webnovel

अपहरण

Editor: Providentia Translations

तांग जुई की नज़रे उस शब्द " गुनाह" पर गई जो उसने खुद गु मियां के पेट के निचले हिस्से में खोदा था। शब्द जो पहले खून से लथपथ था अब गुलाबी घाव में बदल गया था। 

उस समय उसने यह गु मियां को सज़ा देने के लिए किया था, इसलिए शब्द इतना अच्छे से तराशा नहीं गया था। अक्षरों को उसके निचले पेट में तिरछा किया गया था, और इसने उसकी त्वचा की मूल सुंदरता को नष्ट कर दिया।

तांग जुई को नहीं पता था कि क्या उसके मन में आया और उसने अचानक से अपने सर को नीचे झुकाया और उसके उसके घावों पर एक चुम्बन दिया। 

गु मियां ने एकाएक अपनी आंखे चौड़ी कर ली और उसने अपने चेहरे को इधर उधर घुमाने लगी और ऐसा लगने लगा कि वो दूर गिरने वाली थी। तांग जुई के चेहरे के भाव अचानक से बदल गये। यह वास्तव में उसका सबसे संवेदनशील निशान था। 

"नहीं !तांग जुई , मुझे यहाँ पर मत छुओ 

गु मियां ने रोना शरू का कर दिया। वो इस अकथनीय आई हुई ख़ुशी से टूट सी गई थी। यह स्पष्ट रूप से उसके लिए अपमान था, लेकिन वह अविश्वसनीय रूप से कामोत्तेजित महसूस कर रही थी|

लेकिन तांग जुई के लिए उसको जाने देना नामुमकिन था। जैसे गु मियां के ऊपर अत्यचार तांग जुई ने किया था , उसको गु मियां को उस दर्द में देखना अच्छा लगता था। तांग जुई के जीभ का कोना उस शब्द को लगातार बोलता रहा और गु मियां पूरी तरह से अपमान और शर्मिंदगी से भर गयी थी। लेकिन उसकी उत्तेजना के तहत उसकी दुष्ट आनंद मजबूत हुआ ...

गु मियां का फ़ोन बजने लगा। तांग जुई के पास उठ कर उस फ़ोन को उठा कर देखने के अलावा कोई चारा नहीं था। जब उसने देखा कि फ़ोन सु कियानक्सुन का है , उसने फ़ोन उठा लिया और गु मियां के कान के बगल में फ़ोन को लगा दिया। 

गु मियां की आवाज़ पहले से ही रूखी हो गई थी और वो इस वक़्त सु कियानक्सुन के फ़ोन को नहीं उठाना चाहती थी .... 

"मियां मियां , क्या तुम सो रही थी ?" 

"कियानक्सुन , मैं सोने ही वाली थी। अगर तुम मुझे कुछ बताना चाहती हो , तो तुम मुझे कल फ़ोन करना ..अह !" . गु मियां अचनाक से जोर से चिल्लाई। 

सु कियानक्सुन एक पल के लिए दंग रह गई। एक पल के बाद उसे अहसास हुआ कि गु मियां किस हालत से गुजर रही थी। उसके चेहरे पर खून सवार हो गया और उसने तुरंत ही फ़ोन रख दिया। 

…..

अगले दिन ,सु कियानक्सुन अपना नाश्ता करने के बाद कैंपस गई। क्योकि वो अब गार्डन में नहीं रह रही थी , उसने कक्षा में जाने के लिए बस से सफर किया। 

जब वो पड़ोसी के गेट से बाहर निकली , उसका फ़ोन बजने लगा। जब वो मैसेज को देखने के लिए अपने फ़ोन की बाहर निकालने ही वाली थी तभी एक वैन अचानक से उसके बगल में आ कर रुकी। 

सु कियानक्सुन तुरंत भागना चाहती थी , लेकिन उसने सामने वाले पक्ष को हल्का समझा था। कार का दरवाज़ा खुला , दो आदमी बाहर निकले और जबरदस्ती उसको कार के अंदर खींच लिया। 

इससे पहले की युवती लड़ने के लिए पर्याप्त समय मिलता , कार में बैठे आदमी ने उसके मुँह को काले रूमाल से ढक दिया। अगले तीन सेकंड्स में सु कियानक्सुन पूरी तरह से बेहोश हो गई। 

 सब कुछ बेहद ही जल्दी और अचानक हुआ। कार चली गई और पड़ोस का प्रवेश फिर से शांत हो गया। 

सु कियानक्सुन को जब होश आया तब वो कार में लेटी हुई थी। उसके हाथ और पैर रस्सी से बंधे हुए थे और उसका मुँह भी मास्किंग टेप से ढका हुआ था। आदमी जो सामने बैठे थे वो उस युवती जिसे उन्होंने पकड़ा था उसको देखने के लिए बार बार पीछे देख रहे थे। 

उन में से एक आदमी खुद पर काबू न रख सका और अपने हाथ को आगे बढ़ा कर उसके छोटे,नरम चेहरे को छुआ और एक दुष्ट मुस्कान दी ," इस बार हम बहुत किस्मत वाले रहे है , यह कमीनी सच में सबसे हट के है !" 

सु कियानक्सुन जानती थी कि उसका अपहरण हो गया। उसने खुद को शांत रखने की बहुत कोशिश की , जिसके लिए उसने अपनी आँखों को कस के बंद करके चुपचाप बिना हिले वही लेटी रही , जैसे कि वो अभी भी बेहोश थी। 

शुरू सी ही स्थिरता से गाड़ी चलते हुए सड़क उबड़ खाबड हो गई थी और सु कियानक्सुन जानती थी कि अब अपहरणकर्ता उसे शहर से बाहर ले आये थे। अपहरणकर्ताओं ने अपने पहरेदार को भी नीचे कर दिया था। 

वह जानती थी कि वह एक पल भी इंतजार नहीं कर सकती। उसने सावधानी से अपना फोन निकाला और एक नंबर डायल किया।

लॉन्ग सिजु हवाई जहाज से उतरा ही था और अपना फोन चालू किया था जब युवती का नाम फ़ोन पर आया। उसने फ़ोन को उठाते हुए एक मुस्कान दी.... 

Siguiente capítulo