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द टाइम मशीन - अतीत और भविष्य की दुनिया

एक ऐसी मशीन है, जो हमें अपने अतीत में ले जाती है, जहां हम अपने अतीत को बदल सकते हैं। वैज्ञानिक मुकुल लगभग 30 सालों से ऐसी टाइम मशीन बनाने की कोशिश कर रहे थे, ताकि वे अपने मरे हुए माता-पिता को फिर से जीवित करने के लिए अतीत में जाकर उस समय पहुंच सकें, जब उनके माता-पिता की जान जाने वाली थी। वैज्ञानिक मुकुल ने ऐसी मशीन बनाई, लेकिन पहली बार प्रयोग करते समय मशीन का विस्फोट हो गया। इस हादसे में उनका दोस्त भास्कर, जो उस समय छोटा था, मुश्किल से बच पाया। इस घटना के बाद उनकी दोस्ती टूट गई। लेकिन कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें कोई भी नहीं बदल सकता। इंसान चाहे कितनी भी कोशिश करे, वह कुदरत के खिलाफ नहीं जा सकता। अगर वह ऐसा करने की कोशिश करता है, तो कुदरत खुद उसे रोक देती है। वैज्ञानिक मुकुल भी कुदरत के खिलाफ जाकर कुछ ऐसा ही बना रहे थे। उन्होंने दूसरी बार एक नई टाइम मशीन बनाई, तब वे सफल हो गए। अब इंसान अतीत में जा सकता था। इस बार, कुदरत ने फिर से अपना करिश्मा दिखाया और भास्कर की पत्नी सैली की मौत हो गई। भास्कर अपनी पत्नी को बचाने के लिए कई बार टाइम ट्रेवल करता है, लेकिन हर बार असफल रहता है। आखिरकार, वे समझ जाते हैं कि हम टाइम ट्रेवल करके अतीत को बदल नहीं सकते। जब वे दोनों हार मान लेते हैं, तब कुदरत उन्हें फिर से अपनी गलती सुधारने का एक मौका देती है। इस कहानी में वैज्ञानिक मुकुल, भास्कर और उसकी पत्नी सैली की जिंदगी का विस्तार से वर्णन किया गया है। साथ ही, टाइम ट्रेवल के हर रोमांचक किस्से को भी बताया गया है।

AKASH_CHOUGULE · Romance
Pas assez d’évaluations
21 Chs

चैप्टर -०३ शादी की सालगिरह

भास्कर और सैली अपनी अद्भुत यात्रा की अगली मंजिल की ओर बढ़ रहे थे। ट्राइडेंट होटल के लिए टैक्सी में बैठे, वे दोनों अपने बीते लम्हों की यादों में खो गए थे। जब तक टैक्सी ट्राइडेंट होटल के सामने पहुँच गई, उन पुरानी यादों ने उन्हें चकित कर दिया। ट्राइडेंट होटल के सामने पहुँचने पर, वे अपनी कल्पनाओं में इतनी गहराई तक डूब गए थे कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उनकी यात्रा कब समाप्त हो गई।

भास्कर और सैली ने ट्राइडेंट होटल की सातवीं मंजिल पर कमरा नंबर 1304 बुक किया था। जैसे ही वे कमरे में प्रवेश किए, उनकी आँखें खुली की खुली रह गईं। कमरा अत्यधिक बड़ा और आकर्षक था। उसमें बिस्तर, सोफा, एसी, टीवी और अन्य सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद थीं। कमरे का डिज़ाइन, रंग, और माहौल इतना शानदार था कि हर कोई उसे देखकर मुग्ध हो जाए।

कमरे की एक बड़ी खिड़की से होटल के सामने ग्रांड हयात नामक एक और होटल का दृश्य नजर आ रहा था। वह दृश्य इतना भव्य और सुंदर था कि भास्कर और सैली की नजरें वहीं ठहर गईं। कमरे में प्रवेश करते ही, भास्कर ने सैली की ओर मुस्कुराते हुए पूछा, "क्या तुम्हें कमरा पसंद आया?"

सैली ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "हाँ, बहुत पसंद आया।" उसकी मुस्कान में खुशी की झलक थी, और ऐसा लग रहा था कि वह अब भास्कर की उन बातों को भूल गई थी, जिनके लिए वह नाराज़ थी।

भास्कर ने उसकी मुस्कान देखकर कहा, "मुझे पता था कि तुम्हें यह कमरा पसंद आएगा।"

सैली ने हल्के स्वर में पूछा, "भास्कर, तुम्हारी मीटिंग कितने बजे है?" उसके चेहरे पर चिंता की झलक थी, और भास्कर ने तुरंत इसे समझ लिया।

भास्कर ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "शाम के 7:30 बजे। वो भी अपोजिट होटल में।"

भास्कर की बात सुनकर सैली ने राहत की सांस ली और दोनों खिड़की के पास खड़े होकर शहर की चमक-धमक का आनंद लेने लगे। ट्राइडेंट होटल की इस यात्रा ने उनके जीवन में एक नई चमक भर दी थी, और वे दोनों उस पल का पूरा आनंद ले रहे थे।

"तुम्हारी मीटिंग उस ग्रांड हयात होटल में हैं, तो तुमने यहां पर कमरा बुक क्यों किया?" सैली ने सवाल किया।

भास्कर ने एक लंबी साँस लेते हुए जवाब दिया, "वहां के सभी कमरे पहले से बुक थे। मुझे वहां पहले से एक कमरा बुक कर लेना चाहिए था। लेकिन मुझे थोड़ी देर हो गई।"

सैली ने गुस्से भरी आवाज़ में कहा, "तुम हमेशा सब काम देरी से करते हो क्या?" वह भास्कर की ओर मुड़ी। भास्कर उसे देख रहा था। वह परेशान थी। उसका ध्यान दीवार पर टंगे कैलेंडर पर गया। वह आज की तारीख देख रही थी। भास्कर उसकी अनिच्छा के पीछे का कारण समझ सकता था, लेकिन उसने यह जाहिर नहीं होने दिया कि वह उसके मन की बात समझ गया है।

भास्कर ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसका चेहरा अपनी ओर लाते हुए कहा, "सैली, तुम्हे कुछ कहना है क्या? प्लीज मुझे बताओ, तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है?"

सैली ने सिर झुकाते हुए कहा, "कुछ बातें हैं जो तुम्हें पता होनी चाहिए।"

भास्कर ने सैली की आँखों में देखते हुए कहा, "सैली, जब तक तुम बोलोगी नहीं, तो मुझे कैसे पता चलेगा कि तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है?"

सैली ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "भास्कर, जो अपनी पत्नी से सच्चे दिल से प्यार करता है, वह आज का दिन कभी नहीं भूलेगा।"

भास्कर ने सोचते हुए कहा, "क्या आज वैलेंटाइन डे है? एक मिनट।" उसने इशारे से जैसे कुछ याद आ रहा हो, ऐसा चेहरे पर भाव लाते हुए कहा, "हां, याद आ गया।"

यह सुनकर सैली की आंखों में चमक आ गई। भास्कर ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैं तीन साल पहले आज के दिन सीईओ बना था, यही बात थी ना?"

यह सुनकर सैली का चेहरा अचानक उतर गया। भास्कर ने उसकी उदासी देखते हुए पूछा, "क्या हुआ?"

सैली गुस्से में बोली, "तुम्हें सच में याद नहीं है?"

भास्कर ने जानबूझकर उसे और चिढ़ाने के लिए कहा, "तेरे चेहरे पर बारह क्यों बजे रहे हैं?"

सैली अब पूरी तरह से नाराज़ हो गई थी। भास्कर ने उसकी नाराज़गी को शांत करने के लिए उसका हाथ थामते हुए कहा, " क्या हुआ सैली? मैं तुझे यहां पर लेकर आया हु, तुम्हारे लिए इस स्पेशल होटल में कमरा बुक किया हैं, ताकि तुझे अच्छा लगे. लेकिन तुम तो नाराज हो. क्या बात है? तुझे क्या चाहिए?"

"कुछ नहीं।" सैली ने जवाब दिया।

भास्कर ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा, "मैं जानता हूँ कि तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है। पर तुम नाराज़ क्यों हो?"

सैली ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "मैं नाराज नहीं हूँ। पर मैं यात्रा करके थोडी थक गई हूँ।"

भास्कर ने प्यार से कहा, "ठीक है। तो तुम ठंडे पानी से नहा लो। तुझे अच्छा लगेगा।"

सैली नहाने के लिए बाथरूम में चली गई। भास्कर उसकी ओर देखकर मुस्कुरा रहा था। जब वह बाथरूम में गई, तो भास्कर ने खुद से कहा, "सैली, आज का दिन मैं कभी नहीं भूलूंगा। आज हमारी मैरिज एनिवर्सरी है। मैं इस दिन को कैसे भूल सकता हूं? मैं तुझे सरप्राइज देना चाहता हूं, जिसे तू जिंदगी भर याद रखोगी।"

भास्कर कमरे से बाहर आ गया। लिफ्ट से ग्राउंड फ्लोर पर आया और सड़क के किनारे चलने लगा। उसी दौरान भास्कर को एक अनजान नंबर से फोन आया।

"हेलो, भास्कर, कैसे हो? और तुम कहाँ हो?"

भास्कर ने थोड़ा चौकते हुए कहा, "मैं मुंबई आया हूं, लेकिन तुम कौन हो?"

"मैं मुकुल बोल रहा हूँ।"

भास्कर चलते चलते रुक गया। "मुकुल? मतलब वह वैज्ञानिक?"

"हाँ भास्कर। मैं अब घर पर हूँ। मैंने एक नया आविष्कार किया है। वह आविष्कार पूरी दुनिया को बदल देगा।"

भास्कर ने उत्सुकता से पूछा, "तुमने क्या आविष्कार किया है?" उसने मुस्कुराते हुए कहा।

मुकुल ने रहस्यमय ढंग से कहा, "तुम मेरे घर आ जाओ। मैं तुझे वह आविष्कार दिखाता हूं।"

भास्कर ने अपनी व्यस्तता जताते हुए कहा, "मेरी आज मीटिंग है। इसलिए खेद है कि मैं नहीं आ पाऊंगा।"

मुकुल ने हसते हुए कहा, "मुझे अच्छी तरह पता है कि तुम्हारी कौनसी मीटिंग है। तुम यहां अपनी शादी की सालगिरह मनाने आए हो, है ना?"

भास्कर ने आश्चर्य से पूछा, "आपको कैसे मालूम?"

मुकुल ने समझाया, "तेरे व्हाट्सएप ग्रुप में मैं भी हूँ। लेकिन मैंने कभी किसी से चैट नहीं की। भले ही मैं ग्रुप में था, लेकिन चैटिंग ना करने की वजह से होने के बावजूद भी नहीं था।"

भास्कर ने सोचा और कहा, "ठीक है, आप सभी प्लान जानते हैं, तो आप घर पर क्यों हो? आप यहां आ जाओ।"

मुकुल ने गंभीरता से कहा, "मैं वहाँ नहीं आऊंगा। लेकिन तुम्हें यहाँ जरूर आना होगा। मेरे पास तेरी अंगूठी है, जो तुम आठ साल पहले सैली को देने जा रहे थे।"

भास्कर ने हैरानी से पूछा, "वह आपके पास कैसे आई?"

मुकुल ने रहस्यपूर्ण ढंग से कहा, "अगर तुम यहाँ आ जाओगे, तो मैं तुम्हें सब कुछ बता दूँगा। तू आज 6:30 बजे मेरे घर आ जाना।"

भास्कर ने चुटकी लेते हुए कहा, "आप मुझे अंगूठी के साथ अपना आविष्कार दिखाने जा रहे हैं, है ना? कहि वह आविष्कार टाइम मशीन तो नहीं ना?"

मुकुल ने हसते हुए कहा, "हाँ, लेकिन तुम्हें कैसे पता?"

भास्कर ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे पता है कि आप तब तक आराम नहीं करेंगे जब तक आप अपना सपना पूरा नहीं कर लेते।"

मुकुल ने आग्रह करते हुए कहा, "भास्कर, तुझे मेरी टाइम मशीन देखने के लिए यहाँ आना होगा।"

भास्कर ने स्वीकार करते हुए कहा, "ठीक है। मैं आऊंगा, लेकिन मैं आपकी टाइम मशीन देखने नहीं आ रहा हूं, मैं वह अंगूठी लेने आ रहा हूं। चलो बाय।"

मुकुल ने भी अलविदा कहा, "बाय।"

इतना कहकर भास्कर ने फोन रख दिया। मुकुल, जो भास्कर और सैली का दोस्त था, एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक था। वह कई सालों से टाइम मशीन बनाने की कोशिश कर रहा था। हालाँकि वह दोनों का घनिष्ठ मित्र था, लेकिन भास्कर और सैली किसी कारणवश उससे बात नहीं करते थे। भास्कर ने उसे व्हाट्सएप ग्रुप में इसलिए जोड़ा था क्योंकि भास्कर और सैली के अलावा मुकुल का कोई दोस्त नहीं था। भास्कर चाहता था कि मुकुल के नए दोस्त बन जाएं, लेकिन मुकुल ने कभी किसी से चैटिंग ही नहीं की। वह खुद को कमरे में बंद कर लेता और टाइम मशीन बनाने के लिए दिन-रात काम करता रहता था। उसने कई बार असफलताएं झेलीं, लेकिन हर अगली सुबह फिर से उसी उम्मीद से काम शुरू कर देता, जो नामुमकिन सा लग रहा था।

फोन रख देने के बाद भास्करने एक गहरी सांस ली। उसने सोचा कि आज का दिन सैली के लिए कितना खास होने वाला है। अब उसे मुकुल के घर जाना था और यह देखना था कि मुकुल ने क्या अद्भुत आविष्कार किया है। साथ ही, वह अंगूठी वापस पाकर सैली को एक और सरप्राइज देना चाहता था। भास्कर की मन में उम्मीदें और उत्सुकता की लहरें उठ रही थीं।

भास्कर सड़क पर टहल रहा था और फोन पर बात भी कर रहा था। उसकी ध्यानभंग के कारण, वह दाहिनी ओर से आती हुई तेज़ कार को नहीं देख पाया। वह कार तेजी से भास्कर की तरफ आ रही थी और वह कार एक एक महिला चला रही थी। भास्कर ने फोन रख दिया और आगे देखते हुए चलने लगा। अचानक, भास्कर उसी महिला की कार के सामने आ गया। महिला बहुत डर गई थी और उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। घबराहट में उसने गलती से ब्रेक के बजाय एक्सीलेटर पर पैर रख दिया। डर के कारण उसने हॉर्न बजाने के बारे में सोचा भी नहीं। कार तेजी से भास्कर की तरफ बढ़ रही थी और यह तय था कि कार उसे टक्कर मार देगी। महिला के बगल वाली सीट पर उसका पति बैठा था। भास्कर को देखकर वह भी डर गया। डर के मारे दोनों जोर से चिल्ला रहे थे, "सामने से हट जाओ!"