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Annoying Soulmate प्यार कभी Perfection नहीं ढूंढता,

Autor: Bubble_51
Teen
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Zusammenfassung

एक छोटी सी प्रेम कहानी है। जो ऐसे इंसान को मिलाती है जो एक दूसरे से बहुत अलग है उनके सोचने का तरीका उनके रहने का तरीका बिल्कुल एक दूसरे से मेल नहीं खाते। वह एक दूसरे से हमेशा दूर भागते हैं एक दूसरे से मिलने से गुस्से से पागल हो जाते। लेकिन जहां सब कुछ परफेक्ट हो जरूरी तो नहीं प्यार उन्हीं से हो। सब कुछ अलग रहने में प्यार का मजा ज्यादा आता है। अब यह बात यह समझ पाएंगे कि नहीं ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

Chapter 101. आखरी अलविदा।।।

डियर डायरी.....

मैं किम एरा हूं । मेरी बचपन की दोस्त आज मुझे छोड़ कर चली जा रही है । क्योंकि उसके घरवाले ऑस्ट्रेलिया मैं जाकर रहने वाले हैं उसके पापा सबको वहीं ले जा रहे हैं

अब मेरा यहां कोई दोस्त नहीं है। क्योंकि हम गरीब है और मैं सुंदर भी नहीं हूं इसलिए हमारे घर से कोई दोस्ती नहीं रखता, हम भी डायगू को छोड़कर जल्दी चले जाएंगे । क्योंकि मेरी मां का फीश का व्यापार सही नहीं चल रहा । और मेरे पापा कब का मेरी मां को छोड़कर चले गए , क्योंकि मेरे पापा की जिंदगी में कोई दूसरी अभिनेत्री आ चुकी थी जिसके पास अच्छा घर, काम, और पैसे थे। और मेरी मां के पास मेरे अलावा कोई नहीं था एक बेटा था किम डोंग । जो कोई काम का नहीं था उसने पता नहीं क्या सोचा और 10 साल की उम्र में घर छोड़कर कहीं चला गया। लोगों ने बहुत ढूंढा। मां ने तो तीन-चार दिन तक कुछ खाया भी नहीं था और उसे ढूंढती रही । मुझे पता तो नहीं लेकिन मैंने सुना था कि पापा ने भी उसे ढूंढने की कोशिश की लेकिन डोग का कुछ पता नहीं चला ।। मां कहीं उदास ना हो जाए इसलिए मैंने अपने भाई के बारे में कभी उनसे ज्यादा नहीं पूछा।

मुझे पापा के बारे में भी कुछ पता नहीं बस मैंने जितनी बातें लोगों से सुनी । मुझे उतना ही मालूम हुआ मुझे तो पापा का चेहरा भी अच्छे से याद नहीं क्योंकि उस समय मैं बहुत छोटी थी। शायद पापा को कभी मुझसे प्यार ही नहीं था इसलिए इतने साल बीत जाने के बाद भी वह मुझसे कभी मिलने नहीं आए। हमारा हालचाल पूछने भी नहीं आए कि हम कैसे हैं ,मां कैसी हैं ,हम सही से रह रहे हैं या नहीं। ये सब बातें तो होती रहेगी । यह सोच कर मैंने डायरी बंद कर दी और अपने छत की सीढ़ियां चढ़ने लगी। आज मौसम बहुत अच्छा था रात के 8:30 बज रहे थे। मैं मां का इंतजार कर रही थी, मां अभी तक घर नहीं आई । सोन्ग ने मुझे अपने छत से नीचे आने का इशारा किया। सॉन्ग मेरी एकमात्र दोस्त थी । मैं उसे देख कर खुश हो गई कि वह अभी तक यही है मुझे लगा मैं उसे जाने से पहले आखरी बार भी नहीं मिल पाऊंगी मैं झटपट सीढ़ी से नीचे आ गई और घर के बाहर चली गई। थोड़ी देर इंतजार के बाद वह भी नीचे आई उसके हाथों में कुछ था उसकी मुस्कुराहट बहुत प्यारी लग रही थी वह बहुत सुंदर थी गोरा रंग भूरे बाल और नीली आंखें वह कभी हमारे देश की नहीं लगती थी वह एक परी और गुड़िया जैसी दिखती थी मुझे कभी-कभी समझ नहीं आता था की इतनी सुंदर होने के बाद भी उसने मेरे जैसे मामूली लड़की से दोस्ती रखी जबकि उसका दोस्त हर कोई बनना चाहता था। सोन्ग हमेशा से मेरे लिए एक परिवार से कम नहीं थी वह मेरे दिल की सबसे करीब इंसान में से एक थी। पता नहीं क्यों उसे देख कर बहुत रोना आ रहा था की हम अब कभी नहीं मिलेंगे।वह इतनी दूर जा रही थी कि मैं उससे मिलने कभी वहां नहीं आ पाऊंगी। मैंने बहुत मेहनत से अपने आंसुओं को छुपा के रखा था वह धीरे से मेरे करीब आईं। और उसने कहा मैं आज रात को ही निकलने वाली हूं। इसलिए मैं तुमसे आखरी अलविदा लेने आई हूं यह सुनकर मेरे आंखों से आंसुओं की बरसात होने लगी मेरे आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। मुझे दूर जाने का बहुत दुख हो रहा था लेकिन मैं उसे चाह कर भी नहीं रोक पा रही थी। उसने मुझे चुप कराया और मुझे एक बॉक्स दीया और बहुत सारे लिफाफे भी दिया। और एक छोटी सी बॉक्स दी जो गिफ्ट रैपर से पैक थी।

मेरे पास कुछ भी नहीं था उसे देने के लिए मैं मां से पैसे भी नहीं मांग सकती थी।

फिर मुझे याद आया की मां ने मुझे कुछ महीने पहले एक कपड़े का सेट खरीद कर दिया था । जब पापा हमसे मिलने आ रहे थे खैर पापा तो आया नहीं और ड्रेस धरी की धरी रह गई। बहुत अच्छा तो नहीं था लेकिन मैंने उसे कभी पहना नहीं। रात काफी हो गई थी उसने मुझे अपने घर डिनर करने के लिए आमंत्रित किया। मैंने उसे मना कर दिया मां अभी तक घर नहीं आई थी। यह बोलकर हम अपने अपने घर चले गए। मैंने झट से अपनी छोटी सी अलमारी से वह कपड़े को निकाला और एक अच्छे से पेपर मैं उसे लपेटने लगी। मेरे पास एक छोटी सी डायरी भी थी जो नयी थी। मैंने एक पेन को उठाया और अपनी छोटी बड़ी यादो को उस डायरी पर उतार दिया। मुझे दरवाजे की आवाज सुनाई दी। लगता है मां आ गई। मां ने बाथरूम की तरफ जाते हुए कहां की हमें जल्दी घर छोड़ना होगा तो अपना सामान बांधना शुरू करो। हम अपना घर छोड़ रहे थे क्योंकि यहां का किराया बहुत बढ़ चुका था और हमारे पास इतने पैसे नहीं बचते थे। मां और मैंने डिनर किया और मैं छत पर चली गई। मैं सांग के निकलने का इंतजार कर रही थी ।वह अक्सर ठंडी हवा लेनें छत पर आया करती थी । वह आज लेकिन बहुत देर तक नही नज़र आई।

मैंने उसके बड़े भाई को छत पर देखा तो मैनै उन्हें आवाज दिया और अपनी बहन को नीचे आने को कहने को कहने को कहा । उन्होंने मुझे हां कर इशारा किया और सॉन्ग को नीचे भेज दिया मैं सॉन्ग कर देख कर जल्दी से अपने कमरे मैं जाकर उसके लिए तैयार किया गिफ्ट और डायरी उठाकर घर से भागी चली आई । और उसे गुड नाइट कहा और दोनों घर के अंदर चले आए।

मैं अपने रूम में आ गई मैंने खिड़की से सॉन्ग का घर देखा तो सारे लाइट जल रही थी मैंने सोचा जरूर वो लोग जाने की तैयारी करते होंगे मैं अपने बेड पर चली गई और सोने की कोशिश करने लगी। मुझे आज बिल्कुल नींद नहीं आ रही थी मन उदास था। सॉन्ग का ख्याल बार-बार मेरे मन मैं आ रहा था।

काफी रात हो चुकी थी मुझे इस शांति सी रात में हर चीज बहुत साफ से सुनाई दे रही थी। कुछ देर बाद मुझे गाड़ियों का हल्का आवाज सुनाई दिया। मुझे लगा जरूरी ये सॉन्ग ही होगी वह जरूर अब निकलने वाले होंगे इसलिए मैंने जल्दी से अपने रूम की खिड़की खोल दी और नीचे देखने लगी। मेरा सोचना सही था अब वह जा रही थी । उसने काले रंग का एक छोटा सा ड्रेस पहना था जो उस पर बहुत सुंदर लग रहा था। उसने मुझे नीचे से देखा और हल्की सी मुस्कान दी।

फिर वह खिड़की के सामने गाड़ी में बैठ गई मुझे बहुत दिख रही थी और उसे भी मैं देख रही थी। मैंने देखा उसकी आंखों में हल्के हल्के आंसू छलक रहे थे मेरा भी मन घर आया था। हम दोनों ने अपने अपने हाथों को उठाकर थोड़ा हिलाया।

और आखरी अलविदा दी ।।।

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