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विचित्र अंतरंग मुद्रा

Editor: Providentia Translations

अपनी सिगरेट खत्म करने के बाद, नान जी ने अपने हाथों को अच्छी तरह से धोया और उस निजी कमरे की ओर चलने लगी, जिसे यानरन ने बुक किया था।

गलियारे के अंत में निजी कमरा था।

क्लब हाउस में दो निजी कमरे थे और नान जी ये नहीं तय कर पा रही थी कि यानरन ने जो कमरा बुक किया था वो कौन सा था।

उसने अपना फोन निकाला और यानरन को फोन करने वाली थी, जब एक निजी कमरे का दरवाजा खुला।

अंदर धुंधली रोशनी थी और उसे अंदर कुछ लोगों का एक समूह जैसा दिखा। कमरे में धुआं उठ रहा था और आपस में जाम से भरे गिलासों के टकराने की मदहोश आवाजें हो रही थीं और हंसी-ठिठोली सुनाई दे रही है।

"इस क्लब हाउस में एक सुंदरता है जो मौजूदा लोकप्रिय महिला हस्तियों की तुलना में बेहतर है। चौथे भाई, मैं पहले से ही प्रबंधक से बात कर ली है। जैसे ही वो आएगी उसे हमारे पास भेजा जाएगा।"

"चौथे भाई, आपका सेक्स जीवन बहुत लंबे समय तक शांत रहा है! अब समय है की आप इसके बारे में कुछ करें। क्या आप जानते हैं कि इस बारे में कैसी-कैसी अफवाह और गपशप हो रहीं हैं? लोग कह रहे हैं कि आप महिलाओं को पसंद नहीं करते हैं और आप समलैंगिक हैं! "

नान जी ने देखा कि बोलने वाला व्यक्ति सुंदर था और उसके मुंह में एक सिगरेट थी।

जिस आदमी को 'चौथा भाई' कहा जाता था, वो रोशनी और चमक से दूर, अंधेरे में छुपा हुआ था और नान जी को उसकी स्पष्ट झलक नहीं मिल रही थी।

नान जी को अहसास हुआ कि वो गलत कमरे में घुस गई थी। वो पलटकर कमरे को छोड़ जाने ही वाली थी कि एक हाथ अचानक उसके कंधों पर टिक गया।

उसकी भौंहे धंस गई। वो हाथ को दूर धकेलना चाहती थी, लेकिन उस व्यक्ति ने पूरी ताकत से उसे कमरे में खींच लिया। "सब लोग, देखो। चौथे भाई के लिए आई सुंदरता यहां है।"

नान जी के लाल होंठ धीरे-धीरे मुड़ने लगे। ये उसे गुस्सा आने का पहला संकेत था।

वो उस लड़के के हाथ को अपने कंधे से धकेलना चाहती थी और उसे मारना चाहती थी, जब उसने देखा कि कमरे में कई चेहरे थे, जो उसने अखबारों और टेलीविजन पर पहले देखे थे।

वे सभी सम्मानित लोग थे, जिन्हें वो ऐसे अपमानित नहीं कर सकती थी।

वो स्तब्ध थी और आगे नहीं बढ़ी, जिस व्यक्ति ने उसके कंधे के चारों ओर से पकड़ा था, वो अचानक उसे सोफे पर ले गया और उसे जोर से धक्का दिया।

नान जी धक्का लगने पर होश में आई और ठोकर खाई, उसने अपनी बांहों को बाहर की ओर बढ़ाते हुए, खुद को स्थिर करने की कोशिश की, हालांकि पहले ही बहुत देर हो चुकी थी।

"आह ..."

गिरने के बाद वो अचानक फर्श पर घुटने के बल बैठ गई। उसके हाथ अनजाने में आगे पहुंच गए थे और इससे पहले की वो कुछ समझ पाए उसने गिरने से बचने के लिए कुछ पकड़ लिया था।

सोफे पर बैठे आदमी ने अपने पैर चौड़े कर रखे थे। उसका लंबा शरीर सोफे पर आराम से टिका हुआ था और उसकी पतली उंगलियों के बीच उसने एक सिगार पकड़ा हुआ था। उसके पास गिरती हुई महिला को अपने ऊपर गिरते देख प्रतिक्रिया करने का मौका नहीं था। महिला का सिर उसके पैरों के बीच की जगह में गिर गया।

वे बहुत अजीब स्थिति में थे। उनमें से एक बैठा हुआ था, जबकि दूसरा अपने चेहरे को उसके खुरों से दबा रहा था। उनमें से एक म्यू सिहान था!

जो कमरा एक पल पहले जोर से चिल्लाने के शोर से गूंज रहा था, एक पल में शांत हो गया था, जैसे कि किसी ने नल से बहते पानी की तरह आवाज बंद कर दी थी। हर कोई स्तब्ध भाव से उनके सामने के दृश्य को देख रहा था।

वहां कई महिलाएं भी मौजूद थीं जो म्यू सिहान से चुपके से प्यार करती थीं। जो कुछ हुआ था, उस पर वे खुश थी और इस उम्मीद में इंतजार कर रही थी कि वो महिला को लात मार दे, जिसने उसके करीब आने की हिम्मत तो छोड़ो सीधे अपने चेहरे को उसकी ऊसन्धि में दफन कर दिया था।

माहौल शांत था, एक तनाव से भरा हुआ था।

नान जी को लगा जैसे उसके घुटने जमीन पर जोर से गिरने के कारण टुकड़ों में बिखर गए थे। उसने अपने दिल में चुपचाप उस आदमी को कोसा और सहज रूप से गहरी सांस ली और दर्द को बढ़ाते हुए उठने की कोशिश की।

सोफे पर बैठा आदमी, जिसकी मूल रूप से भावहीन अभिव्यक्ति थी, उसका चेहरा अब कठोर हो रहा था जब उसने नान जी की भारी सांस महसूस की। उसकी काली आंखे हल्के से चमकती, फिर अंधेरी हो जाती। उसने अपनी उंगलियों के बीच पकड़े सिगार पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली।

उसका दूसरा हाथ उसकी ठुड्डी के नीचे रखा था, वो नीचे की ओर उस लड़की के फैले हुए लंबे-लंबे बालों को शांति से देख रहा था। उसकी आंखों के अंदर गहरे तैरते गुस्से का एक अस्पष्ट स्वर था।

जमीन बहुत कठोर थी और उसे उठने में परेशानी हो रही थी। वो दर्द से तड़प रही थी। वो निश्चित थी कि चोट केवल कुछ खरोच लगने से अधिक थी। नान जी ने अपने जबड़े को कस कर जकड़ लिया, अनजाने में कहा, "छी, ये तो बहुत कठोर है।"

कमरे के अन्य लोगों के भाव और भी अजीब हो गए।

क्या?

ये बहुत कठोर है?

कई लोगों ने सोफे पर बैठे आदमी की ओर देखा।

उन महिलाओं के लिए जो बहुत लंबे समय से म्यू सिहान पर नजर गड़ाए हुए थीं, वे सभी अपने सामने के दृश्य को देख घोर अविश्वास में थीं। वे इतने वर्षों में भी उसके करीब नहीं जा पाईं थी और इस महिला के दुस्साहस पर उनका दिल गुस्से से भरा था।

उन्होंने सुना था कि युवा स्वामी म्यू ने कभी भी किसी महिला को नहीं छूआ था, जबकि वो अमीर था और उसके पास शक्ति थी, क्योंकि उसे स्तंभन दोष था!

क्लब हाउस सुंदर लड़कियों से भरा हुआ था, फिर भी, वो जब भी आता था, केवल अन्य पुरुषों के साथ ही शराब पीता था। इसीलिए सभी ने मान लिया था कि वो दूसरे रास्ते जा चुका है!

अगर ऐसा था, तो वो एक महिला के पास होने से कैसे उत्तेजित हो सकता था?

उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था। वे निश्चित रूप से इस पर विश्वास नहीं कर पा रहीं थीं !

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