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अध्याय 12 शारीरिक गहन ज्ञान तकनीक

क्या तुम्हें अब सब कुछ समझ में आ गया है जो मैंने अब तक तुम्हें बताया है, अनवर ने पूछा।

हां गुरुजी, समीर ने कहा।

अनवर ने उसे टोका, नहीं समीर, मैं तुम्हारा गुरु नहीं हूं, इसीलिए मुझे कभी भी गुरु मत कहना, तुम मुझे अनवर चाचा कह सकते हो।

ठीक है अनवर चाचा, समीर ने कहा।

क्या तुमने कभी किसी आध्यात्मिक जानवर का मांस खाया है, अनवर ने पूछा।

नहीं, मैंने आज तक कभी कोई आध्यात्मिक जानवर का मांस नहीं खाया है, समीर ने उसे स्पष्ट शब्दों में कहा।

अनवर बोला, मैंने तुम्हारे सामने एक छोटी लकड़ी का बॉक्स रख दिया है, उसमें आध्यात्मिक जानवर के छोटे छोटे टुकड़े हैं, उनमें से तुम एक टुकड़ा उठाओ और उसे खा लो, तुम इसे चबाकर भी खा सकते हो या पूरा सीधा गले से नीचे निगल भी सकते हो।

समीर ने उस डिब्बी को खोला और उसमें से एक मास का टुकड़ा उठाकर अपने मुंह में डाला और सीधा निगल लिया।

अनवर फिर से बोला, मैं जैसा कहता हूं तुम वैसा ही करते जाओ, सबसे पहले अपनी आंखें बंद कर लो, और उस आध्यात्मिक जानवर के मांस के टुकड़े को अपने पेठ वाले डेंटीयन में महसूस करो।

समीर ने अपने मन को एकाग्र किया, और अपना पूरा ध्यान अपने शरीर के अंदर लगाने लगा, पहले तो उसे कुछ भी महसूस नहीं हो रहा था, लेकिन कुछ प्रयासों के बाद उसने महसूस किया, कि वह अपने शरीर के अंदर के पेठ के डेंटीयन को देख सकता था, जैसे मानो वह अपनी आंखों से यह सब देख रहा हो।

मैं उसे महसूस कर सकता हूं, समीर ने कहा।

अनवर ने बोला, तुम पेठ वाले डेंटीयन में देख पा रहे होंगे कि उस आध्यात्मिक जानवर के मांस के टुकड़े में से ऊर्जा के रेशे निकल रहे होंगे और वह तुम्हारे पेठ वाले डेंटीयन के हिस्से में इकट्ठे हो रहे होंगे।

इस प्रक्रिया को अभी होने दो, इससे पहले तुम इसी तरह से अपने सीने वाले डेंटीयन और मस्तिष्क वाले डेंटीयन को महसूस करो, और फिर अपने शरीर के हर अंग और मांस पेशियों को महसूस करो।

इस तरह इन सब चीजों को महसूस करने की तकनीक को शारीरिक गहन ज्ञान तकनीक कहते हैं।

शारीरिक गहन ज्ञान तकनीक से कोई भी योद्धा अपने अंदर उपस्थित आध्यात्मिक ऊर्जा की मात्रा को पहचान सकता है और उसके अनुसार काम कर सकता है, और इसके अलावा शरीर और मांसपेशियों में होने वाले परिवर्तनों को भी महसूस कर सकता है।

समीर अनवर द्वारा सिखाई गई शारीरिक गहन ज्ञान तकनीक का इस्तेमाल करने लगा, और अपने शरीर की संरचना को महसूस करने लगा।

सबसे पहले समीर ने अपने दिल की धड़कन को महसूस किया, और अपने दिल को देखने लगा, उसका दिल धक धक करके धड़क रहा था, उसके दिल में से खून निकल कर उसके शरीर के अन्य अंगों की तरफ बह रहा था, जिसे वह देख पा रहा था।

फिर उसका ध्यान अपने शरीर की हड्डियों पर गया, सबसे पहले उसने अपने सीने के आस पास की हड्डियों को महसूस किया और उनकी ताकत का अनुमान लगाया, फिर उसने अपना ध्यान अपने हाथ की हड्डियों पर लगाया और आगे की तरफ बढ़ते हुए उंगलियों के पास जा पहुंचा, इसी तरह उसने अपने सीने से ऊपर गर्दन और सर की हड्डी को भी महसूस किया, और अंत में वह सीने से नीचे के हिस्से पर उतर गया और अपने पैरों की उंगली तक की सारी हड्डियों को महसूस किया।

फिर उसने अपने शरीर की मांस पेशियों का भी इसी प्रकार अध्ययन किया।

समीर को शारीरिक गहन ज्ञान तकनीक इस्तेमाल करने में बहुत परेशानी आ रही थी, उसका शरीर पसीने से तरबतर हो चुका था, लेकिन उसने अभ्यास करना नहीं छोड़ा वह लगातार अभ्यास करता रहा और शारीरिक गहन ज्ञान तकनीक से अपने शरीर को बार बार महसूस करता रहा।

2 घंटे के बाद उसे अपने शरीर में बिल्कुल भी थकान महसूस नहीं हो रही थी, वह अपने आप को पहले की तरह तरो ताजा महसूस कर रहा था, उसके समझ में नहीं आ रहा था कि यह कैसे हुआ है।

समीर ने अपनी आंखें खोली और अनवर से पूछा, अनवर चाचा, जब मैंने शारीरिक गहन ज्ञान तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू किया था, तो मुझे बहुत थकान महसूस हो रही थी और मुझे बहुत पसीना आ रहा था, लेकिन अब मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हो रहा है, मैं पहले से ज्यादा तरो ताजा महसूस कर रहा हूं।

अनवर के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई और वह बोला, शारीरिक गहन ज्ञान तकनीक में किसी भी प्रकार की आध्यात्मिक ऊर्जा और शरीर की सामान्य ऊर्जा की क्षति नहीं होती है, यह बिल्कुल ऐसा है जैसे हम सांस लेते और छोड़ते हैं।

लेकिन तुम पहली बार इस शारीरिक गहन ज्ञान तकनीक का इस्तेमाल कर रहे थे, तो तुम्हें थकान महसूस हो रही थी और पसीना भी आ रहा था।

लगातार अभ्यास करने पर तुम्हें थकान महसूस नहीं होगी और ना ही तुम्हें पसीना आएगा, अब रही बात तुम्हें पहले से ज्यादा तरो ताजा महसूस होने की तो उसकी वजह है, वह आध्यात्मिक जानवर के मांस का टुकड़ा।

जब उस आध्यात्मिक जानवर के मांस के टुकड़े में से आध्यात्मिक ऊर्जा के रेसे निकलकर तुम्हारे पेठ के डेंटीयन में इकट्ठी हुई, तो तुम्हारे शरीर ने स्वयं आध्यात्मिक ऊर्जा संशोधन मंत्र का इस्तेमाल करके, उस इकट्ठी हुई आध्यात्मिक ऊर्जा को परिष्कृत करके तुम्हारे शरीर के थकान वाले अंगों में पहुंचा दिया जिससे तुम्हारा शरीर स्वयं ठीक हो गया, और तुम पहले की तरह महसूस करने लगे।

पर इस ऊर्जा की मात्रा इतनी कम थी कि तुम इसे पहचान नहीं सकते थे, हमारा शरीर आध्यात्मिक ऊर्जा संशोधन मंत्र का इस्तेमाल लगातार करता रहता है, पर इसकी दर इतनी धीमी होती है, कि यह केवल हमारे शरीर को ही तरो ताजा कर सकता है।

अभी केवल शारीरिक गहन ज्ञान तकनीक की तकनीक का ही अभ्यास करो, मैं चाहता हूं कि तुम इसमें अच्छी तरह से महारत हासिल कर लो।

अनवर की बात मानकर समीर फिर से शारीरिक गहन ज्ञान तकनीक का अभ्यास करने लगा।

अनवर ने समीर को गार्डन में अभ्यास करता छोड़ दिया और गार्डन से बाहर आ गया।

गार्डन के बाहर एक कुर्सी पर हामिद बैठा हुआ था, और सब कुछ देख रहा था।

लेकिन ऐसा करने वाला हामिद अकेला नहीं था, हवेली की दूसरी मंजिल के एक कमरे की खिड़की में खड़े होकर चुपके से सलमा अपने बेटे को देख रही थी।

उसने अपने बेटे को बड़े लाड़ से पाला था, वह तो हामिद के साथ समीर को समुद्र की यात्रा पर भेजने के लिए भी राजी नहीं थी, पर हामिद के बहुत समझाने के बाद वह राजी हुई थी, अगर उसका बस चलता तो वह अपने बेटे को कोई भी काम नहीं करने देती।

अनवर हामिद के पास आया और बोला आपका बेटा एक अच्छा लड़ाकू योद्धा बन सकता है, वह बहुत कम अभ्यास करके भी चीजों को बहुत जल्दी सीख सकता है।

अनवर के मुंह से अपने बेटे की तारीफ सुनकर हामिद दिल ही दिल में बहुत खुश था।

अनवर समीर को और क्या-क्या सिखाने वाला था, यह जानने के लिए सुनते रहिए इस कहानी को ।