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रात के अंधेरे में चार्ल्स उस अनजान साये का पीछा करते हुए काफ़ी दूर निकल आया था। कुत्तों के रोने की आवाज साफ़ सुनी जा सकती थी, जो रात के उस माहौल को और अधिक डरावना बना रही थी। कोहरे ने काफ़ी हद तक दिवार की भूमिका निभाई लेकिन चार्ल्स को इस बात की ज़्यादा चिंता थी कि कहीं उसके आगे चलने वाला शख्स उसकी आँखों से ओझल न हो जाए। चार्ल्स इस बात की सावधानी भी रख रहा था कि कहीं उसे भनक न लगे कि कोई उसके पीछे है। सड़के बिलकुल सुनसान थीं जैसे शहर में कोई भी न हो सिवाय वह अनजान साये के जो ख़ुद को महफूज़ समझ कर अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहा था और चार्ल्स के जो उस अनजान साये का बड़ी सतर्कता के साथ पीछा कर रहा था। चलते चलते अचानक वह अनजान साया रुक जाता है, चार्ल्स ये देखते ही एक दरख्त के पीछे छुप जाता है उसकी दिल की धड़कन काफ़ी तेज़ हो गई थी, उसे ऐसा लग रहा है कि जैसे सीने पर किसी ने काफ़ी वज़न दार चीज़ रख दिया हो, ऐसा डर के कारण हो गया था। चार्ल्स को इस बात की चिंता थी कि कहीं उस अनजान शख्स को इस बात का पता तो नहीं चल गया कि कोई उसका पीछा कर रहा है। चार्ल्स कुछ देर के लिए दरख्त के पीछे छुपा रहा फिर हिम्मत के साथ उस साये को देखा, वह उसी अवस्था में चार्ल्स की ओर पीठ करके खड़ा था, अब चार्ल्स की जान में जान आई कि वह पकड़ा नहीं गया। पर उसके मन में यह दुविधा थी कि वह शख्स आगे अपनी मंज़िल की ओर क्यूँ नहीं बढ़ रहा है।
घर के दरवाज़े के बाहर एक अजीब सी गंध वाली मुर्दा ढोने वाली गाड़ी थोड़ी देर के लिए रुकी। कंकरों की आवाज़ छत पर सुनी जा सकती थी। गलियारे में क़दमों की आवाज़ सुनाई दे रही थी और लगता था कि साथ वाले घर में कोई व्यक्ति आरे से कुछ चीर रहा था। कमरे के दरवाज़े का हैंडल खड़खड़ा रहा था, और बाथरूम में नल बंद होने के बावजूद लगातार टपक रहा था। एक रबड़ की गेंद अपने आप बिस्तर के नीचे लुढ़क गयी। फर्श पर एक के बाद एक गीले पैरों के निशान छपने लगे। सुबह 3 बजे, चेन जी अपने हाथ में एक चाकू पकड़ कर हीटर के पीछे चुप गया। जिस कॉल को वह करने की बार बार कोशिश कर रहा था, आखिरकार वह कॉल लग गयी। चेन जी ने पूछा, "मकान मालिक, क्या आपकी बात का यह मतलब था जब आपने कहा था कि घर में रात को थोड़ी भीड़ हो सकती है?”
भक्षक एक दुष्ट दुर्भावनापूर्ण एंटीटी है जो बिना किसी चेतावनी के अपने शिकार को मार देती है। मानिकपुर गांव को भक्षक राक्षस ने युगों से आतंकित किया है। भक्षक हर उस व्यक्ति को मारना चाहता है जो उससे नहीं डरता। मानिकपुरा के ग्रामीण प्रार्थना करते हैं और संस्था को "भोज" देते हैं जिसकी आवश्यकता होती है। दानव गांव के खेतों और झोपड़ियों से दूर मानिकपुर गांव की एक सुनसान गुफा में रहता है। मानिकपुर के इस गांव में रहने के लिए आयुष और उसके छह दोस्त आए हैं जिन्हें "मरकवती" भी कहा जाता है।
A creepy night, when I met her and there the story begins which has a never ending effect of my mind. Till date, I am answered "WAH STREE THI YA ZINN"
"weh janna chahti thi is kahani ko..jo usne jee nahi thi..mahar phir bhi uska koi na koi kirdar usme raha tha.!log uske naam ko nahi magar uske chehre ko jante the!or weh bhi weh log jo insan hi nahi the..!naa jane kya tha un pardo key pichhe...jinme yeh kahani chhupi hui thi...use shayad in par se parde uthane padenge"!!