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ओह, मैथ्स!

Éditeur: Providentia Translations

इस महिला का चेहरा काफी डरावना था, लेकिन उसे आज ही सफेद कपड़े पहनने थे ?वास्तव में वह लोगों को इतना डरा सकती है कि दिन में ही रात का अंधेरा महसूस हो ।

सी ज़िया की प्रतिक्रिया देखकर ये वानवन अच्छे मूड में थी ।

डॉरमेट्री में सात दिनों तक ,दिन और रात पढा़ई करके उसकी आँखें फूट गई थी ।

अन्य सभी बातें एक तरफ़ , इस व्यक्ति को सी परिवार की सुंदरता विरासत में मिली थी, जो आंखों को काफी सुकून पहुँचाती थी ।

ये वानवन ने उस पर मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे नहीं लगता था कि हमारे स्कूल का 'हंक' भूतों से डरता है।

जब वह मुस्कुराती है तो ज्यादा डरावनी लगती है ।

सी ज़िया ने एक गहरी साँस ली। वह उसकी नज़रों का सामना नहीं कर सकता था, इसलिए वह वहाँ से चला गया और उसका मज़ाक़ उडा़या , चलो कम से कम तुम्हें तो पता है कि तुम भूत की तरह दिखती हो। जो भी हो उसे इस बार , परीक्षा में अच्छा करना था और वह बहुत दूर एक सीट पर चला गया ।

वह इस सब को अब एक दिन भी बर्दाश्त नहीं कर सकता था ।

घंटी बजी और परीक्षा नियंत्रक ने परीक्षा की कॉपियाँ देनी शुरु कर दीं ।

पहले दिन कॉम्प्रिहेन्सिव लिबरल कला परीक्षा आयोजित की गई थी। ये वानवन ने सवालों का जवाब देने से पहले पूरे पेपर को देखा ।

सी ज़िया की आँखों में विस्मय की झलक थी, जब उसे पता चला कि ये वानवन उसके बग़ल में बैठी है , और लिखने के लिए कलम उठा रही है ।

हर कोई जानता था कि ये वानवान हर बार खाली पुस्तिका ही सौंपती थी ।

जब वह अचरज में ही था , उसने देखा कि ये वानवन कैसे सवालों के जवाब दे रही है और उसका मुँह बिचक गया ।

वह कैसे सवालों का जवाब दे रही है? वह पूरी तरह से ख़ाली जगह को बिना देखे भरती जा रही है , 

वह इतनी तेजी से बुकलेट भर रही है, बेतरतीब ढंग से ए बी सी डी का चयन कर रही है ,शायद सवाल भी नहीं पढ़ रही है और भाग्य पर भरोसा किए बैठी है ।

लड़के ने उसके बारे में दिल्लगी से अपने दिल में सोचा । 

यदि आप भाग्य पर भरोसा करते हैं, तो हर प्रश्न के लिए 'बी ' ही क्यों न भरें? एक बढ़िया मौक़ा है उत्तर सही होने का , बजाय इसके कि उनमें बेतरतीबी से कुछ भी भर दिया जाए , जो कि ग़लत भी हो सकते हैं ।

लड़के ने अपने पास बैठे मूर्ख पर ध्यान देना बंद कर दिया और परीक्षा पर ध्यान लगाया ।

 कॉम्प्रिहेन्सिव लिबरल आर्ट्स परीक्षा की अवधि 150 मिनट थी, पूरी सुबह । दोपहर बाद अंग्रेजी की परीक्षा हुई।

दूसरे दिन सुबह भाषा परीक्षा थी और अंतिम परीक्षा गणित की थी ।

ये वानवन गणित के सवालों को घूरती रही, बार-बार देखती रही । अलजेब्रा और ज्योमेट्री एक वायरस की तरह थे जिसके कारण उसका दिमाग ख़राब हो गया ।

ये वानवन के आसपास की दुनिया घूमने लगी और उसे दिन में ही तारे दिखाई देने लगे । 3 सेकंड बदहवासी की हालत में रहने के बाद, उसने प्रश्नों के उत्तर देना छोड़ दिया और झपकी लेने लगी ।

गणित जैसी भयानक चीज इस दुनिया में क्यों होनी चाहिए ?

हालाँकि उसके पास फोटोग्राफिक मेमोरी थी, लेकिन तीन साल की पढाई पूरी करने के लिए समय बहुत कम था। इतने कम समय में गणित में पारंगत होना असंभव था, इसलिए उसने बस हार मान ली।

घंटी बजी और अंतिम परीक्षा समाप्त हुई।

सी ज़िया ने अपने पास में देखा और महसूस किया कि वह पूरी तरह से खाली गणित पुस्तिका पर सो रही थी ।शुरु में मुझे लगा कि शायद वह कोई बदलाव करना चाहती हो ।

जैसी कि कहावत है, आप पहाड़ों और नदियों को बदल सकते हैं लेकिन किसी व्यक्ति के स्वभाव को नहीं बदल सकते ।

उत्तर पुस्तिकाएं जमा करने के बाद, सभी छात्र ऐसे दिखते थे जैसे कि उनके शरीर का सारा रक्त सूख गया हो।

 "चलो परीक्षा खत्म हो गई! अब हम आज़ाद हैं।"

"सबसे महत्वपूर्ण बात, हमारा 'स्कूल -हंक आखिरकार अपनी पुरानी जगह पर बैठ सकता है! यह बदसूरत ,सनकी, ये वानवान, बदसूरत से बदसूरत होती जा रही है । सी ज़िया सुबह उससे डरकर इतना दुखी था कि उसका चेहरा पीला पड़ गया था!"

"क्या आप उस सीट को पीछे से आगे लाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं? देखते हैं कि इस बार वह सी ज़िया पर कैसे चिपकेगी?"

"आप सभी कुछ ज्यादा ही सोच रहे हैं , परीक्षा परिणाम आने से पहले ही उसे निकाल दिया जाएगा! इससे पहले, सभी शिक्षक परीक्षा में व्यस्त थे , इसलिए उनके पास उससे निपटने के लिए समय नहीं था। अब जब परीक्षा समाप्त हो गई है, तो वे निश्चित रूप से उसके साथ जुडी़ चीजों को सुलझाएँगे।"

"अफ़सोस कि उन्होंने परीक्षा से पहले उसे बाहर नहीं निकाला। इस बार फिर हमारी कक्षा के अंक उसके कारण कम हो जाएँगे।"

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