्षक म्यू ने एक अंतिम चेतावनी दी है, उन्होंने कहा कि यदि तुम कल एकेडमी में उपस्थित नहीं होंगे, तो प्राचार्य एकेडमी से तुम्हें निकाल देंगे। यदि राजा भी तुम्हारी तरफ से प्रार्थना करेंगे, तो भी तुम दोबारा वहाँ नहीं जा पाओगे" सीमा यू ले ने कहा।
"शिक्षक म्यू? शिक्षक म्यू कौन है?" सीमा यू यूए ने पलक झपकाते हुए हैरानी से देखते हुए पूछा।
उसकी प्रतिक्रिया देखकर, सीमा यू ले ने कडवेपन से भरी मुस्कुराहट दी और उसके सिर को थपथपाया। "तुम्हारे कक्षा अध्यापक। शिक्षक म्यू।"
सीमा यू यूए अपनी भौंहों को चढ़ा कर याद करने का संघर्ष करने लगी। उसे धुंधला सा याद आया, यह शिक्षक म्यू उसकी कक्षा के शिक्षक थे, पढ़ाने के अलावा, वह स्कूल की बहुत सारी अन्य चीजों को नियंत्रित करते थे।
"यदि तुम नहीं जाना चाहते हो, तो मैं तुम्हारी ओर से शिक्षक म्यू को बता दूंगा।" वह थोड़ा ठिठका। "बात सिर्फ इतनी है कि तुम फिर कभी भी एकेडमी में शामिल नहीं हो पाओगे।"
"इसकी कोई ज़रूरत नहीं है, मैं कल ही तुम्हारे साथ एकेडमी जाऊँगा।" उसने सिर हिलाकर कहा।
इससे पहले, उसे एकेडमी में कोई दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि वह विकसित नहीं कर सकती थी, लेकिन अब जब वह सक्षम थी, एकेडमी में जाने से वह विभिन्न शिक्षाओं और तरीकों से अवगत हो पाएगी, हालांकि यह थोड़ा जल्दी था, पर यह बहुत बड़ी समस्या नहीं थी।।
रात के खाने के दौरान, सीमा यू यूए ने सीमा ली से अपने एकेडमी में जाने में रुचि जताई। उनके भी वही विचार थे। चूंकि वह अब विकसित कर सकती है, इसलिए एकेडमी में जाना एक अच्छा विकल्प होगा।
उस वक्त उसके अन्य चार भाइयों को पता चला कि वह विकसित कर सकती है और उन्होंने उसे एक-एक करके बधाई दी, जिससे उसे एक परिवार की गर्मजोशी का एहसास हुआ क्योंकि वे सभी आनंदित थे और वास्तव में उसके लिए खुश थे।
रात के खाने के बाद, सीमा यू यूए अपने कमरे में वापस चली गई और ध्यान करना जारी रखा, लेकिन इस बार, उसने न केवल विभिन्न छोटी रोशनी के कणों का निरीक्षण किया, बल्कि उन्हें अवशोषित करने का भी प्रयास किया।
शुरू शुरू में, उसने थोड़े प्रतिरोध का अनुभव किया, हालांकि थोड़ी कोशिशों के बाद, वह पहले कण को अवशोषित कर पाई, क्योंकि वह समेकित रूप से उस कण का अपने शिरोबिंदु के साथ और उदर के भीतर तक मार्गदर्शन करती रही। जब पहला कण सफलतापूर्वक अवशोषित हो गया तो दूसरे प्रकाश कण ने अनुसरण किया, फिर तीसरे ने और उसके बाद सारे कण आसानी से अवशोषित हो गए।
जब वह इस समय विकसित कर रही थी, तब उस डिब्बे रोशनी की तरंगें बाहर चमक रहीं थीं, जो उस ने तकिये के नीचे रखा हुआ था। जब विभिन्न रंगों की रोशनियाँ चमक उठीं, तो और प्रकाश के छोटे कण उसके चारों ओर एकत्रित हो गए, और वह उन्हे जल्दी से अवशोषित कर गई।
देर रात, उसे विकसित करना बंद करना पड़ा क्योंकि उसे अगले दिन एकेडमी जाना था। जब उसने अपना ध्यान लगाना बंद कर दिया, तो डिब्बे से आता प्रकाश पूरी तरह से गायब हो गया और उस सुंदर नज़ारे का कोई निशान नहीं रहा।