ट्राइडेंट होटल में भास्कर सैली के मुँह में एक निवाला डाल रहा था।
"भास्कर, इतना बस है।"
"ठीक है। मैं मीटिंग में जाता हूँ।" भास्कर ने कहा।
"भास्कर, जल्दी आना।"
उसने उसका माथा चूम लिया, "अगर तुम कहो तो मैं आज मीटिंग के लिए नहीं जाऊँगा।" भास्कर ने उसके माथे के बालों को एक तरफ धकेलते हुए कहा।
"तुम्हारा मूड बदल गया है।" सैली ने मुस्कुराते हुए कहा।
"हा सैली। जिस पति की पत्नी तुम्हारे जैसी सुंदर हो, उसका मूड बदल ही जाएगा।"
"मेरे आसाराम बापू, तुझे पहले काम पर ध्यान देना चाहिए।" सैली ने उसके बालों को हवा में उड़ाते हुए चिढ़ाया।
"मुझे इतनी बुरा मत कहो।" उसने मुस्कुराते हुए कहा। दोनों हस रहे थे। उसने अपना हाथ उसके गोल और सुंदर गाल पर फिराया और फिर कमरा छोड़ दिया। भास्कर लिफ्ट से होटल के ग्राउंड फ्लोर में गया और बाहर निकलकर एक टैक्सी को बुलाया, "टैक्सी!"
उसकी आवाज पर एक टैक्सी रुकी और वह उसमें बैठ गया। भास्कर का मन मीटिंग में जाने का नहीं था, इसलिए उसने मुकुल के घर जाने का फैसला किया। उसने केवल एक बार मुकुल के दरवाजे की घंटी बजाई, और दरवाज़ा तुरंत खुल गया। मुकुल भास्कर को सामने खड़ा देखकर बहुत खुश हुआ।
"क्या तुम मेरा इंतज़ार कर रहे थे?" भास्कर ने मुस्कुराते हुए पूछा।
मुकुल ने उसे कसकर गले लगा लिया। "भास्कर, तुम कैसे हो?"
"हाँ, मैं ठीक हूँ।" भास्कर ने खुद को उससे दूर करते हुए कहा।
"अंदर आ जाओ।"
"हाँ।" वह अंदर आया। जब उसने मुकुल को देखा तो पहले तो पहचान नहीं पाया क्योंकि उसकी दाढ़ी और बाल काफी बढ़ गए थे। वह आदिवासी जैसा दिखने लगा था। उसकी तबीयत खराब हो गई थी। भास्कर ने मजाक में कहा, "मुकुल, लॉकडाउन के कारण तुम्हें अपने बाल और दाढ़ी काटने का समय नहीं मिला? अब तुम एक आदिवासी की तरह दिखते हो।"
मुकुल हसने लगा। जैसे ही भास्कर हॉल में दाखिल हुआ, उसका ध्यान सामने खड़ी टाइम मशीन पर गया। वह टाइम मशीन अब अलग दिख रही थी। वहाँ एक कुर्सी थी, जिसके नीचे एक लोहे का बक्सा था। शायद यह कुर्सी के नीचे सपोर्ट के लिए था या इसमें कोई मशीन थी। उस कुर्सी में एक लोहे की रॉड थी, वायर नीचे मशीन से जुड़ा हुआ था, और बगल में एक बड़ासा रिमोट था। यह लगभग तीन या चार फीट लंबा था। रिमोट को लोहे का मोटा सपोर्ट था, जिससे उसकी ऊंचाई अधिक थी।
मशीन को देखते हुए भास्कर ने पूछा, "एक मिनट रुकिए, यह एक टाइम मशीन है, है ना?"
"हाँ। मैंने अपनी पहली टाइम मशीन आठ साल पहले बनाई थी। उसमें कई गलतियां थीं, लेकिन अब यह 100 प्रतिशत काम करेगी।" मुकुल के चेहरे पर आत्मविश्वास था। भास्कर को समझाना मुश्किल लग रहा था कि टाइम मशीन बनाना असंभव है।
भास्कर ने सीधे मुद्दे पर आते हुए कहा, "मुकुल, मुझे पता है कि तुम कई सालों से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हो। सॉरी, लेकिन तुम जो कर रहे हो वह बेवकूफी है।" उसने धीमी आवाज में कहा।
"मैंने क्या किया है?" मुकुल ने आश्चर्य से पूछा। यह पहली बार था जब भास्कर ने उसे ऐसा कुछ कहा था।
"तुम्हें याद है ना, 2012 में क्या हुआ था?"
मुकुल ने समझाते हुए कहा, "भास्कर, मैंने आठ साल तक दिन-रात एक करके यह टाइम मशीन बनाई है। इसमें कोई डिफॉल्ट नहीं है।"
"तुमने अपने आठ साल बर्बाद कर दिए हैं।" भास्कर ने अफसोस के साथ कहा।
मुकुल ने दोबारा उसे समझाते हुए कहा, "एक बार मुझ पर भरोसा करो।"
भास्कर ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "मैंने 8 साल पहले तुम पर भरोसा किया था, उसका क्या अंजाम हुआ था याद है ना।"
मुकुल ने दृढ़ता से कहा, "तब मुझसे एक गलती हुई थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।"
भास्कर ने अपनी आवाज़ में चिंता और भय का मिश्रण लाते हुए कहा, "मुकुल, जब मैं पहली बार इस मशीन में बैठा था, तब मैंने बहुत ही डरावनी चीजें देखी थीं। चारों तरफ धुआं था। मशीन से करंट निकल रहा था। हर तरफ आग लगी हुई थी। मैं बहुत डर गया था। मुझे लगा कि मैं किसी अंधेरी गुफा में हूं, जहां कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। मेरे चारों ओर अंधकार था और कभी-कभी ही रोशनी दिख जाती थी। मुझे लगा कि मैं मर गया हूँ। किसी को समझाना बहुत मुश्किल है कि उस समय मेरे साथ क्या हो रहा था। और तभी अचानक मुझे विस्फोट की आवाज सुनाई दी, शायद वह टाइम मशीन का विस्फोट था। मेरा लक अच्छा था कि मुझे कोई चोट नहीं आई।"
मुकुल ने सहानुभूति जताते हुए कहा, "मुझे पता है भास्कर, वह अनुभव भयानक था।"
भास्कर ने और जोर देकर कहा, "भयानक नहीं, बहुत भयानक था।"
मुकुल ने उसे शांत करने की कोशिश करते हुए कहा, "हाँ, यह बहुत डरावना था। लेकिन अब तुम्हारे साथ ऐसा नहीं होगा।"
भास्कर ने संदेह भरी नजरों से मुकुल की ओर देखा, "मुकुल, क्या तुमने मुझे यहां लाने के लिए झूठ बोला?"
मुकुल ने थोड़ी उलझन में पूछा, "मैंने किस बारे में झूठ बोला?"
"तुम मुझे मेरी अंगूठी देने वाले थे।"
मुकुल ने अपने जेब से अंगूठी निकाली और भास्कर को दिखाते हुए कहा, "अंगूठी मेरे पास है। भास्कर, यह अंगूठी इसी मशीन से आई है।"
भास्कर ने मुकुल के हाथ से अंगूठी ली। यह वही अंगूठी थी जो वह सैली को देने वाला था। मुकुल ने गर्व से आगे कहा, "भास्कर, जब मैंने यह मशीन दोबारा शुरू की, तब यह अंगूठी इस मशीन से बाहर आ गई। इसका मतलब है कि इस अंगूठी ने 2012 से 2020 तक का समय तय किया। ये अंगूठी समय के बीच फस गई थी। इसका मतलब है कि मेरी मशीन ठीक से काम कर रही है।"
भास्कर ने निराशा और गुस्से से कहा, "मुकुल! यह अंगूठी समय में नहीं, बल्कि इस मशीन में फसी थी।"
मुकुल ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा, "मैंने इस मशीन का पुनर्निर्माण किया है। इसलिए अगर अंगूठी मशीन में फस गई होती, तो मैं उसे देख लेता।"
भास्कर ने हताशा से कहा, "इसका मतलब यह है कि तुम मेरी बात नहीं सुनोगे?"
मुकुल ने दृढ़ता से जवाब दिया, "हाँ।"
भास्कर ने एक अंतिम प्रयास करते हुए कहा, "ठीक है। फिर किसी और को इस मशीन में बैठने के लिए कहो। मैं इस मशीन में कभी नहीं बैठूंगा।"
मुकुल ने विनम्रता से कहा, "भास्कर, तुम्हारे अलावा मैं और किसे कह सकता हूँ? मेरा कोई दोस्त नहीं है। तुम्हारे और सैली के अलावा, मैं किसी को नहीं जानता।"
भास्कर ने हार मानते हुए कहा, "इसका मतलब है कि मुझे ही इस मशीन में बैठना होगा।"
मुकुल ने आशा भरी आँखों से कहा, "हाँ।"
"मुकुल, प्लीज मुझ पर भरोसा करो। आप समय यात्रा नहीं कर सकते। 2012 में भी आपने टाइम मशीन बनाई थी। तो मैं समय यात्रा क्यों नहीं कर सका? क्योंकि ऐसी मशीन कोई नहीं बना सकता।" भास्कर की आवाज में चिंता और असहमति की लहरें साफ़ झलक रही थीं।
मुकुल ने गंभीरता से जवाब दिया, "क्योंकि 2012 की टाइम मशीन पूरी तरह से तैयार नहीं थी। तुम उस समय यात्रा कर सकते थे, लेकिन मैंने सिर्फ जाने का वर्ष और समय निर्धारित किया था। वापस आने का समय निर्धारित नहीं किया था। इस एक कारण से यह मशीन पूरी नहीं हो पाई। लेकिन अब यह मशीन पूरी हो गई है।"
भास्कर ने अपनी बातों से मुकुल को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन मुकुल उसकी बात नहीं सुन रहा था। भास्कर का गुस्सा अब अपने चरम पर था। आख़िरकार उसने ऊँची आवाज़ में कहा, "तुमने टाइम मशीन क्यों बनाई? क्या जरूरत थी? फेमस होने के लिए?"
मुकुल के चेहरे पर गहरा दर्द और शांति का मिश्रण था। उसने धीमी आवाज़ में कहा, "30 साल पहले मेरे माता-पिता की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। मैं टाइम मशीन के जरिये उस वक्त में जाकर उस हादसे को रोकना चाहता हूं। मुझे अपने माता-पिता को वापस लाना है। मैं उनके साथ रहने के लिए 30 वर्षों से इस मशीन का निर्माण कर रहा हूं।"
यह सुनकर भास्कर का गुस्सा धीरे-धीरे शांत हो गया। उसे समझ आया कि मुकुल टाइम मशीन फेमस होने के लिए नहीं, बल्कि अपने माता-पिता को वापस पाने के लिए बना रहा था। भास्कर के मन में मुकुल के प्रति सम्मान और गहरा हो गया।
उसने धीमी आवाज़ में कहा, "तुम कभी भी अपना भविष्य ठीक नहीं कर सकते। तुमने अपने 30 साल बर्बाद कर दिए। मुकुल, तुम्हारे माता-पिता चले गए। वे कभी वापस नहीं आएंगे।"
भास्कर की बातों से मुकुल का चेहरा उदासी से भर गया। उसने जोर देकर कहा, "वह वापस आएंगे।"
भास्कर ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "तुम अपने माता-पिता से बहुत प्यार करते हो। लेकिन अगर कुछ चीजें हमसे दूर चली जाती हैं, तो वो कभी वापस नहीं आतीं। यह प्रकृति का नियम है। यह भी तुम्हें स्वीकार करना होगा। तुम मेरे दोस्त हो। मैं हमेशा तुम्हारे भले के बारे में सोचूंगा। इसलिए मेरी भी कुछ बातें मानो। हम अपना अतीत कभी नहीं बदल सकते।"
मुकुल ने बीच में ही कहा, "इतनी नकारात्मक बातें मत करो।"
भास्कर ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "मैं जो कह रहा हूं वह सच है। जिस तरह इंसान जन्म लेता है, वैसे ही उसकी मृत्यु भी हो जाती है। यहाँ सब कुछ कुछ देर के लिए है। आप, मैं, आपके माता-पिता, सैली। यह सब कुछ एक न एक दिन हमसे दूर चले जाएंगे।"
यह सुनकर मुकुल निराश हो गया। उसने सिर झुकाकर कहा, "तुम झूठ बोल रहे हो। मैं अपने माता-पिता को वापस ला सकता हूं।"
भास्कर ने दोस्ताना लहजे में कहा, "मुकुल, इतना निराश मत हो। मेरे दोस्त, तुम बहुत बुद्धिमान हो। और तुम किसी और अद्भुत आविष्कार पर काम कर सकते हो। अगर तुम्हें पैसों की जरूरत होगी तो मैं तुम्हारी मदद करूंगा। तुम अपने बुद्धिमत्ता का सही जगह पर इस्तेमाल करो।"
मुकुल ने भास्कर की आंखों में देखा। उसके शब्दों में सच्चाई और स्नेह का अनुभव हुआ। उसने एक गहरी सांस ली और कहा, "शायद तुम सही कह रहे हो। लेकिन मेरे दिल में अभी भी उम्मीद की एक किरण है।"
भास्कर ने उसे गले लगाते हुए कहा, "उम्मीद रखना अच्छी बात है, लेकिन यथार्थ से भी दूर नहीं भागना चाहिए। चलो, अब हम मिलकर कुछ और करते हैं, जिससे तुम्हारा यह गुस्सा और दुख दोनों ही कम हो जाएं।"
मुकुल ने हल्की सी मुस्कान के साथ सहमति में सिर हिलाया। दोनों दोस्तों ने मिलकर एक नई शुरुआत करने का फैसला किया, जिसमें अतीत की गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ने का संकल्प था।
उसने अपना हाथ मुकुल के कंधे पर रख दिया। शायद मुकुल को भास्कर की बातें समझ में आ गई थीं।
मुकुल ने थोड़ी देर चुप रहकर कहा, "भास्कर, मैं एक दिन टाइम मशीन बनाऊंगा।"
भास्कर ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "ठीक है। तो फिर आप अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। लेकिन एक बात याद रखें, हम दूसरों से तो झूठ बोल सकते हैं, लेकिन खुद से झूठ नहीं बोल सकते। जब आपको खुद ही यह एहसास हो जाएगा कि यह एक बेकार मशीन है, तो आपको समझाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। तुम्हें इसका एहसास ख़ुद ही हो जाएगा।"
यह कहकर भास्कर वहां से जाने लगा। मुकुल उसे रोकना चाहता था, लेकिन वह समझ गया था कि भास्कर नहीं रुकेगा और उसकी बात भी नहीं मानेगा। इस वजह से मुकुल ने उसे नहीं रोका। भास्कर को भी बुरा लग रहा था कि उसने जो मुकुल से कहा, वह गलत था। अंदर ही अंदर उसे यह बात परेशान कर रही थी। लेकिन भास्कर ने जो कहा था, वह सच था। जब वह टाइम मशीन में बैठा था, उस समय वह मर भी सकता था। और वह दोबारा ऐसा नहीं करना चाहता था, या फिर किसी और के साथ ऐसा होने देना नहीं चाहता था। वह मुकुल को पागलपन की चीजों से बाहर निकालना चाहता था। लेकिन मुकुल ने बात नहीं सुनी, इसलिए वह वहां से निकल गया।
भास्कर अब सड़क पर चल रहा था। उसके दिमाग में सिर्फ मुकुल के ख्याल थे। उसने सही किया या फिर गलत, उसे समझ में नहीं आ रहा था। तभी उसे किसी का फोन आया। वह सभी ख्यालों से बाहर आया, "हाँ, बोलो। हाँ, मैं पाँच मिनट में पहुँच जाऊँगा।"
भास्कर ने फोन बंद किया और तेज़ी से चलने लगा। सड़क के किनारे चलते हुए उसके मन में कई विचार घूम रहे थे। उसे पता था कि मुकुल की जिद्दी और जुनूनी सोच को बदलना आसान नहीं होगा, लेकिन उसने कोशिश तो की थी। अपने दोस्त को सही रास्ते पर लाना उसकी ज़िम्मेदारी थी।
फोन पर बात करने के बाद भास्कर ने कदम तेज कर दिए। उसकी चाल में अब पहले से अधिक आत्मविश्वास था। उसने तय कर लिया था कि वह मुकुल को समय के साथ समझाने की कोशिश करता रहेगा। उसे विश्वास था कि एक दिन मुकुल को उसकी बातें समझ में आ जाएंगी।
इस विचार के साथ भास्कर अपने अगले गंतव्य की ओर बढ़ चला, जहाँ शायद उसे कुछ नए उत्तर मिल सकें। और इस बार, उसने ठान लिया था कि वह अपने दोस्त को उसके अंधेरे से निकाल कर रोशनी की तरफ ले जाएगा। चाहे इसमें कितना भी समय क्यों न लगे।