गली के अंधेरे से निकलते हुए, वरुण खड़ा था। उसकी आँखें ठंडी और चेहरा वही पुराने तंज़ भरे अंदाज़ में था!..... उसके काले बाल हवा में हल्के-हल्के उड़ रहे थे, और उसकी नीली आँखें जैसे आरना को ध्यान से देख रही थीं।
आरना के आसपास खड़े लड़के, जो अभी-अभी उसे घेरकर खड़े थे, वरुण को देखते ही जैसे कांप गए। उनमें से एक, जो थोड़ा मोटा और हट्टा-कट्टा था, पीछे हटते हुए बोला, "अरे, ये तो वरुण बॉस है..."
वरुण ने एक कदम आगे बढ़ाया.... और बिना एक भी शब्द कहे अपनी जेब से एक सिगरेट निकाली। उसने सिगरेट को लाइटर से जलाया और एक लंबा कश खींचा, उसकी आँखें अभी भी आरना पर ही टिकी थीं। लेकिन, उसने उन लड़कों से पूछा, "तुम लोग यहां क्या कर रहे हो?"
मोटे लड़के ने फौरन जवाब दिया, उसकी आवाज़ में हल्का डर साफ झलक रहा था, "वरुण बॉस... हम... हमें लगा कि ये छोटी लड़की रास्ता भटक गई है और यहां आ गई है। तो हम बस उसे बाहर निकालने के बारे में सोच रहे थे! लेकिन ये लड़की तो कुछ ज्यादा ही डरपोक निकली!"
आरना के दिल में डर और गुस्से का मिला- जुला भाव था, उसे लगा कि उसे कमजोर समझा जा रहा है लेकिन इससे पहले कि वो कुछ कह पाती, एक और लड़का हंसी में बोल उठा, "हां वरुण बॉस, इस मोटे का चेहरा देखकर ही ये एक भीगी बिल्ली की तरह रोने लगी!!"
उन लड़को का वास्तव में आरना को कोई नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं था। वो बस उसे एक झटका देने के इरादे से वहां आए थे, लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि उनकी हरकतें उसे इतना डरा देंगी। वो अब ख़ुद को थोड़ा असहज महसूस कर रहे थे। "वरुण बॉस, हम तो बस उसे थोड़ा डराना चाहते थे... पर हमें नहीं पता था कि ये इतनी घबरा जाएगी।" उनमें से एक और लड़के ने धीरे से कहा। बाक़ी लड़को ने भी सिर झुका लिया।
वरुण ने धुएं का एक और लंबा कश खींचा, फिर, बेपरवाह अंदाज़ में उन लड़कों की ओर देखा और एक ठंडी आवाज़ में कहा।। "तुम लोगों को थोड़ा ध्यान रखना चाहिए कि तुम किसके साथ मज़ाक कर रहे हो! आख़िर वो बस एक छोटी बच्ची ही तो हैं! शायद, तुम लोगों से कुछ ज्यादा ही डर गई!" उसके शब्दों में मज़ाक की हल्की झलक थी।
दूसरी तरफ... आरना को जैसे ही "छोटी बच्ची" शब्द सुनाई दिया, उसका चेहरा शर्म और गुस्से से लाल हो गया। उसकी आँखें चौड़ी हो गईं थी। 'छोटी बच्ची कोन हैं?? मैं पूरी सत्रह साल की हूं, और भला इस तरह का मज़ाक कोन करता है?मुझे तो लगा था कि वो मेरे साथ!' वो अपने मन में बड़बड़ा रही थी।
फिर.. वो लड़के एक- एक करके वहां से खिसकने लगे, और मोटे लड़के ने जाते जाते बोला। "बॉस इस डरपोक का ध्यान रखना, कहीं वो आपसे भी ना डर जाए!" इसी के साथ वो नौ दो ग्यारह हो गया।
आरना का चेहरा शर्म से लाल हो गया, वो अब खुद को एक बेवकूफ महसूस कर रही थी। उसने अपनी आँखों में आ रहे आंसुओं को रोकने की पूरी कोशिश की, लेकिन उसका गला सूखने लगा था.... वो यहां साबित करने आई थी कि वो एक ठग नहीं है लेकिन अब उसके ऊपर एक डरपोक का टैग भी चिपक गया था।
वरुण ने सिगरेट का आखिरी कश खींचकर उसे फेंक दिया और आरना की ओर देखा, जो ज़मीन पर सिकुड़ी बैठी थी, "क्या हुआ डरपोक बिल्ली? क्या तुम्हें अभी भी डर लग रहा है?" उसकी आवाज़ में वही पुराना तंज था।
आरना की नज़रें उसकी तरफ उठीं, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। उसकी चुप्पी ने उसे और भी छोटा महसूस करवाया, वरुण का ताना सुनकर, वो पहले से ज्यादा असहज हो रही थी, और उसकी आंखों में आंसू आ गए।
वरुण ने नीचे उसकी ओर झुकते हुए एक हल्की मुस्कान दी, जिसमें एक अजीब सी क्रूरता थी। "तुम्हें अब भी लग रहा है कि तुम कोई ठग नहीं हो?" उसने मजाक उड़ाने वाले लहजे में पूछा। "या फिर तुम एक डरपोक बिल्ली हो?"
आरना का धैर्य अब जवाब दे रहा था। उसने अपने आप को कमजोर दिखाने से मना कर दिया उसकी सांसें गहरी हो रही थीं और वो धीरे से अपने आँसू पोंछते हुए खड़ी हुई। उसकी नज़रें, अब वरुण की ठंडी और नीली आँखों से टकराईं, और उसने अपने होंठ भींचते हुए कहा, "मैं कोई ठग नहीं हूं, और डरपोक भी नहीं।"
वरुण की मुस्कान थोड़ी गहरी हो गई। वो एक कदम उसकी ओर बढ़ा, उसका चेहरा अब उसके बिल्कुल करीब था, और उसकी आँखें उसे सीधा घूर रही थीं। फिर उसने अपना एक हाथ उठाया और धीरे धीरे उसके चेहरे के करीब लेकर गया, आरना की सांसें और धड़कने तेज़ हो गई थी, जिन्हें सुनकर वरुण ने एक तीखी मुस्कान दी और फिर अपनी एक उंगली पर उसकी आंखों से आंसू की एक बूंद ली।
"तो ये क्या हैं?" उसने तंज भरे स्वर में कहा उसकी आवाज़ में एक ठंडापन था... जो आरना के भीतर और गहरा असर कर रहा था।
आरना ने कुछ पल के लिए कुछ नहीं कहा।... उसकी नज़रें वरुण की उंगली पर टिकी थीं, जिसने उसके आँसू को छुआ था। उसका चेहरा शर्म और गुस्से से लाल हो गया। वो थोड़ी हिम्मत जुटाकर कुछ कहने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वरुण की मौजूदगी ने उसे जकड़ सा लिया था।
"डरपोक तो नहीं लग रही हो?" वरुण ने अपनी उंगली पर लगे आँसू को दिखाते हुए कहा, उसकी मुस्कान अब और तीखी हो चुकी थी। उसकी आँखों में एक अजीब सी मस्ती थी, जैसे उसे आरना की स्थिति का पूरा मज़ा आ रहा हो।
आरना ने गहरी सांस ली.. उसके अंदर एक उबाल आ रहा था। उसे अहसास हो रहा था कि उसे यहाँ कमज़ोर दिखना नहीं चाहिए, लेकिन वरुण का मजाक उड़ाने वाला लहजा उसे और परेशान कर रहा था। उसने अपनी आँखों से आँसू पोंछे और कड़े लहजे में जवाब देने की कोशिश की, "ये.. ये कुछ नहीं हैं।"
वरुण की हल्की सी हंसी निकल आई.... और उसने अपनी उंगली से आँसू का कतरा गिराते हुए कहा, "हम्म, कुछ नहीं, ठीक है, डरपोक बिल्ली।"
"चलो, अब तुम्हें जाना चाहिए!" उसकी तीखी मुस्कान अब हल्की पड़ने लगी थी। उसने आरना की तरफ एक आखिरी बार देखा, उसकी आँखों में वही पुरानी बेपरवाही थी। फिर, वो कुछ कहे बिना ही पीछे मुड़ गया, और अपने अंदाज में धीरे धीरे चलने लगा, जैसे उसे किसी बात की जल्दी ना हो।
आरना का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। उसने अपने आँसू पोंछते हुए वरुण की तरफ देखा, जो अब उससे दूर जा रहा था। उसके दिमाग में बहुत सारी बातें चल रही थीं-- गुस्सा, शर्म, और थोड़ी बहुत हिम्मत। वरुण ने उसे 'डरपोक बिल्ली' कहकर जाने दिया था, और यह बात उसे बहुत परेशान कर रही थी। वो खुद को डरपोक साबित नहीं करना चाहती थी, खासकर वरुण के सामने।
"मैं साबित करके रहूंगी कि मैं कोई डरपोक नहीं हूं, और ना ही एक ठग हूं!" आरना ने एक गहरी सांस ली और अचानक से फैसला किया! उसने अपना बैगपैक जल्दी से उठाया और बिना सोचे-समझे वरुण के पीछे चलने लगी।
वरुण को पता था कि आरना उसके पीछे आ रही है, लेकिन उसने अपनी चाल में कोई बदलाव नहीं किया। उसने सिगरेट का एक और कश लिया और धुएं को हवा में उड़ाते हुए धीरे-धीरे अपने रास्ते पर चलता रहा।
आरना उसके कुछ कदम पीछे थी, और उसकी धड़कनें अब भी तेज़ थीं, लेकिन उसने खुद को शांत रखने की कोशिश की। आखिरकार, कुछ ही देर में वरुण एक सुनसान गली के मुहाने पर रुक गया। उसने बिना पीछे मुड़े कहा, "तुम्हें लगता है कि मेरे पीछे चलकर कुछ साबित कर पाओगी?"
आरना एक पल के लिए ठिठक गई, उसकी आवाज़ सुनकर वह चौंक गई थी। लेकिन फिर उसने खुद को संभाला, और थोड़ी हिम्मत से जवाब दिया, "मैं कोई ठग नहीं हूं, और मैं डरपोक भी नहीं हूं।" उसकी आवाज़ में अब दृढ़ता थी, जैसे कि वो खुद को, और वरुण, दोनों को ये बात साबित करना चाहती हो।
वरुण ने उसकी बात सुनी फिर उसने अपनी सिगरेट को धीरे से ज़मीन पर गिराया और अपने जूते से कुचल दिया, उसकी आँखें अभी भी कहीं दूर देख रही थीं... जैसे उसे आरना की बातों से कोई फर्क ना पड़ा हो, उसने बिना उसकी तरफ देखे ही कहा, "ठीक है, मैंने मान लिया।"
आरना को उसकी आवाज़ सुनकर अजीब लगा।... वो सोच रही थी कि वरुण उसकी बातों का मज़ाक उड़ाएगा या फिर उसे और चिढ़ाएगा, लेकिन उसके इस ठंडे और सीधे जवाब ने उसे थोड़ा उलझा दिया था।
वरुण ने एक पल रुककर, उसकी तरफ ना देखते हुए कहा, "अगर अब तुम्हारा हो गया, तो तुम जा सकती हो।" उसकी आवाज़ में वही ठंडक थी, जैसे उसे इस पूरे वाकये में कोई दिलचस्पी ना हो। इतना कहकर वो धीरे-धीरे एक पुरानी सी दिखने वाली शॉप की ओर मुड़ा, जो गली के किनारे पर थी।
आरना ने चौंककर उसकी ओर देखा। उसका दिमाग तेज़ी से चल रहा था। 'बस इतना ही??' उसने सोचा। वो इतनी हिम्मत जुटाकर यहां तक आई थी, और अब वरुण ने उसे ऐसे ही जाने को कह दिया? उसके अंदर अब कई तरह की भावनाएं उमड़ रही थीं—गुस्सा, शर्म, और थोड़ी निराशा।
वरुण बिना उसकी ओर मुड़े ही शॉप के दरवाजे को धक्का देकर अंदर चला गया। आरना वहीं खड़ी रही उसकी आँखों में उलझन थी। 'अब मैं क्या करूं?' उसने मन ही मन सोचा। 'मैंने तो अभी उसके पैसे भी नहीं दिए!' वो एक तरफ अपने मन को समझाने की कोशिश कर रही थी कि उसे अब चले जाना चाहिए, लेकिन दूसरी तरफ उसका दिल उसे रोक रहा था। क्योंकि वो अभी भी खुद को साबित करना चाहती थी।
फिर उसने एक गहरी सांस ली और अपने अंदर उठ रहे सारे भावों को शांत करने की कोशिश की, वो जानती थी कि अब उसके पास, और कुछ कहने के लिए नहीं बचा था। वरुण ने उसे जाने के लिए कह दिया था।
आरना ने अपने मन की बात सुनी, उसने धीरे से अपने कदम पीछे खींचे और एक बार फिर उस शॉप की ओर देखा, जहाँ वरुण गायब हो चुका था, उसकी आँखों में अब एक ठंडा सा भाव था- उसने अभी भी हार नहीं मानी थी लेकिन फिलहाल के लिए वो हार मानने के लिए तैयार थी।
वो चुपचाप मुड़ी, और धीरे- धीरे वापस उसी गली की तरफ चलने लगी, जहाँ से वो आई थी। उसके कदम थोड़े भारी थे, पर वह खुद को समझाने की कोशिश कर रही थी कि उसने सही फैसला लिया है हवा में हल्की सी ठंडक थी और उसके कदमों की आहट गली के सन्नाटे में गूंज रही थी।
हालांकि, उसके दिमाग़ में वरुण की बातें अभी भी घूम रही थी। 'डरपोक बिल्ली' उसने अपने आप से कहा, 'मैं डरपोक नहीं हूं... मैं नहीं हूं।'