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बुरा दिन

आज छाया अगले दिन सुबह उठी स्कूल जाने के लिए तैयार हो कर बाहर निकाली तभी बारिश हो रही थी। फीर भी वो छाता लेकर चलने लगी, तभी एक अखबार वाले ने बताया कि ये रास्ता बारिश कि वजह से बंद है तुम्हें दुसरे रास्ते से जाना पड़ेगा। फिर छाया ने जाने के लिए दुसरा रास्ता पकड़ा थोड़ा चलने के बाद उसने देखा कि वहां एक कार आकर खड़ी हुई और कार में से लक्ष्य बहार निकला । कार उसे छोड़कर चली गई। वो वहां कीसी की राह देख रहा था।

छाया बड़बड़ाने लगी "मुझे तो पहले ही पता था कि ये आमिर बाप की औलाद है"में अभी उसकी खबर लेती हु। नहीं, नहीं अभी नहीं इस समय छाया के मन में लक्ष्य को लेकर काफी सारे सवाल है जिसके जवाब उसे बात कर के नहीं मिल पाते।

छाया को उसी रास्ते से जाना था जीस रास्ते पर लक्ष्य खडा था।पर छाया लक्ष्य से कोई बात नहीं करना चाहती । इसीलिए छाया ने सोचा कि वो उस के पीछे से चुपचाप निकल जाएगी।ऐसा सोचकर वो लक्ष्य के पीछे से जारही थी तभी लक्ष्य ने उसे चोटी पकड़ कर रोक दिया।और लक्ष्य ने कहा हाय! छाया,गुड मॉर्निंग

वैसे तुम मुझसे बचकर जा रही थी।

छाया ने कहा नहीं नहीं, में ने तुम से पैसे थोड़ी ना लीऐ है, वैसे तुम्हें कैसे पता चला कि में तुम्हारे पीछे से जारही हु?

लक्ष्य ने सामने वाली बिल्डिंग पर उंगली उठाकर कहा कि तुम मुझे इस काच में दीख गई थी। तुम मुझे इग्नोर कर रही थी।में तुम्हें एक बता बता दु की मुझे.....

तभी पीछे से आवाज आई की मुझे इग्नोर कर ने वाले लोग बिलकुल पसंद नहीं।

वो लक्ष्य का बचपन का दोस्त आर्य था। आर्य के पापा लक्ष्य के पापा की कंपनी के लीगल एडवाइजर थे। लक्ष्य जब भी छुट्टीयों में घर आता तो उसका ज्यादा समय आर्य के घर पर ही बीताता था।

लक्ष्य उसकी तरफ आगे बढ़ा और छाया को भी साथ में चोटी पकड़ कर ले गया। उन दोनों ने हाथ मिलाया और लक्ष्य ने कहा यार तुम लेट हो, तुम्हें पता है?पर आर्य ने कहा तुम पहले उसकी चोटी छोड़ उसे दर्द हो रहा होगा।

पर लक्ष्य ने कहा में इसकी चोटी छोड़ दुंगा तो ये भाग जाएगी।

छाया ने कहा में नहीं भागुगी विश्वास करो। लक्ष्य ने कहा नहीं तुम पहले वादा करो। छाया ने कहा ठीक है वादा किया।

लक्ष्य ने कहा चलो अब तुम दोनो हाथ मिलाओ। छाया ये आर्य मेरा बचपन का दोस्त।और आर्य ये मेरी हाईस्कूल की दोस्त छाया।

छाया के मना करने के बाद भी लक्ष्य उसे दोस्त बनाना चाहता था। यही बात छाया को परेशान कर रही थी।

छाया ने गुस्से में कहा की तुम मेरे दोस्त नहीं हो।और नाही वो मेरा दोस्त हैसमझे तुम।

आर्य ने बात को टालते हुए कहा कि चलो, चलो बस का टाइम हो गया है।और तीनों ने भाग कर बस पकड़ी और स्कूल पहोंचे।

छाया अपने क्लास में गई तो देखा कि उसकी बेंच पर कोई और बैठा है और उसे ज्यादा गुस्सा आ गया।

उसने वहां जाकर कहा कि ये मेरी बेंच है तुम यहां से उठो चलो अपनी जगह पर जाओ।

तभी छाया की दोस्त नाव्या वहां आई और वो छाया को समझा ने लगी की तुम इसके साथ बहस क्यों कर रही हो, तुम्हें पता है ना कि ये कोन है तो फिर.....

छाया ने कहा हां पता है मुझे तो क्या ये अपनी मर्जी चलाएगी ,आज मैं इसे नहीं छोडूंगी, आज तो मुझे इस से अगला पिछला सभी हीसाब बराबर करने है।

लड़की ने कहा कि तुम मुझसे हीसाब बराबर करोगी, तुम्हारी औकात ही क्या है।

वो लड़की स्कूल ओनर की बेटी थी। उसका नाम अनाया राजवंशी था और वो आमिर बाप की औलाद थी, जो कि जीदी , धंमडी,अड़ियल दीमाग की थी, उसे जो चीज उसे पसंद जाए तो उसे पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती थी। स्कूल के सभी स्टूडेंट् अनाया को उसके स्टेटस की वजह से रीस्पेक्ट देते थे।पर छाया और अनाया की सरु से नहीं बनती थी।पर कभी कभी छाया को उसके स्टेटस के सामने झुकना पड़ता था।

छाया कुछ आगे बोले उसके पहले क्लास में खान सर भागते हुए आए और बोले कि क्या हुआ? और उन्होंने ने दोनों की बात सुनी और झगड़ा सुलझाते हुए कहा कि छाया तुम आगे वाली सीट पर आकर बैठ जाओ।

पर ये छाया के लिए एक समझोता कर ने वाली बात थी। और गुस्सा भी आ रहा था।पर वो कुछ कर नहीं सकती।इस दीए उसने डीसाइड किया कि वो इस का बदला जरूर लेगी।

तभी लक्ष्य और आर्य क्लास में आये ख़ान सर आर्य का क्लास के साथ परिचय करवा रहे थे। तभी लक्ष्य की नजर लास्ट बेंच पर गई,जीस बेंच पर छाया बेठती थी।पर उस बेंच पर तो अनाया थी।जो लक्ष्य के पापा के दोस्त की बेटी थी और वो उसे बहुत अच्छे से जानता था।

फिर तुरंत ही लक्ष्य की नजर आगे वाली बेंच पर गई वहां छाया को थोड़ा उदास देखा, उसे सब समझ आ गया।की क्या हुआ है।

इन दो लेक्चर के बाद सीधा लंच ब्रेक था। लंच ब्रेक में छाया, कनिका और नाव्या तीनों बेढकर लंच करते हुए बात कर रहे थे। तभी वहा लक्ष्य और आर्य वहा पर आगए। लक्ष्य ने कहा कि छाया में ने सुना है कि तुम्हारा झगड़ा हुआ है किसी लड़की के साथ।

कनिका ने कहा हां,पर छाया और अनाया का झगड़ा हुआ था।और जीस में अनाया जीत गई।

तभी वहा अनाया वहा पर आई और कहा हाय, लक्ष्य केसे हो तुम, तुम यहां बेढकर क्यों लंच कर रहे हो?चलो हमारे साथ बैठकर लंच करो।

नहीं नहीं में यहा पर ठीक हु। तुम जाओ जाकर अपना लंच एन्जॉय करो।बात,ऐसा लक्ष्य ने अनाया को कहा।पर अनाया लक्ष्य को हाथ पकड़कर लेजाने लगी।

वो सब देख कर छाया को समझ आ गया की उस की फेवरेट बेंच क्यों छीनी। क्यों की अनाया को छाया की सीट नहीं चाहीए उसे लक्ष्य की बाजु वाली सीट चाहिए।पर ऐसा क्यों वो समझ नहीं आ रहा था।

छाया ने अनाया के पास जाकर कहा तुमने सुना नहीं लक्ष्य ने क्या कहा वो यही बैठकर लंच करेगा तो यही बैठकर लंच करेगा।

फिर अनाया कहा वो तुम्हारे साथ लंच करे क्यों? तुम....

वो आगे बोले उसके पहले छाया ने कहा क्यों की हम दोस्त हैं और हम रोज साथ में ही लंच करते हैं,

अनाया ने कहा तुम्हें तो मैं बाद में देखुगी। ऐसा कह कर वहां से चली गई।

छाया बहुत गुस्से में कनिका के सामने देखकर कहा कि वो जीती नहीं है, वो उसके पावर के वजह से बच गई है, लेकिन में उसे छोडुगी नहीं।

ऐसा कह कर छाया वहा से चली गई। आर्य ने कहा अरे इतना गुस्सा!

तभी नाव्या ने कहा तुम ने उसका गुस्सा अभी देखा ही कहा है।वो कुछ ना कुछ जरुर करेगी ,पर क्या?

फिर नाव्या और कनिका वहां से चली गई।

आर्य ने लक्ष्य से कहा स्कूल में तुम्हारे इतनी लडकीयां है, जो तुम्हारे स्टेटस को मेच करती है पर तुम्हे छाया से ही दोस्ती क्यों करनी है?मतलब छाया ही क्यों?

लक्ष्य ने कहा कि में छाया को पीछले दो सालों से जानता हूं।

क्या दो सालों से आर्य ने लक्ष्य से कहा।

लक्ष्य ने कहा हां तुम्हें याद है वो एक्सीडेंट जीस मुझे होस्पीटल में एडमिट कराया गया था।वहा पहली बार उसे देखा था।उस दिन बारीस हो रही थी,और मुझे दुसरे कमरे में सीफ्ट कीआ था। मेरी मोम विलचैर पर लेजा रही थी। तभी मेरी मोम ने गलती से एक लडक़ी के टुटे हुए पैर पर पैर रख दिया। मेरी मोम कुछ बोले उसके पहले वो लड़की बहुत कुछ बोल गई।तब पहली बार ऐसा लगा कि कोई है जो मेरी मोम को चुप करा सकता है। और वो मेरे कमरे में एडमीट , मेंरे बेड से तीन बेड छोड़कर उसका बेड था।वो बहुत बोलती थी।उसकी बातों से मुझे पता चला कि ये इसी स्कूल में पढ़ती है। इस स्कूल ने भी उसे बहुत जलील कीया है । तभी सोच लिया कि अगर कोई हमारा पार्टनर होगा तो वो यही।

आर्य ने कहा क्या तुम पागल हो क्या? नहीं नहीं

लक्ष्य ने कहा तुम समझो मेने देखा है उसका गुस्सा,उसका तेज दिमाग, इस काम के लिए यही बेस्ट है।

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