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Kaise hai reader's..... ❤️🥰
Dear reader's novel ko read krne ke bad apna review Dena Mt bhuliyega....
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क्योंकि रूम के अंदर एच आर की चेयर पर और कोई नहीं बल्कि वही लड़का बैठा हुआ था जिसने निया को इंटरव्यू देने के लिए बोला था और निया की इतनी ज्यादा हेल्प की थी।
उस लड़के को देख कर निया चुपचाप बस डोर पर ही हैरानी से खड़ी रही तभी उस लड़के ने एक स्माइल के साथ निया से कहा" प्लीज कम इन। "
पर उस लड़के को वहां पर एच आर की चेयर पर बैठा हुआ देख कर नीया अभी भी इस शौक से बाहर नहीं निकली थी कि यह वही लड़का था जिसने उसकी हेल्प की थी और वह ही उसका इंटरव्यू लेने वाला था फिर धीरे-धीरे कदमों से नीया अपने इसी शौक में आगे कदम बढ़ाते हुए चेयर के पास चली गई और फिर धीरे से चेयर पर जा कर बैठ गई,
तभी उस लड़के ने निया से पूछा" आप मुझे अपने बारे में बताइए " निया ने अपने बारे मे बताते हुए कहा " मेरा नाम निया खान है " फिर इसी तरीके से धीरे-धीरे नीया ने अपने बारे में उस लड़के को अपनी पूरी डिटेल बताने शुरू कर दी कि उस का कॉलेज, उसका स्कूल कौन सा था।
निया अभी जिस कंपनी मे इंटरव्यू के लिए आई थी वाह कंपनी एक कार्टून कंपनी थी और इंडिया में उनकी कंपनी अलग-अलग टाइप्स के कार्टून बनाती थी और डिफरेंट डिफरेंट टाइप के गेम्स भी बनाती थी निया को बचपन से ही ड्राइंग करने का बहुत शौक था और साथ ही कार्टूंस और गेम्स का भी शौक था अपने इस शौक की वजह से निया को एनिमेटर की जॉब में बहुत इंटरेस्ट था इस वजह से निया ने इस कंपनी में भी एनिमेटर के जॉब के लिए अप्लाई किया था ।
निया का इंटरव्यू होने के बाद उस लड़के ने सभी कैंडिडेट से अपना अपना काम का सैंपल आधे घंटे में ड्रा करने के लिए दिया था इस आधे घंटे में सभी कैंडीडेट्स अपने-अपने सैंपल्स और अपने-अपने काम के अकॉर्डिंग ड्रॉ कर रहे थे आधा घंटा पूरे होने के बाद सभी कैंडिडेट्स से उनके सैंपल्स कलेक्ट कर लिए गए और उनको फाइनल शॉर्टलिस्टेड कैंडीडेट्स को सेलेक्ट करने लिए आधे घंटे का वेट करने के लिए बोला गया।
सभी लोग इस आधे घंटे में अपने-अपने नाम को इस जॉब के लिए शॉर्टलिस्ट होने के लिए दुआ करने लगे,जिसमें से एक कैंडिडेट निया भी अल्लाह से बस यह ही दुआ मांग रही थी कि इन कैंडीडेट्स की शॉर्टलिस्टेड कैंडीडेट्स में उसका नाम भी शामिल हो और तभी अनाउंसमेंट की गई की उन्होंने अपने 10 शॉर्ट लिस्टेड कैंडिडेट्स को सेलेक्ट कर लिया है और एक-एक करके सभी कैंडिडेट्स के नाम अनाऊस होने लगे नीया दिल थाम के अपने नाम को प्रोनाउंस होने का वेट कर रही थी और फाइनली जब निया का नाम भी उन कैंडीडेट्स के नामो मे प्रोनाउंस किया गया तो तब उसकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा क्योंकि अब उसको इस बात की फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं थी कि उसके पास रहने के लिए घर नहीं होगा या अपना खर्चा उठाने के लिए पैसे नहीं होंगे, उसको एक बहुत अच्छी सी मनपसंद जॉब मिल गई थी वो ही जॉब जो काम करना उसको पसंद था।
तभी एक लड़की ने सभी शॉट लिस्टेड कैंडिडेट्स को उनके अपार्टमेंट की लोकेशन और और उनके रूम नंबर और अपार्टमेंट की चाबी दे दी। अपने न्यू अपार्टमेंट की चाबी को अपने हाथ में देख कर नीया की टेंशन कुछ कम हो गई, कि कम से कम अब उसके पास रहने के लिए घर तो था वैसे तो उसको यकीन था की जैसे ही उसके अब्बू को होश आएगा और उसके अब्बू ठीक हो जायेगे तो तब उसकी अम्मी का गुस्सा भी ठंडा हो जायेगा और फिर उसकी अम्मी उसको वापस घर बुला लेगी और फिर निया अपनी अम्मी अब्बू को सब क्लियर कर देगी की इस सब मे उसकी कोई गलती नहीं थी , पर इन एक दी दिन और खास कर रातो के लिए निया को एक अच्छे से घर की जरूरत तो थी ही वरना रात मे एक लड़की का घर से बाहर रहना, सेफ नहीं था पर अब निया को अपने रहने की फ़िक्र करने की कोई जरूरत नहीं थी।
अब दोपहर का 1:00 बजाने वाला था और निया ने कल शाम से कुछ भी नहीं खाया था जिस वजह से निया को बहुत तेज भूख लग रही थी और भूख की वजह से उसके पेट में दर्द भी हो रहा था पर अपने इंटरव्यू की वजह से नीया ने इस बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था कि उसने कल से कुछ भी नहीं खाया था।
जब निया अपनी जॉब मिलने के बाद अपने अपार्टमेंट की चाबी ले कर कंपनी से बाहर जाने लगी तब ही उसको फिर से अपने अब्बू की याद आ गई, चाहे अभी निया को अपनी जॉब लगने की बहुत ज्यादा खुशी हो रही थी और उसको बहुत ज्यादा भूख भी लग रही थी पर कहीं ना कहीं निया को अपने दिल में दर्द भी महसूस हो रहा था और वह यह सोच रही थी कि अगर यह जॉब उसको पहले मिली होती और वह अपनी अम्मी अब्बू को इस जॉब के बारे में बताती तो तब वह कितने ज्यादा खुश होते पर अब ऐसा कुछ नहीं होने वाला था उसके अब्बु इस टाइम हॉस्पिटल में एडमिट थे और उसकी अम्मी उसका फेस भी नहीं देखना चाहती थी बल्कि वाह निया से इतना ज्यादा गुस्सा थी की उन्होंने निया को घर आने से भी मना कर दिया था।
यह सब सोच सोच कर निया के कदमों की स्पीड बहुत धीमी होती जा रही थी और वह बहुत धीरे-धीरे कदमों से ऑफिस की बिल्डिंग से बाहर जा रही थी धीरे-धीरे उसके मन में अपने अब्बू की फिक्र बढ़ती जा रही थी उसके दिमाग़ मे अभी एक साथ बहुत सारे सवाल घूम रहे थे " क्या डॉक्टर ने उसके अब्बू का अच्छे से इलाज किया होगा? क्या उसके अब्बू को होश आ गया होगा? डॉक्टर ने उसके अब्बू के बारे में क्या बोला होगा?क्या उनको ज्यादा प्रॉब्लम तो नहीं हुई होगी? कहीं उसके अब्बू ज्यादा बीमार तो नहीं होंगे? " यही सब सोच सोच कर निया की टेंशन बढ़ती जा रही थी जिस वजह से जहां निया को अब किसी रेस्टोरेंट या होटल में जा कर खाना खाना चाहिए था वहीं उसके कदम अपने आप उस अस्पताल की तरफ बढ़ गए, जहां पर उसके अब्बू को एडमिट किया गया था।
उसको अपनी अम्मी की कही हुई बातें अभी भी बहुत अच्छी तरीके से याद थी पर फिर भी उसको अम्मी अब्बू की बहुत ज्यादा फिक्र भी हो रही थी उसके अब्बू के बीमार होने की वजह से रो-रोकर उसकी अम्मी की भी हालत खराब ना हो गई हो और कहीं वह भी बीमार ना हो गई हो यही सब सोच सोच कर निया की फिक्र बढ़ती ही जा रही थी।
अपने अब्बू की फिक्र में निया को इस बात का भी अंदाजा नहीं हुआ कि वह कितने टाइम से ऑटो में बैठी हुई थी उसको वक्त का पता ही नहीं चला, वह जल्दी से ऑटो वाले भैया को पैसे देकर दौड़ती हुई हॉस्पिटल के अंदर चली गई न जाने क्यों उसको अपने अब्बू के बारे में सोच-सोच कर बहुत ज्यादा फिक्र हो रही थी और उसका दिल बहुत ज्यादा घबरा रहा था।
जब निया अपने अब्बू के हॉस्पिटल रूम के बाहर जा कर पहुंची तब ही उसको रूम के अंदर से आवाज सुनाई दी और उस आवाज़ को सुन कर निया के कदम हॉस्पिटल रूम के डोर पर ही रुक गए और उसके दिल की धड़कनें बहुत धीमी धीमी चलने लगी उसको अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसने अभी-अभी अंदर से क्या बातें सुनी थी ।
कौन है हॉस्पिटल रूम के अंदर जिस की आवाज़ और बाते सुन कर निया के कदम हॉस्पिटल रूम के बाहर ही रुक गए?
पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिये नॉवेल, " devil se pyar "
अब आगे की कहानी अगले भाग मे जारी रहेगी,
तब तक के लिए अलविदा।
नव्या खान