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chapter 02- क्या? कब? कैसे?

हेलो दोस्तों, मेरा नाम सूरज पाटिल है और मै 27 साल का हूँ। मै सोच भी नहीं सकता की मेरी किस्मत इतनी ख़राब होंगी। किसी ने खूब कहा है की, जवानी मे इतने कांड करो की, साला बुढ़ापा किस्से बतानेमे ही निकल जाये।

मै लातूर का रहनेवाला हूँ। मेरी जिदंगी एकदम सेट थी। एक अच्छी नौकरी, हैप्पी फॅमिली, अच्छी नार्मल लाइफ ! जिंदगी मे कूछ प्रॉब्लम नही थी। पर साला, पता नही, इसे किसकी नजर लग गयी।

*-*-*

"इस कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट होने के बाद हमें प्रॉफिट तो होगा, मगर उसके साथ-साथ हमारी कंपनी की मार्केट वैल्यू भी बढ़ जाएगी। so my opinion is that, हमें mr.रॉय की डील के मुकाबले ये वाली डील ज्यादा फायदेमंद रहेगी " मैंने अपना प्रेजेंटेशन ख़तम किया। रूम मे बैठे सभी लोगो ने तालिया बजाकर मुझे सराहा।

"भाई, तू तो छा गया। " बगल मे बैठे मेरे दोस्त मयूर ने हलकी आवाज मे बोला। सामने की कुर्सी पे हमारी मैनेजर मिस. नैनाने एक हलकी स्माइल देते हुए कहा,

"well done सूरज। nice presentation. "

"thank you mam" मैंने भी स्माइल देते हुए कहा।

" i think, तुम ये डील बेटर हँडल कर सकते हो। so इस डील का पूरा काम तुम देखोगे। " फिरसे स्माइल देते हुए मिस. नैना ने कहा।

"yaa sure mam. thank you very much".

मीटिंग ख़तम हो गयी। मिस.नैना जाते वक्त फिर से स्माइल देते हुए चली गयी। एक-एक करके सभी लोग निकल गए। मै अपना लैपटॉप बैग मे रखने लगा, तभी मयूर मेरे पास आया,

"क्या बात है भाई ! मिस.नैना तुमपे कुछ ज्यादा ही खुश है। "

"पागल है क्या? "

"अरे पागल मै नहीं, तू है। वो सच मे तुझे पसंद करती है। तूने देखा नहीं, वो तुझे देखके कैसे स्माइल कर रही थी। "

"तू अपनी ये बकवास बंद करेगा", मै अपनी बैग भरने मे व्यस्त था।

"अच्छा वो सब छोड़। अब इतने बड़े काम का इंचार्ज बन गया है तो पार्टी तो बनती है ना भाई। "

"क्या करना है बोल। " मैंने हसते हुए पूछा।

"करना कुछ नहीं है। बस आना है। कल होला बीच पे मस्त ओपन नाईट पार्टी है। ", जोश भरे अंदाज़ मे मयूर बोलने लगा।

"पागल है क्या? घरवाले इतनी रात को आने नहीं देंगे। "

"अबे साले तू थोड़ी ही बच्चा है। अरे वहाँपे लड़किया होंगी, दारू-शारु होंगी, dj होगा, डांस होगा, मस्त मजे करेंगे ना ब्रो। ", मयूर को अभी से पार्टी वाली फील आ रही थी।

"घरवालोंका सीन है यार। ", मैंने थोड़ा नाराजी से कहा।

"पार्टी केलिए जा रहे है, जंग केलिये नहीं"

"अरे पर... "

मेरी बात को उसने बिच मे काटा, "चुप। कोई बहाना नहीं। कल सीधा बिच ले मिलते है। " कहके मयूर वहासे चल दिया।

उसने बोला की पार्टी केलिए जा रहे है, जंग केलिए नहीं। पर मुझे क्या पता था? ये तो मेरी आनेवाली जंग की शुरुआत है!

*-*-*

रात के 9:30 बजे थे। मै, पापा और मा डिनर कर रहे थे। मैने आखिरकार पार्टी वाली बात बोल डाली।

"क्या? नाईट पार्टी !", मानो कोई भूकंप आया हो, इस तरह माँ ने कहा। मैंने बस "हाँ" मे जवाब दिया।

"ये सब यहाँ नहीं चलेगा। मै बता देती हु। ",माँ ने कहा।

"अरे माँ, अब सब प्लॅन बन चूका है। ", मैंने बेझिझक कह दिया।

"तुम लोग ये नाईट पार्टी दिन मे नहीं कर सकते हो क्या? "

"नाईट पार्टी दिन मे कौन करता है यार!"

"अरे ये पार्टी-वार्टी छोड़। ", मुझे बहला-फुसलाने केलिए पापाने जाल डालना शुरू किया, "कल पिक्चर को चले जाते है हम। "

"forget it पापा! मुझे पिक्चर जरा भी पसंद नहीं है। सब झूठ से भरा पड़ा। " मुझे बचपन से ही फिल्मो से नफरत थी।

पापाने फिरसे मुझे मनाने केलिये कहा, "अरे बेटा, बहुत अच्छी पिक्चर आयी है। उसमे हीरो जो होता है ना, वो अपनेजैसी दिखने वाली दूसरी दुनिया मे चला जाता है। "

"ये दूसरी दुनिया जैसा सचमुच कुछ होता है क्या? ", माँ ने बड़ी हैरानी से पापा को पूछा।

"off course! उसे पैरेलल वर्ल्ड कहते है। साइंटिस्ट भी ये मानते है की, पैरेलल वर्ल्ड जैसी चीज इस दुनिया मे मौजूद है। जहापे सब उल्टा होता है। ", पापा ने बड़े रोमांचक तरीके से बताया।

मेरी माँ खाना भूलकर उसके बारे मे सोचने लगी। मुझे ऐसी बचकानी बाते पसंद नहीं थी। तो मैंने इस विषय को आगे घसीटा,

"मानने से क्या होता है? ", मैंने बोल दिया।

"मानने से क्या होता है मतलब? अरे बड़े बड़े साइंटिस्टोने इसके ऊपर अपनी थेओरी बनायीं है ", पापा ने कहा।

"ohh come on पापा। थेओरी किसी चीज का प्रूफ नहीं है। और रही बात मानने या न मानने की... तो मै इसपे तभी यकीन करूँगा, जब वो दुनिया मै अपनी आँखोंसे देखूंगा। ", मैंने अपना बयांन रख दिया।

"तुम्हे ये सब बताना मतलब भैस मे आगे बिन बजाने जैसा है। ", कहकर पापा फिरसे खाना खाने मे व्यस्त हो गए। पर मुझे हसीं आ रही थी। कोई भला ऐसी बेतुखी चीज पर यकीन कैसे कर सकता है?

*-*-*

दूसरे दिन - होला बीच पे-

रात के 8:30 बजे थे। गाड़ी के पय्ये धीमे चलते-चलते रुक गए। गाड़ी का दरवाजा खोल के मै उतर गया। जीन्स, टीशर्ट और ऊपरसे बॉम्बर जैकेट पहना था। मुझे ड्रेसिंग की कुछ खास जानकारी नहीं थी। पार्किंग मे गाड़ी लगाकर मै पार्टी की ओर जाने लगा। गानों की आवाज कदम के साथ धीरे धीरे बढ़ रही थी। लाइट्स, dj, लोगो का शोर, पूरा अलग ही माहौल जम गया था। ये मेरी जिंदगी की पहली नाईट पार्टी थी। सबकुछ ओपन था। खुले आसमान के निचे। मै इधर-उधर देख रहा था, तभी,

"ऐ सूरज... "मुझे किसीने आवाज दी। वो मयूर था। वो भागते हुए मेरे पास आया और "अरे मेरे भाई" कहते हुए दोनों एक-दूसरे के गले मिले। मयूर ने मेरे कपड़ो को घूरते हुए बोला,

"अबे ये क्या पहनके आया है? "

"क्यों? क्या हुआ? "

"मेरे भाई, बिच पार्टी है यार। तू क्लब पार्टीवाले लुक मे आया है यार। "

"अबे तेरे ड्रेसिंग के चक्कर मे पार्टी मिस हो जाती। चुपके से आया हूँ। घर पे बिना बताये। "

"ये हुयी ना बात ब्रो। अब तो पूरी रात मचायेंगे। "

...और दोनों पार्टी के अंदर चले गए। नाक बंद करके शॉट्स मारने लगे। बिच पे डांस करने लगे। यहाँ तक की बिच पे नागिन, मछली डांस भी किया। मैंने अपनी जिंदगी मे ऐसी मस्त पार्टी पहली बार देखि थी। हम लड़कियों के साथ बात कर रहे थे... तभी वहां स्टेज पे हाथ मे माइक लिए एक मोटा आदमी आया। उसी के साथ जोर से बजनेवाला म्यूजिक शांत हो गया। मुझे उस वक्त चढ़ी थी, इसलिए उसका चेहरा ठीक से नहीं देख पाया। मगर dj के लाइट मे चमकने वाला उसके हाथ के ऊपर का काला निशान मुझे साफ दिख रहा था। काला निशान। उसका बर्थ-मार्क ! उस मोटे बन्दे ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचते हुए बोला,

"हेलो लेडीज एंड जेंटलमैन, माय नेम इज J.P.... "

मैंने मयूर से पूछा, "ये पतलू का मोटू यहाँ क्या कर रहा है। "

"उसका नाम जगदीश प्रसाद है। उसीने ये पार्टी दी है। ", नशे मे डूबे मयूर ने तोतले अंदाज़ मे बोला। JP आगे कहने लगा,

"मै कई साल से एक काम मे बिजी था। very busy ! और आखिरकार मैंने उस चीज पर जीत हासिल कर ली। वो चीज इस संसार से परे है। इस दुनिया से परे। वो हमारी इस दुनिया को अलग ऊंचाई पर ले जाएगी। बस इसी ख़ुशी मे ये छोटी सि पार्टी ! please enjoy !", कहके JP स्टेज से उतर गया।

म्यूजिक फिर से बजने लगा। सब चियर्स करने लगे। पार्टी के मजे मे खोने लगे। मयूर मेरे पास आया और उसने मुझे एक गोली दी,

"भाई, ये गोली ट्राय कर। "

"क्या है ये? "

"अरे एकदम imoprted माल है। "

मैंने वो गोली खा ली। हम लोगो का नाच फिर से शुरू हो गया। मुझे थोड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था। मानो जैसे मेरे शरीर के एक एक कन गायब हो रहे हो। मैंने मयूर को पूछा,

"सुन, वाशरूम कहा है? " म्यूजिक के शोर की वजह से हमे चिल्लाके बोलना पड़ रहा था।

"वाशरूम क्यों? छोड़ दे समंदर मे !", मयूर अपनी ही दुनिया खोया था। उसे छोड़ के मै वाशरूम ढूंढ़ने चला गया।

चलते-चलते मुझे पता ही नहीं चला की कहा आ गया हूँ। इतना तो तय था की, पार्टी से काफ़ी ज्यादा दूर आ गया हूँ। मुझे सामने एक घर सा कुछ दिखाई दिया। नशे की हालत मे मै उसके अंदर कब गया, मुझे ही नहीं पता लगा। तभी मुझे बाहर से गार्ड्स की आवाजे सुनने आई, "ऐ वो बेवड़ा अंदर गया है। मूतना छोड़, उसे पकड़"

उस घर मे मुझे निचे की ओर जाती हुयी सीढ़िया नजर आयी। मै निचे गया। वहाँपे कुछ ऐसी चीज़े थी, जैसे मानो यहाँपे कोई रिसर्च चल रही हो। वहाँपे रूम के बिच मे एक बहुत बड़ा आइना लिटाया था। उसके बाजु लोहे के थे। पता नहीं क्या क्या था, मै अँधेरे मे ठीक से देख नहीं पाया। वहां कोने मे जाके मै मूतने लगा। ठिकसे मूत भी नहीं पाया तभी गार्ड्स की आवाजे आने लगी, "पकड़ो उसे। निचे गया होगा शायद। ". गार्ड्स सीढ़ियों से निचे आने लगे। मेरी फट गयी। मै नशे की हालत मे भागने लगा तभी... मेरा पैर फिसल गया... और मै... उस... आईने के ऊपर गिर गया... मेरा बदन जैसे ही आईने से छूआ...मानो या ना मानो... मै आईने के अंदर घुस गया... और ऐसा लगा की रात अचानक से दिन मे बदल गयी हो... और मै जोर से फ्लोर पे गिर पड़ा... और मेरी वही पर आँख लग गयी...

वो आइना था या दूसरी दुनिया का दरवाजा, वहापे क्या हुआ, ये मुझे ठीकसे याद नहीं। पर मुझे महसूस तो ऐसा ही हुआ था।

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