webnovel

कुछ पल जिनमे पूरी ज़िन्दगी समा गई

Urbano
En Curso · 18.8K Visitas
  • 5 Caps
    Contenido
  • valoraciones
  • N/A
    APOYOS
Resumen

Chapter 1आग़ाज

हमने अक्सर कहानियों और कई किस्सों में पढ़ा या सुना है कि, ये मत सोचो की ज़िन्दगी में कितने पल है, बल्की ये सोचो के हर एक पल मे कितनी ज़िन्दगी है।

आज की ये कहानी भी एक ऐसी लड़की के जीवन संबंधित है जिसने सब कुछ पाकर भी कुछ नहीं पाया। जीवन मे शायद गिनती के कुछ लम्हे और किस्से ऐसे है जिनके सहारे ही वो शायद अपनी जिन्दगी गुज़ार सकती है।

कहते हैं कि, जिन्दगी अगर दर्द देती है तो खुशियाँ भी देती है पर अब लगता है कि शायद हर कहावत सही नहीं है, जरूरी नहीं कि सबके साथ एक जैसा ही हो, कुछ विलक्षण हो सकता है। पर कभी कभी विलक्षण भी बेहद दर्दनाक हो उठता है।

बात है लगभग 27 साल पहले की जब एक दंपत्ति को खुशियों भरा समाचार मिला कि वो पिता माता बनने वाले हैं, आख़िर बात भी अत्यंत प्रसन्नता वाली थी। उस घर का कर्ता एक अंतराष्ट्रीय NGO में कार्यरत थे और कर्ती एक नामचीन अंतराष्ट्रीय उड़ान विमान में परिचारिका के रूप में कार्यरत थी।

दोनों को उस होने वाले बच्चे की खुशी थी। दोनों अपने अपने स्तर पर अपना हर संभव प्रयास करते थे के उस आने वाले नव जीवन की ज़िन्दगी खुशियों से भर दें और किसी भी प्रकार की कमी ना हो।

प्रतीक्षा के दिन समाप्त हुए और आखिरकार उस नवजात ने इस दुनिया मे पहली बार साँस लिया। ऊपरवाले की दया और अनुग्रह से जुड़वा बेटियाँ पैदा हुई, उनकी माता को ऐसा लगा जैसे के वो आज जाकर संपूर्ण हुई। उनके पिता के अश्रु नहीं रुक रहे थे। वजह तो विस्तृत रूप से वही बेहतर समझे जो इस खूबसूरत और नायाब पलों को अपने जीवन में अनुभव करते हैं। कुछ भावनाओं की शायद अनुमानित परिभाषा भी नहीं होती।

दोनों लडकियों का नाम मूर्ति और लक्ष्मी रखा गया। समय के साथ साथ अपने माता पिता के प्यार के साथ वो दोनों बहनें बढ़ती रहीं। साथ उठना और बैठना, खिलौनों और गुड़ियों के लिए लड़ना, एक जैसे कपड़े की ज़िद आदि सामान्य बचकानी हरकतों से खुशी खुशी ज़िन्दगी गुज़र रही थी।

दोनों बहनों को साथ बढ़ते देख कर उनके पिता माता का हृदय प्रफुल्लित हो जाता था।

तीन ही महीने हुए थे कि मूर्ति अकस्मात् मूर्छित हो पड़ी, हकीम, वैद्य, अंग्रेज़ी दवा और चिकित्सक हर संभव उपाय अपना लिए पर मूर्ति की हालत दिनों दिन बिगड़ती जा रही थी। यहां तक कि वो उस हालत तक जा पहुँची कि उसने आँखे तक खोलना बंद कर दिया था, किसी शव की तरह बेजान पड़ी रहती और बुखार से पूरा शरीर गरम हुआ रहता।

माता पिता बेहद परेशान हो उठे। इधर लक्ष्मी भी छोटी सी जान थी, उसे कुछ भी नहीं पता चल रहा था। लक्ष्मी दिन भर रोती और अपनी माता के आँचल से चिपकी रहती। एक रात जब एक विख्यात चिकित्सक ने ये कह दिया कि "अब ये बच्ची को भगवान् ही बचा सकते हैं"। इतना सुन कर मूर्ति की माँ बिल्कुल निराश हो गयी, एक क्षण को जैसे मानो उस स्त्री की काया अचेतन पड़ गया।

उसी रात मूर्ति के पिता के एक मित्र रास्ते में मिलें और उन्होने एक अस्पताल का सुझाव दिया जहाँ कठिन से कठिन बीमारियों का इलाज़ सम्भव होता है। वो दम्पत्ति तीव्र गति से भागे, और वो अस्पताल पहुंचे, वहाँ पहुँचते ही अस्पताल कर्मचारियों ने शीघ्र मूर्ति का दाखिला करवा लिया। रात के 12 बजे की सन्नाटे को चीरते हुए एकाएक भागदौड़ मच गई। और मूर्ति इन सब बातों से अंजान बेजान पड़ी हुई थी। तुरंत ही वरिष्ठ चिकित्सक को सूचना दी गई और वो आधे घंटे के भीतर ही पहुँच गए और उस मूर्छित मूर्ति को शीघ्र ICU में ले गए। सभी आर्युविज्ञान परिचारिका जुट गई मूर्ति को बचाने मे, कुछ बाहरी पध्दति के माध्यम से जब शरीर के उच्च ताप को नियंत्रण मे लाने मे असफल रहें तब उन्होने मूर्ति को बर्फ़ कक्ष में रख दिया गया और जांघों पे अंत: क्षेप (इंजेक्शन) लगवाए गए। बर्फ कक्ष सम्पूर्ण शीशे से बना हुआ था, अतः बाहर से जब उसकी माँ ने जब उस छोटी सी बच्ची के नाजुक काया मे इंजेक्शन लगते देखा तो उनके अश्रु निकल आए।

तीन दिनों के बाद मूर्ति को बाहर सामान्य रोगीकक्ष मे स्थानांतरित किया गया, तब उसकी माता पिता के प्राण मे जैसे प्राण लौट आया, और तो और जब लक्ष्मी ने अपनी बहन को देखा तो उसके मुख पर से इतने दिनों की बेचैनी की सारी लकीरें हट गयी। बिना किसी और के चुप करवाए ही वो खुद ही चुप हो गयी और खिलखिलाने लगी। यह देख उनके माता पिता को भी सुकून मिला। लेकिन खतरा अभी तक टला नहीं। पूछने पर वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि, शरीर में लहू की कमी हो गयी है, इस कारण, उसे बाहरी रूप से खून चढ़ाना पड़ेगा। कुछ समय बाद, खून की कमी पूरी कर दी गई।

10 दिनों बाद, आखिर वो समय आ गया जब मूर्ति को अस्पताल से रिहायत मिल रही थी। मूर्ति को साथ लेकर वो वरिष्ठ चिकित्सक से मिलने गए, तो उन्होने बड़ी गंभीर रूप से कहा कि, शरीर बेहद नाजुक हो गयी है और क्योंकि उसे बर्फकक्ष मे रखा गया था, उसकी प्रतिरक्षित क्षमता घट गयी है जिस वजह से 10 वर्ष की उम्र तक गरम पानी मे स्नान करना पड़ेगा, ज़्यादातर खुद को ठंड से और बचाए रखना पड़ेगा, खट्टा जैसी चीज़ से परहेज रखना पड़ेगा।

इन्ही सब हालातों से गुज़रते हुए शुरू हुआ मूर्ति का जीवन।

वो घर वापस आए और शायद महीने भर बाद पूरा परिवार एकत्रित रूप से प्रसन्नता समेत रहने लगे।

También te puede interesar

गुड मॉर्निंग , मिस्टर ड्रैगन !

यह कहानी एक ऐसी लड़की के जीवन पर आधारित है जिसने अपने ही परिवार वालों की वजह से अपना सब कुछ खो दिया। उसे उसके घर से निकाल दिया गया, साथ ही उसने अपने जीवन के बहुत बुरे दिनों का सामना अकेले ही डट कर किया। उसे उसके तथाकथित सबसे अच्छे दोस्त और सौतेली बहन द्वारा फंसाया गया। जब सु कियानक्सुन वहां से बच कर भागने की कोशिश कर रही थी तो वह एक अनजान आदमी के साथ टकरा गयी थी। वह आदमी इतना सुंदर था कि ऐसा लग रहा था जैसे उसका चेहरा देवताओं द्वारा नक़्क़ाशा गया हो , लेकिन उसका दिल पत्थर के जैसा ठंडा और कठोर था। वहां से उसके जीवन ने एक अलग ही मोड़ ले लिया। उसी वक़्त से एक जंगली और उग्र रात की शुरुआत हुई, और तब से, वे जुनून, वासना, साजिश और विश्वासघात से भरी यात्रा पर निकल पड़े।

हान जिआंग्क्सुए · Urbano
Sin suficientes valoraciones
347 Chs

रिबॉर्न एरिस्टोक्रेट : रिटर्न ऑफ़ द विशियस हेइरेस

मूल रूप से एक धनी परिवार में पैदा हुई, वह पंद्रह साल तक भटकते हुए अपना जीवन जीती रही। जब वह अंततः अपने परिवार से मिली, तो उसे एक और कुटिल साजिश का शिकार होना पड़ा, और दुखी मौत नसीब हुई। अपने पुनर्जन्म के पंद्रह साल बाद, बदले की आग में जलते हुए, उसने अपनी जगह, गोद ली हुई बेटी के पाखंडी मुखौटे को नोच कर उसकी असलियत सबके सामने ला दी, और साथ ही अपनी लालची सौतेली मां और सौतेली बहन को उनकी असली जगह पर पहुंचा दिया। उसके लिए गहरे प्यार का नाटक करने वाले के लिए उसके पास सिर्फ ये शब्द थे, "मेरे जीवन से निकल जाओ। जिस प्यार की तुम बात करते हो उससे प्यार भी शर्मिंदा होगा!" भले ही तुम सब राक्षस कितना भी दिखावा कर लो, मैं अपनी क्षमता के साथ आगे जाऊंगी, अपने खुद के व्यापार राजवंश को बनाऊंगी, और अपने पैसों पर बैठ कर दुनिया की चकाचौंध का मजा लूंगी। किसी अमीर सीईओ ने कहा: "मेरी चिंता मत करो। मैं अपने कब्जे के अधिकारों की घोषणा करने के लिए सिर्फ यहां अपनी छाप छोड़ रहा हूं, मैं शांति से आपके बड़े होने की प्रतीक्षा कर रहा हूं!" व्यावसायिक युद्ध को पूरी तरह से अपनी मुट्ठी में किए, एक रानी की ताकतवर वापसी की तरह, वह सत्ता के दंगल से कौशल और क्रिया से साथ गुजरती है। और जब षड्यंत्रों की बात आती है, तो उसका बस यही कहना होता है, "आप कौन हैं? रहने दें!" बहुत हुआ। अब वक्त मेरा है!!!

Just Like · Urbano
Sin suficientes valoraciones
60 Chs

रिइंकार्नेशन ऑफ़ द बुसिनेसवमन एट स्कूल

पहले वह अपने परिवार के लिए एक कठपुतली थी, एक जासूस और हत्यारी, जिसकी वजह से पुलिस उसके पीछे पड़ी थी। एक दिन, अपनों से ही विश्वासघात सहने के बाद के बाद वह समुद्र में डूब गई। जब उसे होश आता है, तो वह हाई स्कूल में एक साधारण छात्रा है। पिछले जनम में अपने बुरे अतीत और रिश्तेदारों के बहिष्कार के कारण, उसे हमेशा सहपाठियों द्वारा तंग किया जाता था और इसलिए भी क्योंकि वह एकांत पसंद करती थी। नया जीवन हासिल करने के साथ, वह एक बड़े बदलाव से गुजरती है। इस बार वह सबको अच्छा सबक सिखाएगी! एक गुप्त शक्ति और जेड पत्थर को जांचने की पारखी नज़र का तोहफ़ा पाकर, अब वह हर प्रकार के जुए में सफल होने में सक्षम है। वह एक व्यवसाय शुरू करती है और एक बेहतरीन व्यापारी बनती है। जब रिश्तेदार और वो लोग जो पहले उसके गरीब होने पर उसका मज़ाक उड़ाते थे, उसके ज्यादा करीब आने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें मना कर दिया जाता है। “हम अब एक दूसरे से संबंधित नहीं हैं। जिस भी गंदी जगह से आए हैं, वहीं वापस लौट जाएं!” सब अच्छा है, सिर्फ एक ईर्ष्या करने वाले आदमी को छोड़कर। बिना किसी कारण के, उसको बहुत दर्द होता है, विशेषकर अपने निचले क्षेत्रों में। यह सब उस आदमी के कारण है!! इस कहानी के पुरुष और महिला किरदार दोनों मजबूत और बेदाग हैं...

Su Nuanse · Urbano
Sin suficientes valoraciones
20 Chs

valoraciones

  • Calificación Total
  • Calidad de escritura
  • Estabilidad de Actualización
  • Desarrollo de la Historia
  • Diseño de Personajes
  • Contexto General
Reseñas
gustó
Últimos
Anjani_Kumar_4635
Anjani_Kumar_4635Lv1

APOYOS