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यह बिलकुल वैसा था,जब हम पहली बार मिले थे।

Editor: Providentia Translations

उसकी आवाज़ धीरे-धीरे कम हो गयी।

युन शीशी बड़ी मेहनत से उठकर बैठी। उसने अपना भारी सिर उठाया और अपनी धुंधली आँखों से चारों तरफ देखा। उसे ऐसा लग रहा था मानो,पूरी दुनिया घूम रही है।

उसके शरीर से इतनी गर्मी निकल रही थी कि, वो अपने शरीर से नियंत्रण खो रही थी। अपने आस-पास किसी को न देखकर,उसे यह भी नहीं समझ आ रहा था कि वो कहाँ है।

इस यातना ने उसकी समझने की शक्ति को ख़त्म कर दिया था। वो कांपते हुए हाथों के साथ बड़ी मेहनत से अपनी ड्रेस फाड़ने लगी।

तभी,एक लंबी सी परछाई दरवाजे के अंदर आयी। उस व्यक्ति की चाल बहुत आकर्षक थी, और जैसे ही उसने सुइट में प्रवेश किया, मानो पूरी दुनिया रुक सी गयी थी।

दरवाजा एक धमाके के साथ बंद हो गया, और कमरे में एक बार फिर अंधेरा हो गया।

विशाल सुइट के अंदर, उसकी तेज़ चाल सुनाई दे रही थी।

कराहती हुई सांसों की आवाज़ युन शीशी के लाल-लाल होंठों से होकर गुजरती रही। उसके लिए सब कुछ इतना असहनीय था। उसे ऐसा लग रहा था कि,उसके शरीर का एक विशाल हिस्सा गायब था, और कोई भी चीज़ उस खाली जगह को भरने में सक्षम नहीं थी।

युन शीशी की बाँहें हवा में लहरा रहीं थीं, मानो वह किसी चीज़ को पकड़कर अपने शरीर में घुसेड़ने की कोशिश कर रही हो, फिर भी वो नहीं बता पा रही थी कि,उसके शरीर को क्या चाहिए!

वो अंदर से इतना खोखला और खाली महसूस कर रही थी कि,उसे लग रहा था कि वो किसी गहरी खाई में गिर गई है !

उसने अपने शरीर को कसकर पकड़ लिया,यह उम्मीद करते हुए कि ऐसा करके वो अपने अंदर की इस मजबूत वासना को नियंत्रित कर सकती है। हालांकि,हर स्पर्श के साथ, उसके शरीर में रोमांच और बेकाबू उत्साह के कारण गुदगुदी हो रही थी !

म्यू याज़हे अंधेरे में धीरे-धीरे चलकर युन शीशी के पास पंहुचा। वो उस किंग-साइज पलंग के पास पहुंचकर सिर झुकाकर खड़ा हो गया।

रेट्रो-लाइट के नीचे,सफेद रजाई युन शीशी की कमर में उलझी हुई थी।

युन शीशी की हालत उस समय पूरी तरह से अव्यवस्थित थी। उसकी ड्रेस की काली पट्टियाँ उसके नाजुक कंधों से गिर रही थीं। उसका चेहरा अजीब तरह से दमक रहा था, उसकी आँखें लगातार झपक रही थीं, और उसके हाथ ड्रेस को बार-बार पकड़ रहे थे। वो बहुत पीड़ा में दिखाई दे रही थी।

म्यू याज़हे उसे बहुत ध्यान से घूरता रहा। उसने कभी नहीं सोचा था कि उनकी अगली मुलाकात ऐसी परिस्थिति में होगी।

उस आदमी ने कहा था कि,उसने उस लड़की को 200,000 युआन में खरीदा था।

क्या वह पैसा जो उसने छह साल पहले इस लड़की को दिया था, काफी नहीं था, जो उसे अपना शरीर इस तरह बेचना पड़ रहा था? या दूसरी तरह से कहें तो वो इस तरह की लड़की थी। 

वो पैसे और सत्ता के लिए इतनी लालची थी कि वो खुद अपनी इच्छा से अपना शरीर बेचती थी !

क्या म्यू याज़हे उसका पहला ग्राहक था? उसके बाद से कितने पुरुषों ने उसके शरीर को छुआ होगा?

उसने युन शीशी की तरफ घृणा की दृष्टि से देखा। उसकी आँखों में कड़वाहट साफ़ दिखाई दे रही थी। घृणा के कारण वो उससे दूर जाने के लिए वापिस मुड़ा।

पीछे से, युन शीशी बड़ी मुश्किल से उठकर बिस्तर पर बैठी। उसने अपनी बाहों को फैलाते हुए, म्यू याज़हे की कमर को पीछे से कसकर पकड़ लिया। वो उसे छोड़ नहीं रही थी!

"मत जाओ...मैं मर रही हूं... मुझे बचाओ ..."

म्यू याज़हे स्थिर हो गया। उसकी पीठ पर युन शीशी का गर्म और कोमल शरीर चिपक गया था। युन शीशी ने ललचाकर अपना छोटा सा चेहरा उसकी पीठ पर रख दिया,और कामुकता से उसकी कमर को चारों ओर से पकड़कर, फुसफुसायी,"मत जाओ... मुझे बचा लो... मुझे बचाओ ..."।

म्यू याज़हे अब और दूर नहीं जा पा रहा था।

वो धीरे से घूमा। युन शीशी को खुद को उसकी बाहों में फेंकने का मौका मिल गया। उसने म्यू याज़हे के कंधों को अपनी बाजुओं से घेर लिया और अपने कोमल और नाजुक शरीर को उससे चिपका लिया।

उसे लग रहा था, जैसे कि ऐसा करने से उसके भीतर की आग बुझ जाएगी।

तभी म्यू याज़हे को महसूस हुआ कि युन शीशी का नाजुक शरीर कितना गर्म था।

म्यू याज़हे चौंक गया और उसने आश्चर्य में अपनी आँखें ऊपर कर लीं। उसने युन शीशी की ठुड्डी पकड़ ली, और उसके चेहरे को अपने पास खींच लिया।

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