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केवल नाम की मंगेतर...

Editor: Providentia Translations

म्यू वानरू ने उसके चेहरे का भावों को देखते हुए,उसके मेज़ पर पड़े कागज़ के ढेर को देखा। उसने एक धीमी सी आवाज़ में पूछा,"ज़्हे.... क्या मैंने आपको परेशान किया?"

भले ही वो उसकी होने वाली पत्नी थी, भले ही वो पहले से ही म्यू परिवार की वैध यंग मिस्ट्रेस थी,लेकिन इस आदमी का सामना करते वक़्त उसे बहुत सावधान रहना पड़ता था। म्यू याज़हे के साथ बड़े होने के बावजूद, उसने महसूस किया कि वो वास्तव में कभी उसका दिल नहीं जीत पायी थी।

उनकी सगाई ने उसे एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया था कि,वो पूरी दुनिया में सबसे खुशकिस्मत महिला थी। वो इस आदमी से सच्चा प्यार करती थी,लेकिन,विडंबना यह थी कि वो कभी उसे पूरी तरह से समझ नहीं पायी थी।

भले ही म्यू याज़हे उसका होने वाला पति था,लेकिन उसे म्यू वानरू से कोई मतलब नहीं था। जब वो पहली बार मिले थे तब भी वो ऐसा ही था। दरअसल,वो सभी के साथ ऐसा था। वो घमंडी, रौबदार और कठोर था; उसने उसे कभी भी किसी से प्यार करते हुए नहीं देखा था- सिर्फ यिचेन को छोड़कर।

केवल यिचेन के सामने वो अपने रौबदार स्वाभाव को छिपा लेता था।

म्यू याज़हे ने अपने पतले होंठ थोड़े टेढ़े किये। उसकी भारी और कठोर आवाज में जवाब देते समय थोड़ी कोमलता दिखाई दी,"नहीं।"

म्यू वानरू थोड़ी मुस्कुरायी और म्यू याज़हे के जवाब से खुश हो गयी,उसकी आँखों में म्यू याज़हे के लिए असीम प्यार झलकने लगा।

वो धीरे से उसके सामने गयी,और प्यार से अपनी बाहें फैलाकर, उसके कंधों पर लटक गयी। उसका आकर्षक शरीर म्यू याज़हे की छाती के पास था। उसने अपनी आँखें आधी बंद कर लीं,और म्यू याज़हे के सुन्दर चेहरे के करीब जाने लगी और उसके पतले और आकर्षक होठों पर एक किस करने की कोशिश की।

म्यू याज़हे की झुकी हुई आँखें उसे घूर रही थीं। उसने अपना चेहरा एक तरफ झटक दिया,जिससे म्यू वानरू के होंठ म्यू याज़हे के जबड़े से टकरा गए।

हैरान,म्यू वानरू ने अपनी भौहें उठाईं और ऊपर देखा, वो अपना मुँह दूसरी तरफ करके कहीं और देख रहा था। म्यू वानरू के होंठों के कोने कड़वाहट से मुड़ गए।

वो मन ही मन खुद पर हँसने लगी। हाँ,वो कैसे भूल सकती है? भले ही वे पति-पत्नी बनने जा रहे थे, लेकिन वो उसके होंठों के पास नहीं जा सकती थी। किसी को भी उन्हें छूने की अनुमति नहीं थी। वो दोनों सिर्फ परिस्थितियों के हिसाब से चल रहे थे,और केवल दिखावे के लिए एक साथ थे;म्यू याज़हे उसे छोड़कर किसी अन्य महिला को पसंद नहीं कर सकता था।

म्यू वानरू बहुत गुस्से में थी। उसने अपने दोनों हाथों से म्यू याज़हे का चेहरा पकड़ लिया,नाराज़गी से उसकी आँखों में आँसू आ गए।

"ज़हे...क्या तुम मुझसे प्यार करते हो? मुझे ईमानदारी से जवाब दो। क्या तुम सच में मुझसे प्यार करते हो, या तुम सिर्फ अपने दादा की इच्छाओं का पालन कर रहे हो? क्या तुम हमारी शादी को सिर्फ एक आदेश के रूप में ले रहे हो?"

भले ही वो हर चीज़ समझती थी,फिर भी जब उसने एक पत्रिका में म्यू याज़हे की एक अन्य महिला के साथ डेटिंग करने की ख़बर पड़ी तो वो नाराज़ और दुखी हो गयी!

उसकी नज़रों में वो आदमी भगवान की तरह था,वो यह सहन नहीं कर पा रही थी कि वो जिससे प्यार करती है,उसे किसी दूसरे के साथ बाँटें!

म्यू याज़हे के व्यव्हार में कोई बदलाव नहीं आया; वो अभी भी उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था। उसका ध्यान म्यू वानरू के बजाय सौ-अरब-युआन के प्रोजेक्ट पर था।

म्यू वानरू क्रोधित थी और उसने उसे दूसरी बार चुम्बन करने का प्रयास किया। म्यू याज़हे ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाया और म्यू वानरू से बचने के लिए उसे खुद से दूर कर दिया।

"वानरू,पागल मत बनो।"

म्यू वानरु बेरुखी से हंसी, उसका दिल उदास हो गया था। वो पहले से ही जानती थी कि वो उसे चकमा देगा,फिर भी उसे बुरा लगा। म्यू याज़हे ने ना तो उसे कभी चूमा था,ना ही किसी अन्य लड़की को।

राजधानी के यंग मास्टर म्यू एक पत्थर दिल इंसान थे। उनके आसपास कई महिलाएं थीं जो उनके लिए आकर्षित थीं, फिर भी उनमें से कोई भी ख़ास नहीं थी।

यहां तक कि वो,उसकी वैध मंगेतर थी, उसकी सबसे करीबी महिला,फिर भी म्यू याज़हे ने उसे कभी अपने पास नहीं आने दिया था।

क्या वो सच में उससे प्यार करता था,या वो उसे अपना अकेलापन दूर करने के लिए एक मोहरा बना रहा था?

शायद, ऐसा भी नहीं था। क्या वो उसके साथ दिखावा कर रहा था?

म्यू वानरु को इस बारे में एक बार भी शक नहीं हुआ। यदि दादाजी ने उनकी सगाई नहीं करवाई होती,और अगर यह शादी उनकी इच्छा से नहीं हो रही होती, तो यह आदमी शायद एक बार भी उसकी तरफ नहीं देखता।

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