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वो अँधेरी रात...

Éditeur: Providentia Translations

थोड़ी देर बाद, उसने एक इंजन की आवाज़ सुनी,जो करीब आते-आते तेज़ हो रही थी। विला के सामने एक वाहन रुका और उसका इंजन बंद हो गया।

वह आवाज़ सुनकर,उसके शांत दिल में थोड़ी अभूतपूर्व घबराहट और बेचैनी महसूस होने लगी थी। जब सीढिय़ों पर पैरों की आवाज़ तेज़ होने लगीऔर वे पास आने लगे, तो उसके मन की शांति भंग होने लगी!

वो बहुत बेचैनी महसूस कर रही थी,तभी दरवाजा खुला।

स्थिर क़दमों की आवाज़ के साथ,युन शिशी ने महसूस किया कि कोई उसके बिस्तर के पास आकर रुक गया है। वो अब बुरी तरह से घबरा गयी थी,और तुरंत उठकर बिस्तर पर बैठ गई।

'वो... वो आ गया है! क्या यह मेरा मालिक है?'

जैसे ही बिस्तर का एक तरफ झुका,तो वो चिंता में पड़ गयी- उसे साफ़ समझ आ रहा था कि कोई उस पर बैठ गया था।

युन शीशी,व्याकुल थी और वो सहारे के लिए दिवार की तरफ टिक गई। उसे बहुत अजीब लग रहा था,पर मन ही मन खुश थी कि आँखों पर पट्टी के कारण उसके सामने अंधेरा था। वो उस आदमी की केवल कल्पना कर सकती थी, फिर भी उसका दिल अभी भी तेजी से धड़क रहा था।

यद्यपि वो उस आदमी का चेहरा नहीं देख पा रही थी,लेकिन वो उसकी जबरदस्त उपस्थिति को महसूस कर सकती थी। ऐसा लग रहा था जैसे कि वो एक महान, अभिमानी शासक था,जिसके आसपास की हवा आक्रमक थी।और वो प्राचीन काल में उसे दिये गए किसी पुरुस्कार की तरह थी |

युन शीशी ने अपना मुंह खोला और अस्पष्ट तरीके से बोली,"आप....आप कौन हैं ?"

वो आदमी मौन रहा। वो थोड़ा सा आगे की ओर झुका,और उसके पास आ गया।

युन शीशी ने उसकी धुंधली आकृति को अपने करीब महसूस किया। तुरंत,उस आकृति ने उसे दबाया और उसे अपने शरीर के नीचे पूरी तरह से कैद कर लिया। उसके शरीर के वजन के कारण युन शीशी का शरीर हिल गया। उसने अपने आप को एक गेंद की तरह मोड़ लिया, और वो बिलकुल हिल नहीं पा रही थी। उसने घबराकर अपने हाथों को अपनी छाती के ऊपर रख लिया। उसका दम लगभग घुट रहा था!

इससे पहले की वो कुछ करती,उस आदमी ने अपनी आँखें सिकोड़ लीं,और सीधे उसके कपड़े ऊपर की ओर खींच दिए। उसकी कोमल और दूध जैसी गोरी त्वचा उजागर हो गयी थी। अचानक, उस आदमी के बड़े हाथ उसके शरीर के अंदर आ गए -

"रुको!" वो कांपती हुई आवाज में बोली।"...क्या मैं आपको देख सकती हूँ?"

"क्यों?"

उसकी जवान और गहरी आवाज़ रेड वाइन की तरह गाढ़ी और मधुर थी। वह एक भारी आवाज़ थी जो लोगों को आकर्षित कर सकती थी।

"मैं कुछ नहीं देख सकती.... मुझे डर लग रहा है..."

उसने बहुत ही गहरी आवाज के साथ कहा,"तुम्हें देखने की जरूरत नहीं है, और ना ही तुम्हें डरने की जरूरत है।"

लड़की का नाजुक शरीर अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ था। वो अभी भी बिलकुल शुद्ध थी, और उसकी पतली कमर आसानी से एक हाथ में पकड़ी जा सकती थी। उस आदमी की ठंडी उँगलियाँ उसके होठों को कठोरता से रगड़ रही थीं, और उनके साथ लगातार खेल रही थीं।"अपनी ऑंखें बंद कर लो।"

कितना कोमल स्पर्श था,बिलकुल रेशम की तरह।

उसकी उंगलियां थोड़ी नम और ठंडी थीं, और जब उन्होंने युन शीशी की गर्म त्वचा को छुआ, तो वो थोड़ी सिकुड़ गई। उसकी आँखों के सामने के अंधेरे ने उसे और अधिक भयभीत कर दिया!

उस आदमी ने सोचा कि उसके शरीर पर कपड़े का एक पीस उनके बीच में आ रहा था,और इसलिए उसने अगले ही पल उसे फाड़ दिया।

उसकी हिंसक हरकतों से युन शीशी का शरीर अकड़ गया। उसने जल्दबाजी में हिलने की कोशिश नहीं की।

उसके सीने में दिल की धड़कन तेज हो गई। उसे ऐसा लग रहा था,जैसे उसका दिल उसकी छाती से बाहर आ जाएगा।

शर्म, घबराहट, डर... इन सभी भावनाओं के वजन के साथ, वो शायद साँस भी नहीं ले पा रही थी।

उस समय उसे अपने फैसले पर पछतावा होने लगा।

उसने शुरू में सोचा था कि वो ऐसा कर सकती है। उसे सिर्फ उस आदमी के लिए एक बच्चा पैदा करना था। भले ही उसे इसका कोई अनुभव नहीं था, लेकिन एक महिला के रूप में,उसे कभी न कभी ये सहना ही था। लेकिन इस अपरिचित और घमंडी आदमी के सामने,उसने वो सारी हिम्मत खो दी,जो शुरू में उसके पास थी। उस वक़्त उसे केवल डर लग रहा था!

वो एक वयस्क बन गई थी लेकिन वो कभी किसी के इतने करीब नहीं आयी थी। उसने अपने पूरे जीवन में कभी किसी लड़के का हाथ भी नहीं पकड़ा था। स्वाभाविक रूप से, उसका दिल ऐसा करने के खिलाफ था। फिर भी,वो उसके हमले का विरोध नहीं कर पा रही थी। उस आदमी के बार-बार उकसाने के कारण वो धीरे-धीरे ऐसे खुल गयी,जैसे सुबह के सूरज के नीचे फूल की कलियाँ खुल जाती हैं।

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