अंकल जब भी उसकी तारीफ करते सबसे ज्यादा खुशी परवीना को होती। और होती भी क्यो नही, अरे भाई वो दिल जो दे बैठी थी उसे। इसी तरह सब कूछ सही चल रहा था। सब बहुत ज्यादा खुश थे।
एक दिन परवीना के पापा परवीना से कहने लगे "बेटा जब तू छोटी थी न सबसे ज्यादा में तेरे साथ खेलता था, तेरी अम्मी तुझे कूछ भी बोलती तो में उसे बोलने नही देता था, लेकिन मुझे इन सब मे पता ही नहीं चला कि कब तू इतनी बड़ी हो गयी।"
परवीना कुछ समझ नही पायी थी। वो बोली
"पापा आप क्या बोलना चाहते हो में समझी नही।"
पापा जवाब देते है
"बेटा मेरे एक दोस्त है वो बोल रहे थे कि में अपने बेटे की शादी आपकी बेटी से करवाना चाहता हूँ।"
परवीना बोली "फिर आपने उनको हाँ बोल दिया"
उसके पापा बोलते हैं "नही में तुम्हारी इच्छा जानना चाहता हूं"
वो बोली "पापा मुझे अभी कोई शादी-वादी नही करनी में पहले जॉब करना चाहती हूँ खुद के पैरों पे खड़ा होना चाहती हूं। हमेशा आपके साथ रहना चाहती हूं।"
बेटी की ये बात सुनकर वो बहुत खुश होते है, और परवीना को अपने सीने से लगा लेते है और मन मे सोचते की सच मे अब मेरी बेटी बड़ी हो चुकी है
तभी साहिल वहां आ जाता है। और डोरबेल बजाता है। परवीना अपने पापा से बोलती है कि साहिल आया है शायद में गेट खोलकर आती हूँ।
वो गेट खोल देती है साहिल सलाम करता है और अंदर आ जाता है और अंकल से पूछता है कि क्या बात है अंकल आज दोनो क्या बाते कर रहे हो मुझे भी तो बताओ
अंकल उसे सारी बाते तफसील से समझाते है
तभी वो बोलता है "अंकल वेसे शादी तो कर ही देनी चाहिए इसकी निकालो इसे अब फिर अनस भाई (परवीना का छोटा भाई) की करेंगे "
अंकल उसकी मजाक को समझ जाते है ओर बोलते है "बात तो तुम्हारी सही है इसकी शादी हो गयी तो ये अपने शौहर के साथ अनस की शादी में आएगी मजा आएगा"
परवीना बोलती है "अब आप दोनों टाँग खिंचना बन्द करो"
इसी तरह कुछ देर हँसी-मज़ाक चलता रहता है।
साहिल इन सब से इतना खुश था। वो जब भी फ़रीन या परवीना के साथ होता उसे और भी ज्यादा खुशी होती।
पता नही क्यों साहिल परवीना की ओर खिंचा चला जा रहा था।
क्या वो परवीना को पसंद करने लगा था लेकिन वो तो फ़रीन को प्यार करता था न
सवाल बहुत से थे लेकिन जवाब सिर्फ ये की वो सिर्फ एक बेस्ट फ्रेंड की तरह बात करता था। वो सब इतने खुश थे कि कोई भी दुख उन्हें फील ही न होता
लेकिन कहते है ना अच्छे वक्त की एक बुरी आदत है वो ज्यादा दिन रुकता नही
इस ही इनके साथ हुआ
एक दिन साहिल ने सोचा कि आज फ़रीन के लिए गिफ्ट लेते है
उसने एक टेडी बीयर चुना जो लाल रंग का था
और आपको बता दु की लाल फ़रीन को इतना पसंद था कि उसे हर चीज़ लाल चाहिए थी।
साहिल जब टेडी बीयर लेकर जा रहा था तो परवीना ने उसे अपने घर के बाहर ही रोक लिया और बोला
"यार कितना प्यारा है ये किसके लिए है ? मेरे लिए!"
साहिल को कुछ सूझ नही उसने बोल दिया
"हाँ तुम्हारे ही लीये लाया था"
वो बोली कि आज इस क्या है कि मेरे लिए ये ले आया
वो बोला कुछ खास नही बस दिख गया अच्छा सा तो सोचा तेरे लिए ले लू"
वो अपनी बात पूरी कर भी न पाया और टेडी बियर परवीना के हाथ मे दे ही रहा था कि फ़रीन वहां आ जाती है और बोलती है "कितना प्यार है ये बाजी क्या में देख सकती हूं " परवीना उसे दे देती है वो उसे हाथ मे लेकर साहिल की तरफ देखती है फिर वापस परवीना को दे देती है। और वापस अपने घर के अंदर चली जाती है
साहिल को लगता है की उसने गलत सोच लिया। फिर वो भी वापस अपने घर आ जाता है ।
धीरे धीरे पूरा दिन निकल गया और शाम हो गयी लेकिन आज साहिल उस गली में नही गया उधर फ़रीन उसका इंतजार कर रही होती है। सहील सोच रहा था कि क्या जवाब देगा वो जब उस से पूछेगी की वो सब क्या था।
उधर फ़रीन को पूरी बात समझ मे आ गयी थी कि आज साहिल क्यों नही आया था। लेकिन अब वो अब उस से कैसे बोलती की मेने कुछ गलत नही समझा। में जानती हूं कि आप सही हो
लेकिन वो ये सब उसे कह नही सकती थी क्योंकि साहिल आज उसके पास नही था। उसका फ़ोन भी खराब था।
लेकिन तभी उसे में नज़र आ गया तो उसने मुझे साहिल को बुलवाने को कहा। में उसके पास गया और उसे बुला के ले आया
फ़रीन ने उसे बोला "आज आये क्यू नही थे? "
साहिल ने उसे सारी बात समझायी।
आमिना (फ़रीन) बोली "इतना तो ट्रस्ट है आप पे की आप ऐसा कभी नही करोगे, कभी मेरा दिल नही तोड़ोगे, कभी मुझे नही छोड़ोगे हमेशा मुझे याद करोगे आप मे रहूं या ना रहूं आप मुझमे ही रहना।"
इतना बोलना था कि साहिल ने उसके होंठो पे अपना हाथ रख दिया और बोला "ये बात फिर से बोलोगी तो में बात भी नही करूँगा"
आगे जारी है ।।