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मुझे तो तुम भी पसन्द नहीं हो (पार्ट 16)

जियान अब उदास था ,वह वहाँ से उठ गया, और थोडी दूर नदी के किनारे अकेले जाकर बैठ गया! नही ये नही हो सकता, मुझे क्या हो रहा है मैं इतना बुरा महसूस क्यो कर रहा हूं? आख़िर जब सोवी मुझे पसंद नहीं है तो मै क्यों बुरा मान रहा हूं जियान इन्ही उलझनों को नदी में पत्थर फेक रहा था।

शिन जुई ने पूछा मास्टर इसे क्या हुआ है ये ऐसे ही रहता है? कितना गुस्सैल स्वभाव है इसका?

सोवी _ ने कहा नही जियान बहुत ही खुशमिजाज स्वाभाव का है । लेकिन पता नही क्यों आज सुबह से वो बार बार गुस्सा कर रहा है! उसको कब गुस्सा आता है, कब वो शांत रहता है, ये सब उसके व्यक्तिगत रुचि पर निर्भर है!

शिन जुई ने कहा_मास्टर ये कौन है ?और आपके साथ क्यों आया है?

सोवी ने कहा _जुई समय के साथ तुम सब जान जाओगी। लेकिन जियान वो इंसान है जो मेरे लिए बहुत अजीज है!

शिन जुई ने कहा ठीक है मास्टर ! आपको भूख लगी होगी न? मै इस नदी से मछलियां पकड़ कर लाऊ? आग भी है मछली बन भी जायेगी। आपको शायद पता नहीं है कि शिकारी संप्रदाय से हूं और रात में मछली पकड़ने में भी माहिर हूं शिन जुई मुस्कुराते हुए बोली।

सोवी _ने जुई के कान को मरोड़ते हुए कहा तुम अब भी वैसी हरकत करती हो जैसे बचपन में करती थी।

शिन जुई ने कहा ! मास्टर कान में दर्द हो रहा है और आप भी आज तक वैसे ही मेरा कान खींचते हैं जैसे बचपन में खींचते थे वह ये बोल कर हंसने लगी।

जियान शिन जुई की हसने की आवाज सुन कर और भी बुरा महसूस कर रहा था। वो सोच रहा था ऐसा लगता है यहाँ मै इन दोनों के बीच में अतिरिक्त व्यक्ति हूँ!

शिनजुई मास्टर ने कहा "मैं जियान को बुला कर लाऊ?

सोवी ने जवाब दिया "नही रहने दो थोडी देर अकेले ही उसको!वरना वो फिर गुस्सा करेगा!

शिन जुई ने कहा "मास्टर वो दिखने में कितना खूबसूरत है सच बोलू तो मैने उसके जैसा कोई लड़का नही देखा! इसमे कोई दो राय नही है कि लोग उसको पहली नजर में ही पसंद कर सकते है,और कितना गोरा है। मैने सच मेंआज तक उससे खुबसुरत लड़का नही देखा है!

सोवी ,शिनजुई की बात सुन कर एक जीत की मुस्कान मुस्कुरा दिया ,कोई और जियान के बारे में कुछ बोलता तो सोवी को बुरा लगता था लेकिन जुई को अपना सबसे करीबी मानता था उसे पता था जुई उसके लिए बहुत मायने रखती है। सोवी मुस्कुराते हुए बोला हां वाकई वो बहुत खूबसूरत है जब मैने उसे पहली बार देखा तो मै स्तब्ध रह गया था!मैने ही उसे सजा दी थी और जब मै उसको बताने गया की उसकी सजा खत्म हो गयी है तो मेरी नज़र उसके चेहरे पर गयी, मै कुछ पल के लिए मौन रह गया था।

लेकिन सोवी सोच रहा था आख़िर जियान ऐसे क्यो है? क्या उसे अकेलापन महसूस हो रहा है ?लेकिन सुबह तक तो वो ठीक था कही ऐसा तो नही उसे मेरा साथ पसंद नही आ रहा हो। या फिर वो इस सफर से परेशान हो गया है!

शिन जुई_ने कहा मास्टर आप क्या सोच रहे हैं? सोवी ने जुई के सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया फिर शिन जुई ने जियान को पुकारते हुए कहा ओह बेवकूफ तुम्हे भूख नहीं लग रही है क्या? अगर भूख लग रही है तो चलो मेरे साथ मछली पकड़ने! जुई मुस्कुराते हुए चिल्लाई ।

जियान ने शिन जुई की बातो का कोई जवाब नहीं दिया तो उसने सोवी से कहा "मास्टर मैं उसी के पास जा रही हू आप यही आग के पास बैठो मैं कुछ देर में मछली पकड़ कर लाती हूं!

सोवी:ने कहा_हा ठीक है।

शिन जुई जहा जियान बैठा था वहा पहुंच कर पीछे से बोली "क्या हुआ तुम उदास क्यो हो।

जियान ने जवाब दिया_नही मैं बिल्कुल ठीक हूं। और मै उदास क्यों रहूँगा? और तुम यहां क्यों हो? जाओ अपने मास्टर के पास बैठो । वह चिड़ते हुए बोला । अरे तुम्हे क्या लगा मैं तुम्हारे पास आई हू ! बेवकूफ मैं तो मछली पकड़ने आई हू और अगर खाना हो तो तुम भी चलो मेरी सहायता करो शिन जुई बोली।

जियान_ ने कहा भूख तो लगी है लेकिन रात में मछली नही पकड़ सकता हूं मैं ,समझी तुम। चिल्ला क्यो रहे हो मै पकड़ सकती हूं मैं तो इन कामों में माहिर हूं यहां कितनी ठंड है जाओ वहा आग जल रही है वहा जाकर बैठो ,मैं मछली पकड़ कर लाती हूं, जियान ने शिन जुई की बात सुनकर सोचा ये स्वाभाव में अच्छी है और दुसरो का ख्याल भी रखती है मैं बेवजह इससे चिल्लाता हूं।

अरे देख क्या रहे हो जाओ वहा बैठो।

जियान उठ कर सोवी के पास जाकर बैठ गया ठंड के वजह से उसके हाथ पैर ठंडे हो गए थे ,आग के किनारे बैठ कर उसे थोड़ा राहत मिला था। सोवी बहुत ध्यान से जियान को देख रहा था।

जियान ने फिर कहा_अब घूर क्यो रहे हो ?जाकर अपनी शिष्य को घूरो मुझे नही।

सोवी_ ने पूछा तुम्हे वो पसंद नहीं है?

मुझे तो तुम भी पसन्द नहीं हो लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है स्वान कबीले की पवित्र पुस्तक को वापस लाना।

जियान की बात सुन कर सोवी एक बार फिर शान्त हो गया। और सोचने लगा "वो कौनसा पल होगा? जब तुम मुझे पसंद करोगे? मुझे नही लगता है ऐसा कोई पल आने वाला है, लेकिन मै हार नही मान सकता हूँ, आखिरकार तुम मेरे सोलमेट हो! हम भले ही नदी के दो धारा के समान है जिनका मिलना संभव नही है, लेकिन मै इस डर से तुम्हे पाने का प्रयास छोड़ हूँ? ये शायद कायरता होगी! हाँ मुझे तुम्हे खोने से डर जरूर लगता है लेकिन उस डर से कही जयादा मै तुम्हे पाने का इच्छुक हूँ!

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