नई प्रतिज्ञा साल के आखिरी दिन
जब भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन महाभारत युद्ध में थे। तब अर्जुन ने युद्ध करने से मना कर दिया था। तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया उसे ही आज हम सब श्रीमद् भागवत गीता कहते हैं। श्रीमदभागवत गीता केवल धार्मिक ग्रन्थ ही नहीं बल्कि जीवन जीने की कला एवं विज्ञान है। बहुत से महापुरुष है जो गीता से अनुभव ले कर आपने जीवन को सार्थक बनाया है । यह वह किताब है जिसे वृद्ध की जगह युवा पीढ़ी को पढ़नी चाहिए। भागवत गीता पढ़े हमारे साथ poket fm पर।
RAMYA war is a Ramayana source, it has no end. That's why it is not appropriate to give a synopsis, but I hope you guys will enjoy reading it. RAMYA was a child of seven years, he was very knowledgeable,But Ramya's guru sends Ramya to the battle field at a young age, in which a woman's life is lost and that woman's child is stunned to see Ramya and that child is raised by Ramya.When Ramya picks up that child and brings it to her home, Ramya's mother gets scared., Then what would have happened next, you will have to read "RAMYA YUDDH" to know. I hope you guys will enjoy reading this source,
भरी सभा में महाराज धनानंद से अपमानित होकर आचार्य चाणक्य प्रण लेते हैं कि जब तक वो मगध साम्राज्य से नन्द वंशों का अस्तित्व नहीं मिटा देंगे, अपनी शिखा खुली रखेंगे. वो एक मौर्य बालक चन्द्रगुप्त को शस्त्र और शास्त्र में निपुण बनाकर मगध सम्राट बनने के योग्य बनाते हैं. वो साथ मिलकर नन्द वंश को पराजित कर मौर्य वंश की नींव रखते हैं और अखंड भारत का अपना स्वपन्न पूर्ण करते हैं.
जैसे ही उसने आखिरी निवाला उस फकीर ने खाया ,वो फकीर एक चमत्कारी देवता के रूप में बदल गया । उसने राजा को आशीर्वाद दिया हे, "राजन मैं तुम्हारे राज्य में तुम्हारे धर्म की परीक्षा लेने आया था ।" "तुम अपने धर्म में खरे उतरे इसलिए मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं, कि तुम्हें पुत्र प्रदान हो ।" "क्योंकि तुम्हारे भाग्य में संतान का सुख नहीं है , इसलिए पुत्र के जन्म के कुछ समय बाद तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।" " क्योंकि तुम्हारे राज्य की प्रजा ने मुझे देख कर घड़ा की और मुझ पर पत्थरों से बार किया ,इसके परिणाम तुम्हें भुगतना होगा।" "क्योंकि तुम प्रजा के पालनहार हो और इसीलिए तुम्हारी प्रजा जो भी कार्य करेगी उसका उसका फल या अशुभ फल तुम्हें यह तुम्हारे पुत्र को भुगतना पड़ेगा ।" और हां राजन तुम्हारा पुत्र बहुत ही पराक्रमी योद्धा होगा ।" " उसके सामने मनुष्य क्या देव दानव भी नहीं खड़े रहे सकेंगे। इतना बोल कर वह देवता अदृश्य हो गया।" कुछ दिनों बाद रानी के गर्भवती होने की सूचना पूरे राज्य में आप की लपटों की तरह फैल गई। महाराजा राजकुमार के आगमन के लिए बेसब्री से इंतजार करने लगे । धीरे-धीरे समय गुजरता गया और 9 महीने बाद राजकुमार का जन्म हुआ। वह बच्चा सूर्य के समान चमक रहा था, और चंद्रमा के समान उसके मुख पर तेज था। राजकुमार के जन्म पर खुशियों की हर तरफ उत्सव का माहौल था। राजा बहुत खुश था। उन्होंने बड़े बड़े पंडित को राजकुमार के नाम की नामकरण की विधि की। क्योंकि उनको राजकुमार फकीर के वरदान से मिला था, इसीलिए उन्होंने उसका नाम वरदान रखा । उसका नाम राजकुमार वरदान रखा गया गया। और दूसरी तरफ राजा के मंत्री और विद्रोही वरदान के जन्म से खुश नहीं थे। वह बच्चे को मारना चाहते थे। बच्चे को मारने की चालें चलने लगे। जब भी वे लोग राजकुमार के उसके आसपास जाते, कोई अदृश्य शक्ति उनको अपने इरादों में सफल नहीं होने देती थी। वरदान की सुरक्षा कवच बन कर उसकी रक्षा करती थी । वरदान 5 साल का होने वाला था । और राजा उसको युवराज घोषित करना चाहते थे। इससे पहले राजा ऐसा कर पाता, विद्रोहीऔ ने राजा की हत्या कर दी , और वो रानी और वरदान को भी मारने के लिए निकल गए । जैसे ही रानी को यह सब पता चला , रानी ने अपने बच्चे के साथ भेस बदल कर राज्य से भाग गई।