राजपूत साहब मेरा हाथ छोड़ने को तैयार नही थे, और मेरे बदन में लगी आग को वो और बढ़ावा दे रहे थे | मैं भी उनको निहारने लगी तो मेरे बदन में आग और फैलने लगी | मेरा butt plug चुभने लगा था और गढ़वाली नथुनी तो वजन से बहोत हल्की होने के बावजूद भी मेरे नाक को एक तरफ बहोत दर्द कर रही थी मगर दुल्हन बनने में यही तो खुशी है | सारे छेद दर्द करेंगे तो ही चरमसुख मिलेगा | परिमल का हाथ अब मेरे बाहों पर और फिर मेरे चेहरे को टहल रहा था, बाद में मेरे कमर और जांघों को दबा के देखने के बाद उन्होंने कहा "चलो अब बियर पिलाओ मुझे अपने नरम होंठों से " | मैने बियर का गिलास उठाया, दो घूंट मुँह में रखा और झूले से उठके उनके चेहरे तक पोहोंची |उन्होंने अपना मुँह खोल दिया एकदम हल्का सा | उसमे बियर भरने के लिए मुझे उनके होठों को होठों से लगाना पड़ा और फिर धीरे धीरे मैने उनको बियर पिलाया | उन्होंने कहा "आज बियर गरम होकर भी दिल में ठंडक दे रही है, और पिलाओ जब तक मैं ना बोलूं तब तक" | मैने गिलाससे अब ज्यादा मात्रा में बियर उठायी और उनको मेरे मुँह से पिलाने लगी, अब उन्होंने मेरे कमरको पकड़ के बियर पीते पीते मुझे होटों से चुम्बन लेने लगे | मेरे सारे बदन में एक लहर सी दौड़ाने लगी - ये बियर का असर था या उनके चुम्बन का? उनका ड्रेस गिला हो गया था तो उन्होंने वो निकालके रख दिया | और में उन्हें बियर पिलाते पिलाते खुद होश में ही बेहोश हो रही थी | उनके चुम्बन अब मेरे होठों को, मेरे गालों पर, मेरे गर्दन पर जैसे दौड़ रहे थे | और में उन्हें इकठ्ठा कर रही थी, कहीं खो न जाए ये पल... पूरी बोतल खत्म हो गयी, फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के अंदर हॉल में लेके गए, और बोले की "और एक बियर की बोतल खोलो, आज दुगना मजा आ रहा है.." हॉल में मेरे चलने की बजह से, मेरी चूड़ियां और मेरी पायलके आवाज़से लग रहा था की यहां औरतही चल रही है | दूसरी बोतल खोलते ही उन्होंने मेरा पल्लू सर से हटा दिया और मेरी साड़ीको अपने हाथों से खिंचके मेरी छातीसे हटा दिया और मुझे गोल घूमने का इशारा किया | जैसे जैसे मैं बोतल लेके घूमने लगी, मेरी साड़ी उनके पास वाले सोफेपे इकट्ठा होने लगी | दो मिनटके बाद, मेरे पास सिर्फ बियर बोतल थी और बदन पर तंग होता ब्लाउज और मुलायम सा पेटीकोट था,और मेरी गोरी कमर खुलके उनको चूमनेके लिए बुला रही थी|